ग्राउंड रिपोर्ट: हाई अलर्ट पर नूंह, एहतियातन कुछ लोग रिश्तेदारों के घर गए
''पहले भी हमारे गांव के लोगों का कोई रोल नहीं था, आज भी कोई रोल नहीं है। हमने सबको कह दिया कि अपने घर पर रहना है, कहीं बाहर नहीं जाना। यात्रा निकले या न निकले हमें कोई लेना-देना नहीं है। गांव के जिम्मेदार लोगों ने सबको समझाकर कहा है कि आपको कहीं नहीं जाना है अपने घर पर ही रहना है।'' ये कहना है बड़कली चौक के क़रीब एक गांव के बुजुर्ग का।
इस गांव के बुजुर्गों के मुताबिक थोड़ा डर और दहशत इस बात की है कि कहीं पहले की तरह कुछ हो न जाए और फिर आरोप आस-पास के गांव वालों के ऊपर आए। गांव की औरतों से बात की तो उन्होंने बताया कि आज भी शाम होते हीं गांव के बुजुर्ग मर्द और लड़के चारपाई लेकर पहाड़ों पर ही सोने जाते हैं और सुबह होने पर फिर से सिर पर चारपाई लेकर गांव लौट आते हैं।
गांव में आती हर गाड़ी पर स्थानीय लोगों की सवाल करती निगाहें टिक जाती हैं, कुछ लोगों को फोन उठाते ही सबसे पहले यह कहते सुना कि ''तेरी साइड में क्या हाल है'' ?
यात्रा से एक दिन पहले के हालात
27 अगस्त की शाम को नूंह से लौटते हुए रास्ते में कई जगहों पर दुकानें बंद दिखी, सड़क पर आम लोगों की गाड़ी कम पुलिस की आवाजाही ज़्यादा थी, रोडवेज की बस भी खाली ही जाती हुई दिखाई दी। शाम होते-होते पूरे नूंह में तो नहीं लेकिन जिन जगहों पर 31 जुलाई के दिन हिंसा भड़की थी वहां सन्नाटा दिखाई दिया। हम बड़कली चौक (जहां हिंसा हुई थी) भादस (जहां गुरुकुल को घेर लिया गया था) माण्डीखेड़ा, नूंह पुरानी तहसील, नल्हड़ गांव समेत कुछ एक गांव गए। हमने जानने की कोशिश की 28 अगस्त को लेकर क्या माहौल है? नल्हड़ की तरफ जाती सड़क पर पुलिस और पैरामिलिट्री की तैनाती की गई थी। हर आने जाने वाले से सख़्ती से पूछताछ की जा रही थी। साथ ही सभी के आईडी चेक किए जा रहे थे। जबकि इसी सड़क पर कुछ आगे बढ़ने पर हसन खान मेवाती गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज है इस मेडिकल कॉलेज से नल्हड मंदिर की ओर जाने वाले रास्ते से हमें आगे नहीं जाने दिया गया। हमने अपना प्रेस कार्ड दिखाया तो कहा गया ''प्रेस को भी जाने की मनाही है।'' हम वहां से लौट गए।
नूंह से नल्हड़ की तरफ जाती सड़क
इन रास्तों पर जगह-जगह कुछ दुकानों पर पेड़ की छाया में तख़्त लगा कर बैठने की व्यवस्था दिखी जहां स्थानीय लोग आम दिनों में बैठा करते थे लेकिन वो सब सुनसान पड़ा था, गांव के अंदर अपने घरों के बाहर कुछ लोग दिखे।
यात्रा निकालने पर अड़े हिंदू संगठन
13 अगस्त को पलवल में हुई सर्व जातीय हिंदू महापंचायत में 31 जुलाई को अधूरी रह गई यात्रा को पूरा करने का ऐलान किया गया था और 28 अगस्त की तारीख़ तय की गई थी। हालांकि पुलिस-प्रशासन ने यात्रा की इजाजत नहीं दी है लेकिन बयान आ रहे हैं कि यात्रा निकाली जाएगी। विश्व हिंदू परिषद से जुड़े सुरेंद्र जैन ने कहा कि ''धार्मिक यात्राओं के लिए अनुमति नहीं ली जाती, धार्मिक यात्राओं के लिए प्रशासन स्वयं आगे बढ़कर सहयोग देता है, सुरक्षा देता है।'' वीएचपी से ही जुड़े आलोक कुमार ने कहा कि ''हम जानते हैं कि G-20 शुरू होने वाला है इसलिए हम यात्रा को छोटा करेंगे लेकिन हम इसे छोड़ेंगे नहीं और इसे पूरा करेंगे और मैं भी इसमें भाग लूंगा, कानून और व्यवस्था के मुद्दे क्यों उठेंगे? सरकार वहां क्यों है?
#WATCH | Delhi: Dr Surendra Jain, Vishva Hindu Parishad speaks on the VHP yatra in Nuh, says, "Permission for religious rally is not required...The administration comes forward and extends support for the religious rally." pic.twitter.com/oG9GKomrqP
— ANI (@ANI) August 26, 2023
#WATCH नूंह यात्रा पर आलोक कुमार, विश्व हिंदू परिषद(VHP) ने कहा "हम जानते हैं कि G20 शुरू होने वाला है, इसलिए हम यात्रा को छोटा करेंगे, लेकिन हम इसे छोड़ेंगे नहीं और कल इसे पूरा करेंगे और मैं भी इसमें भाग लूंगा... कानून और व्यवस्था के मुद्दे क्यों उठेंगे? सरकार वहां क्यों है?… pic.twitter.com/6deagGG8Dd
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 27, 2023
''यात्रा के लिए मना किया गया है''
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि ''यात्रा के लिए मना किया गया है'' लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि लोग अपने आस-पास के मंदिरों में जाकर जलाभिषेक कर सकते हैं। दरअसल आज सावन का आख़िरी सोमवार है।
VIDEO | "The Haryana administration has denied permission to take out 'Jal Abhishek Yatra' in order to maintain law and order situation in Nuh, but devotees can perform the rituals at nearby temples," says Haryana CM @mlkhattar on VHP's call to hold the procession in Nuh… pic.twitter.com/HGrYYszwot
— Press Trust of India (@PTI_News) August 27, 2023
हाई अलर्ट पर नूंह
प्रशासन की तरफ से इजाजत न मिलने के बावजूद हिंदू संगठन यात्रा निकालने पर अड़े हैं जिसे देखते हुए प्रशासन की तरफ से कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
- 26 अगस्त से 28 अगस्त की रात तक के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। बल्क SMS सेवा पर भी रोक लगा दी गई है।
- धारा 144 भी लागू कर दी गई है।
- 28 अगस्त यानी की आज स्कूल और बैंकों को भी बंद रखा गया है।
- बाज़ार भी बंद रहेंगे।
- मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1,900 हरियाणा पुलिस के जवान और 24 पैरामिलिट्री की कंपनियों की तैनाती की गई है।
- बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम हैं, हर गाड़ी की गहन तलाशी ली जा रही है और आईडी चेक किए जा रहे हैं।
- दैनिक भास्कर पर छपी ख़बर के मुताबिक हरियाणा के दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से लगते बॉर्डर भी सील कर दिए गए हैं।
नूंह पुरानी तहसील में सन्नाटा दिखा
नूंह पुरानी तहसील में हमने वकील चौधरी मोहम्मद तल्हा से मुलाकात की। हमने उनसे पूछा क्या माहौल है तो उन्होंने कहा, ''आप जिस रास्ते से आए हैं देखा ही होगा क्या माहौल है।'' वो सुनसान रास्तों और सन्नाटे की बात कर रहे थे। मोहम्मद तल्हा सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहते हैं। हमने उनसे पूछा कि ''कुछ लोग डर रहे हैं ऐसा क्यों''? तो उन्होंने बताया, ''चूंकि 31 जुलाई को यहां बहुत बड़ी घटना घटी थी। किसी को पता नहीं था कि इस तरह की वारदात यहां होगी और हम इस तरह से परेशान हो जाएंगे। दोषी बना दिए जाएंगे क्योंकि जिस तरह से पुलिस ने लोगों को पकड़ा, आरोपी बनाया, किसी की लोकेशन देखकर उन्हें उठाया गया। कुछ दुकानदारों ने बाहरी लोगों जैसे राहगीर, मुसाफिर या दूसरे समुदाय के लोगों को बचाया, उन्हें महफूज़ रखा अपने यहां पनाह दी। लेकिन उसके बाद भी उनके मकान तोड़े गए उनको मुल्जिम बना दिया गया उनको क्या पता था यहां कोई वारदात होगी। उसी डर से लोग अपने बच्चों को दूसरी जगह भेजने की सोच रहे हैं। रिश्तेदारी में भेजा कि हम सेफ हो जाएं, कल को कोई बात हो जाए फिर हमारे बच्चों को कहेंगे कि इसमें तुम्हारे बच्चे शामिल थे।'' वे आगे बताते हैं कि ''इन्होंने यात्रा का जो एक रास्ता (रूट) बनाया है, एक रोड मैप है। उसके नज़दीक की कॉलोनियों में उस वारदात (31 जुलाई) के बाद पुलिस घुसी है, उनकी तलाशियां ली गई है, उनके बच्चों को मारा-पीटा गया है, ग़ैर कानूनी हिरासत में रखा गया है और फिर कुछ लोगों को ग़लत केसों में फंसाया भी गया है तो उन्हें डर है कि कहीं कोई वारदात हो गई तो हम कहां जाएंगे। अपने बच्चों और अपने आप को सुरक्षित रखना चाहते हैं वो''।
