Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

निराश हूं, लेकिन संघर्ष जारी रहेगा: अनुच्छेद 370 पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर राजनीतिक दलों ने कहा

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने में दशकों लगे और वह भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।
Supreme Court

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से निराश हैं, लेकिन निरुत्साहित नहीं हैं।

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने में दशकों लगे और वह भी लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।

अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘निराश हूं, लेकिन निरुत्साहित नहीं हूं। संघर्ष जारी रहेगा।’’

उन्होंने उम्मीद न खोने का संदेश देते हुए मशहूर शायर फैज अहमद फैज का एक शेर भी साझा किया।

नेकां नेता ने कहा, ‘‘दिल नाउम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है, लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है।’’

उच्चतम न्यायालय ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के पांच अगस्त 2019 के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए।

वहीं पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को बरकरार रखने का उच्चतम न्यायालय का निर्णय ‘‘मौत की सजा से कहीं से कम नहीं है’’।

उन्होंने कहा कि यह भारत की अवधारणा को विफल करता है, जिसके साथ मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य को 1947 में शामिल किया गया था।

मुफ्ती ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किए गए पांच मिनट के एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘संसद में लिए गए एक असंवैधानिक और अवैध निर्णय को आज कानूनी घोषित किया गया। यह न केवल जम्मू कश्मीर के लिए मौत की सजा है, बल्कि भारत की अवधारणा को भी विफल करता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अनुच्छेद 370 अस्थायी था, इसी कारण इसे हटाया गया। यह न केवल हमारी हार है, बल्कि भारत की अवधारणा की भी विफलता है। यह भारत की परिकल्पना, (महात्मा) गांधी के भारत की विफलता है, जिसके साथ जम्मू कश्मीर के मुसलमानों ने पाकिस्तान को खारिज कर हिंदू, बौद्ध, सिख और ईसाई धर्मावलम्बियों वाले (महात्मा) गांधी के देश के साथ हाथ मिलाया था। आज भारत की अवधारणा विफल हो गई।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोगों से आग्रह किया कि वे शीर्ष न्यायालय के फैसले से निराश न हों।

उन्होंने कहा, ‘‘निराश न हों, उम्मीद न छोड़ें। जम्मू कश्मीर ने काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। न्यायालय का फैसला महज एक पड़ाव है, यह हमारा गंतव्य नहीं है। इसे अंत मानने की गलती न करें। हमारे विरोधी चाहते हैं कि हम उम्मीद खो दें और हार स्वीकार कर लें। लेकिन ऐसा नहीं होगा।’’

पीडीपी प्रमुख ने कहा कि जम्मू कश्मीर में संघर्ष एक राजनीतिक लड़ाई है, जो दशकों से जारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई फैसला अंतिम नहीं है, उच्चतम न्यायालय का फैसला भी नहीं। यह एक राजनीतिक लड़ाई है जो कई दशकों से जारी है। हमारे लोगों ने बलिदान दिया है और हम बीच में लड़ाई नहीं छोड़ेंगे।’’

मुफ्ती ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 370 को संविधान का अस्थायी प्रावधान घोषित किए जाने से उन ताकतों को बल मिला है जो दावा करती हैं कि जम्मू कश्मीर का भारत में विलय अस्थायी है।

उन्होंने कहा, ‘‘1947 में, एक सरकार थी, एक संसद थी और एक संविधान बनाया गया था। जम्मू कश्मीर के लोगों से वादे किए गए और विशेष राज्य का दर्जा दिया गया। 77 साल बाद एक और पार्टी आई, जिसने सत्ता में आने पर अनुच्छेद 370 हटाने की बात कही और उसने ऐसा किया। यह हमारी नहीं, बल्कि देश की विफलता है। उन्होंने हमें धोखा दिया, हमने नहीं दिया है।’’

मुफ्ती ने कहा, ‘‘आज, उन्होंने अनुच्छेद 370 को अस्थायी घोषित कर देश को कमजोर कर दिया।’’

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest