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स्वास्थ्य सेवाएं अब स्वास्थ्य उद्योग में बदल गई हैं : डॉ. बी. इकबाल

देश में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की चरमराती स्थिति के संदर्भ में भोपाल में आयोजित छठी डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यानमाला में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. बी. इकबाल और ट्रेड यूनियन नेता अमितावा गुहा ने अपने विचार रखे।
डॉ. बी. इकबाल

सभी के लिए स्वास्थ्य और सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति अंतर्राष्ट्रीय वचनबद्धता के बावजूद स्वास्थ्य का क्षेत्र अब सेवा के बजाय पूरी तरह से उद्योग में बदल चुका है। भारत में बिना मानक वाली दवाएं, आम लोगों की पहुंच से बाहर होती दवाएं, प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं की लचर व्यवस्था, निजीकरण को बढ़ावा, बाजार का दायरा बढ़ते जाना जैसे मुद्दे चुनौतियों के रूप में सामने हैं। ऐसी स्थिति में प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिए नीतिगत बदलाव के लिए दबाव बनाने, समुदाय को जागरूक करने और जन स्वास्थ्य अभियान की प्रक्रियाओं को तेज करने की जरूरत है। ये बातें भोपाल में आयोजित डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यानमाला में वक्ताओं ने कही।

छठी डॉ. अजय खरे स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन जन स्वास्थ्य अभियान मध्यप्रदेश और मध्यप्रदेश ऑफिसर्स एसोसिएशन ने संयुक्त रूप से किया। केरल राज्य योजना बोर्ड के सदस्य व सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. बी. इकबाल ने “प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने की चुनौतियां और निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की जवाबदेही सुनिश्चित करना’’ और सीटू के राष्ट्रीय सचिव व फेडरेशन ऑफ़ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अगुवा अमितावा गुहा ने “दवाएं कैसे स्वास्थ्य सेवाओं के खर्च को प्रभावित करती हैं और लोगों तक किफायती दवाओं की पहुंच के रास्ते” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अमितावा गुहा को जन स्वास्थ्य सम्मान से सम्मानित किया गया।

डॉ. बी. इकबाल ने बताया कि किस तरह स्वास्थ्य सेवाएं स्वास्थ्य उद्योग बन गया है। उन्होंने कहा कि बीमा आधारित स्वास्थ्य के मॉडल (आयुष्मान भारत योजना ) जैसी योजना से स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं हो सकता है। इसके लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल करना होगा और स्वास्थ्य को अधिकार के रूप में स्थापित करना होगा। स्वास्थ्य के मुद्दे को बहुत ही व्यापक तरीके से देखने की जरूरत है और इसे कई अवसरों पर प्रस्तुत भी किया गया है। निजीकरण को बढ़ावा देने के कारण सभी के लिए स्वास्थ्य को लेकर कई अंतर्राष्ट्रीय समझौते के बावजूद स्वास्थ्य सेवाएं लोगों के पॉकेट पर भारी पड़ रही है।

विश्व बैंक, आईएमएफ, डब्ल्यूटीओ, गेट्स के बाद नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र में संकट गहराया है। आज जरूरत है कि निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए व्यापक निगरानी तंत्र बनाया जाए। उन्होंने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा सभी के लिए बिना भेदभाव के उपलब्ध होना चाहिए। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की जगह पब्लिक प्राइवेट कोऑपरेशन होना चाहिए और यह सार्वजनिक फायदे के उद्देश्य से होना चाहिए।

अपने संबोधन में अमितावा गुहा ने कहा कि मेडिकल क्षेत्र में अराजकता जैसे हालात हैं। दवाओं एवं मेडिकल उपकरण के कीमतों पर नियंत्रण नहीं होने से स्वास्थ्य सुविधा आम लोगों की पहुंच से दूर होती गई है। दवा और स्वास्थ्य उपकरण कारोबारी खुले तौर पर कहते हैं कि वे बिजनेसमैन हैं और दवाओं एवं उपकरणों का निर्माण उनके लिए बिजनेस है। मुनाफा कमाना उनका उद्देश्य है। वे अपने कारोबार में न्यूनतम नैतिकता भी नहीं अपनाते हैं। सबसे बड़ी समस्या बिना मानक वाली दवाओं का करोबार और मरीजों पर गैर जरूरी दवाओं की खपत है। दवाओं का कॉबिनेशन बनाकर कीमतें बढ़ाकर दवा कंपनियां लोगों को लूट रही हैं।

उन्होंने बताया इस मुद्दे पर लंबे राजनीतिक संघर्ष के बाद कुछ जीत हासिल हुई है। मल्टीनेशनल कंपनियां कैसे महंगी दवाओं के नाम पर जनता को लूट रही है यह सबूत आधारित आंकड़ों के साथ देश में उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने बताया कि संगठनों के संघर्ष से 380 दवाओं को प्रतिबंधित किया गया था, जिसकी जरुरत नही थी, लेकिन आज उस प्रतिबंध को खत्म कर पुनः बाजार में लेने की तैयारी चल रही है। उन्होंने ने कहा कि बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनियां पेटेंट कानून का उपयोग कर महंगी दवाएं लोगों को दे रही हैं। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) वी. विजय कुमार ने की। उन्होंने कहा कि वर्तमान सदी में डॉक्टर, वकील और शिक्षकों में मूल्यों की गिरावट आई है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा दोनों अहम मुद्दे हैं, इसलिए जरूरी है कि लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाए। इस अवसर पर जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि ने बताया कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के लिए इन सभी मुद्दों पर एक ज्ञापन मध्यप्रदेश सरकार को दिया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन एस.आर. आज़ाद ने किया। मध्यप्रदेश मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. माधव हसानी ने आभार व्यक्त किया।

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