मोहम्मद तल्हा से मिलकर हम बाहर निकले तो रास्ते और चौक सुनसान दिखे। हमारे साथ मौजूद एक स्थानीय पत्रकार ने बहुत ही उदासी भरे लहज़े में कहा कि ''ये सन्नाटा डरा रहा है, ये चौक, ये अड्डे, ये बाज़ार बहुत ही गुलज़ार रहा करते थे।''
''मैं अपने गांव चला जाऊंगा''
हम हसन मेवाती मेडिकल कॉलेज के बाहर तोड़ी गई दुकानों में से एक शख़्स के घर पहुंचे उनकी मेडिकल की दुकान थी जिस पर 31 जुलाई की घटना के बाद बुल्डोज़र चला दिया गया था। उनका क़रीब 15 लाख का नुकसान हुआ था। उनके ज़रूरी कागज़ आज भी उसी दुकान के मलबे में दबे हैं। वे दावा करते हैं कि उन्होंने सरकार की तरफ से जारी मुआवज़े दाखिल करने के लिए वेबसाइट पर भी आख़िरी तारीख़ के आख़िर मिनट तक कोशिश की लेकिन वेबसाइट नहीं खुली। और यात्रा के ऐलान को लेकर वो फिर से बहुत डरे हुए हैं। वे कहते हैं कि ''जब से इंटरनेट बंद हुआ है, हम डरे हुए हैं। हमारे घर के ठीक सामने एक घर है उनके चार-पांच लड़के हैं वो आज सुबह ही पूरे परिवार के साथ निकल गए। मैं भी निकलने की सोच रहा हूं, गांव चला जाऊंगा। फिर वे कहते हैं कि तुम्हारी लोकेशन दिखा रहा है, लेकिन जब हमारा घर ही यहीं है तो हमारी लोकेशन तो यहीं की आएगी ना। अब लड़ाई होती है या दंगा हो जाता है तो हमें चाहे पता भी ना चले लेकिन वे कहते हैं कि तुम्हारी लोकेशन थी वहां पर। तो जब ये कॉलोनी हाईवे से लगी हुई है तो लोकेशन भी तो यहीं की दिखाएगा न''।
''कहां जाएंगे आप ही बताइए''
हम इनसे मिलकर बाहर निकले तो उन्हीं के पड़ोस में एक और शख़्स दिखे हमने उनसे पूछा कि क्या वो भी यात्रा के ऐलान की वजह से कहीं और चले जाएंगे? तो उन्होंने हमसे ही सवाल कर दिया, ''कहां जाएंगे आप ही बताइए'' ? हालांकि इसी कॉलोनी के कुछ और लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि वे कहीं नहीं जाएंगे, पुलिस पहले ही उनके घर की तलाशी ले चुकी है इसलिए वे कहीं नहीं जाएंगे। हालांकि वे ये बात करते हैं कि घर के लड़के पहले ही बाहर जा चुके हैं और जो हैं वो 28 की सुबह अपने-अपने काम पर चले जाएंगे।
बड़कली चौक
''एहतियातन लोग सेफ़ जगह ढूंढ रहे हैं''
हम लोगों से मिलते हुए आगे बढ़ रहे थे। बड़कली चौक पर हमारी मुलाक़ात एक महिला से हुई। वैसे तो उनका घर दिल्ली-अलवर रोड पर पड़ने वाली एक कॉलोनी में है लेकिन यात्रा के ऐलान की वजह से वे एहतियातन अपने पिता के घर चली आई थीं। हमने उनकी कॉलोनी का माहौल जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया, ''हमारी कॉलोनी में ज़्यादा चहल-पहल नहीं है। यंग लड़के नहीं हैं, औरतें हैं'' हमने उसने पूछा कि ऐसा क्यों है कि यंग लड़के नहीं हैं तो उन्होंने कहा कि, ''उस वक़्त (31 जुलाई) काफी लोगों को उठाया गया था इसलिए एहतियातन लड़के चले गए हैं।'' वे आगे बताती हैं कि, ''वहां खौफ है, पता नहीं कब क्या हो जाए। एहतियातन लोग सेफ जगह ढूंढ रहे हैं क्योंकि मेन रोड पर पड़ता है।'' वे 31 जुलाई को याद करते हुए बताती हैं कि उस वक़्त उनके पति काम के सिलसिले में बाहर थे और वो घर पर अकेली थी इसलिए डर गई थीं। इसलिए उन्होंने एहतियातन अपने पिता के घर आना ही बेहतर समझा। वे कहती हैं कि ''एक ऐसा माहौल है, पता नहीं क्या हो जाए। उस वक़्त न निकल पाए इससे बढ़िया है कि एहतियातन निकल जाएं।''
दिल्ली-अलवर रोड, रेवासन
पुलिस-प्रशासन ने अपनी तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं। चूंकि तावडू में G-20 से जुड़ी बैठक होने वाली है इसलिए प्रशासन हाई अलर्ट पर है, लेकिन हिंदू संगठन ने भी यात्रा को अपनी नाक का सवाल बना लिया है, वहीं इन सबके बीच 31 जुलाई को जहां-जहां हिंसा भड़की थी वहां से लगने वाले गांव के कुछ लोग एहतियातन रिश्तेदारों के पास चले गए। ऐसे में आज का दिन ठीक से गुजर जाए यही दुआ स्थानीय लोग और शायद कहीं ना कहीं प्रशासन भी मांग रहा होगा।
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