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बार्ज त्रासदी अगर ‘मानव निर्मित आपदा’ है तो इसकी जवाबदेही किसकी है?

बार्ज पी-305 ओएनजीसी के तेल कुएं के लिए काम कर रहा था और इसका कांट्रैक्ट एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के पास है। मामले के तूल पकड़ने के बाद सभी पक्ष अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की कोशिश में लग गए हैं। ओएनजीसी कुछ भी आधिकारिक तौर पर कहने से बच रहा है तो वहीं एफकॉन्स कप्तान के सिर सारी जिम्मेदारी मढ़ रही है।
बार्ज त्रासदी अगर ‘मानव निर्मित आपदा’ है तो इसकी जवाबदेही किसकी है?
Image courtesy : Twitter/Indian Navy

बार्ज त्रासदी को अब ‘मानव निर्मित आपदा’ कहा जा रहा है, और इसका सबसे बड़ा कारण सरकार द्वारा संचालित ओएनजीसी और उसके कांट्रैक्टर एफकॉन्स द्वारा मौसम विभाग और भारतीय तटरक्षक बल की तरफ से जारी तूफान ताउते को लेकर तमाम चेतावनियों को नजरअंदाज करना है। सरकार ने इस मामले में जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन जरूर किया है लेकिन सरकार के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान यहां खुद सवालों के घेरे में है। विपक्ष उनके इस्तीफ़े की मांग कर रहा है तो, वहीं चौतरफा सवाल उठ रहे हैं कि आखिर समुद्री तूफान की पूर्व सूचना समय पर जारी हो जाने के बावजूद बार्ज पी-305 को उसके स्थान से हटाकर सुरक्षित स्थान पर क्यों नहीं लाया गया? बजरे पर रखे 16 में से 14 राफ्ट (लाइफ बोट्स) पंचर क्यों थे? इसकी जिम्मेदारी और जवाबदेही किसकी है?

आपको बता दें कि चक्रवात ताउते 17 मई को तड़के मुंबई में अरब सागर के तट पर टकराया, जिससे ओएनजीसी के प्रमुख उत्पादन ठिकाने और वहां स्थित ड्रिलिंग रिग इसकी चपेट में आ गए। बार्ज P305 के अलावा बार्ज सपोर्ट स्टेशन-3 और बार्ज जीएएल कंस्ट्रक्टर, और ओएनजीसी के लिए खनन करने वाला जहाज सागर भूषण ने भी महाराष्ट्र की राजधानी से लगभग 70 किमी दूर मुंबई हाई के हीरा ऑयल फील्ड के पास लंगर डाल रखे थे।

भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने अब तक मुंबई तट के पास चार जहाजों से 600 से अधिक कर्मियों को बचाया है। वे अब भी समुद्री और हवाई उपकरणों के जरिये लापता लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। खबर लिखे जाने तक बार्ज के डूब जाने से कम से कम 49 श्रमिकों की मौत हुई है और कई अन्य लापता हैं। मुबंई पुलिस ने इस संबंध में कैप्टन और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की है।

16 लाइफ बोट में से 14 में छेद थे!

मालूम हो कि बार्ज या बजरा एक स्वचालित या टग के इस्तेमाल के साथ चलने वाली चपटे तल वाली नाव होती है जिसे नदी और नहर के जरिये ज्यादा मात्रा में माल ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब तूफान आया तो बार्ज P305 पर 261 लोग सवार थे। बुधवार 19 मई को जैसे ही 22 शव बाहर निकाले गए, बार्ज से करीब 50 लोग लापता पाए गए। इस बार्ज पर वह लोग सवार थे जो ओएनजीसी के प्लेटफॉर्म्स और रिग्स में काम करते थे। ये बार्ज बिना इंजन वाला था जैसे इस कैटेगिरी के अन्य बार्ज होते हैं। आमतौर पर बार्ज को एक टग बोट के जरिए खींचा जाता है। चीफ इंजीनियर रहमान शेख ने कहा कि उन्होंने P305 की टगबोट को SOS भेजा था लेकिन उसके मालिक ने शायद वह देखा ही नहीं।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए 48 साल के इंजीनियर रहमान ने कहा, “तूफान के हफ्ते भर पहले ही हमें चेतावनी मिली थी। आस-पास के कई बार्ज वापस लौट गए थे। मैंने कैप्टन बलविंदर सिंह से कहा था कि हमें भी वापस बंदरगाह चलना चाहिए। लेकिन उन्होंने कहा कि हवाएं 40 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक नहीं होंगी और तूफान एक से दो घंटे में मुंबई पर से गुजर जाएगा। लेकिन हवाएं 100 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी तेज थी। हमारे 5 एंकर टूट गए थे। वो तूफान का सामना नहीं कर सके।”

रहमान शेख ने आगे कहा कि उन्होंने कुछ नेवी के जहाज़ों को अपनी ओर आते देखा था लेकिन वह P305 तक पहुंच पाते, उससे पहले ही बार्ज एक ऑयल रिग से टकरा गया। इसकी वजह से एक बड़ा छेद हो गया और उसमें पानी भरना शुरू हो गया। बार्ज पर मौजूद लोगों ने लाइफ राफ्ट्स की मदद से निकलना चाहा, लेकिन केवल दो ही सही निकलीं बाकी 14 में छेद थे। हवा बहुत तेज थी और लहरें भी बहुत ऊंची थीं। किसी में इतनी हिम्मत नहीं बची थी कि स्टारबोर्ड की तरफ जाकर वहां मौजूद 16 लाइफ राफ्ट्स को चेक करे।

पल्ला झाड़ने जुटी बार्ज पी-305 से जुड़ी एजेंसियां

भारतीय नौसेना ने शेख को सकुशल बचा लिया, लेकिन बार्ज के कप्तान बलविंदर अभी भी लापता हैं। अब सरकार द्वारा गठित समिति और मुंबई पुलिस दोनों मामले की जांच शुरू कर चुकी हैं, जिसके बाद बार्ज से जुड़े सभी पक्ष अब अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते दिखाई दे रहे हैं। बार्ज पी-305 ओएनजीसी के तेल कुएं के लिए काम कर रहा था। इस दुर्घटना के बाद से अब तक ओएनजीसी की कोई अधिकृत बयान सामने नहीं आया है। हालांकि न्यूज एजेंसी पीटीआई के जरिए उसका जो पक्ष सामने आया है, उसके अनुसार पहले से दी गई अधूरी सूचना और चक्रवाती तूफान ताउते की गति एवं मार्ग के गलत आकलन से यह गलत धारणा बनी की तूफान के कारण अरब सागर में काम रोके जाने की कोई जरूरत नहीं है।

ओएनजीसी की ओर से ठेके पर काम कर रहे एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लि. का कहना है कि उसे अपने ‘सर्विस प्रोवाडर’ की ओर से रोज दिन में दो बार मौसम के पूर्वानुमान की जानकारी मुहैया कराई जाती है। इसके अनुसार ही वह समुद्र में अपना कामकाज निर्धारित करते हैं। 14 मई को जो मौसम का पूर्वानुमान प्राप्त हुआ, उसमें कहा गया था कि 16 मई की रात से 17 मई की सुबह तक तूफान के दौरान एफकान के कार्यस्थल के निकट हवा की गति अधिकतम 40 समुद्री मील प्रति घंटा की हो सकती है। दुर्भाग्यवश 16 मई की शाम से मौसम तेजी से बदलने लगा और 17 की सुबह तक यह पूर्वानुमान के विपरीत बहुत खराब हो गया।

हालांकि अब एफकान अपने ताजा बयान में दुर्घटना की सारी जिम्मेदारी बार्ज पर तैनात कैप्टन पर ढकेलता नजर आता है। उसका कहना है कि सामान्य समुद्री प्रोटोकाल के मुताबिक किसी भी स्थिति में अंतिम निर्णय लेने की जिम्मेदारी बार्ज के मास्टर (कैप्टन) की होती है। क्योंकि जहाज की वास्तविक स्थिति का आकलन वही कर सकता है।

सरकार क्या कर रही है?

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने गलती और लापरवाही के लिए उच्च स्तरीय जांच के लिए समिति का गठन किया है। बुधवार, 19 मई को जारी मंत्रालय के बयान के मुताबिक, "ओएनजीसी के कई जहाज, जिनमें 600 से ज्यादा लोग सवार थे, चक्रवात ताउते के दौरान अपतटीय क्षेत्रों में फंसे हुए थे। फंसे होने, प्रवाहित होने और उसके बाद की घटनाओं के कारण कई लोगों की जान चली गई।"

इस समिति को जांच रिपोर्ट एक महीने के अंदर पेश करनी है। समिति को जिन विषयों पर जांच करना है उसमें एक विषय यह भी है कि क्या मौसम विभाग और अन्य एजेंसियों द्वारा दी गई चेतावनियों पर पर्याप्त रूप से विचार किया गया और उन पर कार्रवाई की गई।

विपक्ष ने मांगा पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का इस्तीफ़ा

बार्ज पी-305 की घटना को लेकर महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ दल महाविकास आघाड़ी ने केंद की मोदी सरकार पर सवाल उठाया है। पार्टी ने पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के इस्तीफे की मांग के साथ ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की बात भी कही है।

शिवसेना सांसद और वरिष्ठ नेता अरविंद सावंत ने कहा, ‘‘ओएनजीसी धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन है। भाजपा नेता उनका इस्तीफा क्यों नहीं मांगते? इस त्रासदी में जानमाल के भारी नुकसान के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा, मुआवजा और अन्य राहत दी जाएगी ... केवल उंगलियां उठाई जा रही हैं, कुछ करेंगे नहीं?’’

कांग्रेस के राज्य प्रवक्ता सचिन सावंत ने इसे ‘मानव निर्मित त्रासदी’ करार देते हुए कहा कि पी-305 बार्ज पर सवार 37 निर्दोष लोगों की मौत हो गई, जबकि 38 से अधिक लोग लापता हैं।

सावंत ने कहा, ‘‘चक्रवात ताउते की चेतावनी पहले ही दे दी गई थी। श्रमिकों के जीवन को खतरे में डालने वाले सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। धर्मेंद्र प्रधान को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।’’

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने बार्ज आपदा के लिए सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में कार्रवाई और गैर इरादतन हत्या के आरोपों की मांग करते हुए कहा कि इस घटना के लिए प्रधान को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, जिसमें 37 लोग मारे गए और कई अन्य लापता हो गए।

मलिक ने कहा, ‘‘हर कोई चक्रवात के बारे में जानता था और सभी को आवश्यक सावधानी बरतने के लिए चेतावनी जारी की गई थी। जबकि मछुआरों को सुरक्षा के लिए ले जाया गया और समुद्र में जाने से रोका गया, ओएनजीसी ने इन चेतावनियों पर ध्यान क्यों नहीं दिया और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन क्यों नहीं किया?”

इन मौतों की जवाबदेही कब तय होगी?

गौरतलब है कि हमारे देश में लोगों की मौत अब सिर्फ आंकड़ों की मोहताज़ बन कर रह गई है। फिर वो कोरोना महामारी के बीच बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से जा रही रोज़ाना हजारों जानें हों या फिर ‘मानव निर्मित आपदा’ बार्ज P305 के डूब जाने से करीब 50 लोगों की हुई मौत हो, जिसे आसानी से टाला जा सकता था। महामारी के सालभर से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी हमारा सिस्टम इससे लड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ, पहली लहर से ज्यादा हमने दूसरी लहर में भयावह स्थिति देखी। चक्रवात की सूचना हफ्तेभर पहले मिलने के बाद भी हम नज़रअंदाज़ करते रहे, इसके गुजरने का इंतजार करते रहे। इन सब के बीच जो जरूरी सवाल है वो ये कि क्या इन मौतों की जवाबदेही कभी तय भी होगी या सिर्फ लीपापोती होकर मामले की फाइल बंद हो जाएगी।

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