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दिल्ली उच्च न्यायालय ने धन शोधन मामले में सत्येंद्र जैन की ज़मानत याचिका ख़ारिज की

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल 30 मई को उन्हें गिरफ़्तार किया था और वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। जैन पर चार कंपनियों के जरिए धन शोधन करने का आरोप है।
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सत्येन्द्र जैन : फोटो साभार PTI

 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने धन शोधन के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी।

उच्च न्यायालय ने जैन की याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह प्रभावशाली व्यक्ति हैं और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले साल 30 मई को उन्हें गिरफ्तार किया था और वह तिहाड़ जेल में बंद हैं। जैन पर चार कंपनियों के जरिए धन शोधन करने का आरोप है।

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने मामले के सह-आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत याचिका भी खारिज कर दी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत के जमानत याचिका खारिज करने के फैसले में कोई भी अवैधता या कोई खामी नहीं है।

न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा कि सत्येंद्र जैन धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जमानत के लिए रखी गईं दो शर्तों को पूरा करने में विफल रहे।

उच्च न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने आय से अधिक संपत्ति (डीए) का मामला दर्ज किया है और सक्षम अदालत में मामला विचारणीय है।

अदालत ने कहा, ‘‘यह अदालत इन कार्यवाहियों की वैधता पर बात नहीं कर सकती। तथ्य बताते हैं कि आय से अधिक कुछ संपत्ति को छुपाया गया। अदालत को प्रथम दृष्टया सामने आए तथ्यों को देखना होगा। व्यापक संभावनाएं हैं कि उनसे संबद्ध कंपनियां उनके (सत्येंद्र जैन) द्वारा नियंत्रित व प्रबंधित हैं।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि विशेष अदालत का जमानत से इनकार करने का आदेश अनुचित नहीं है और पूरी तरह तर्कपूर्ण है।

निचली अदालत के पिछले साल 17 नवंबर को सुनाए गए आदेश को तीनों आरोपियों ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसी और ‘आप’ नेता के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद 21 मार्च को जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सत्येंद्र जैन ने इससे पहले अदालत से कहा था कि उनके खिलाफ कोई मामला नहीं बनता और वह जांच में सहयोग कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने तर्क दिया था कि मामले में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद उन्हें कैद में रखने की जरूरत नहीं है।

निचली अदालत ने अपराध में जैन की संलिप्तता के प्रथम दृष्टया संकेत मिलने के आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया था।

जैन के अलावा निचली अदालत ने सह अभियुक्तों वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत अर्जी भी खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा कि जैन ने जानबूझकर अपराध को छिपाया और वह प्रथमदृष्टया धनशोधन के मामले में दोषी प्रतीत होते हैं।

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