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गाज़ा मत्स्य क्षेत्र का इस्तेमाल इज़रायल फ़िलिस्तीनीयों को सामूहिक सज़ा देने के लिए कर रहा है

रॉकेट हमलों का वास्ता देकर इज़रालय अक्सर मत्स्य क्षेत्र को प्रतिबंधित कर देता है, जिससे हज़ारों फ़िलिस्तीनियों की आजीविका और खाद्यान्न ख़तरे में आ जाते हैं।
गाज़ा मत्स्य क्षेत्र का इस्तेमाल इज़रायल फ़िलिस्तीनीयों को सामूहिक सज़ा देने के लिए कर रहा है

पिछले महीने इज़रायल में कब्ज़ा किए गए फिलिस्तीनी क्षेत्रों का समन्वय करने वाले सैन्य समूह COGAT (कोर्डिनेटर ऑफ़ गवर्मेंट एक्टिविटीज़ इन द टेरिटोरीज़) ने गाज़ा के मत्स्य क्षेत्र को आधा करने का फ़ैसला लिया। इज़रायल का दावा है कि ऐसा गाज़ा की तरफ से किए गए हमले के जवाब में किया गया है। जो विशेष कारण बताया गया है, उसमें गाज़ा की तरफ से छोड़े गए कुछ ज्वलनशील गुब्बारे थे, जिनके चलते इज़रायल के कुछ खेतों में आग लग गई। मई में गाज़ा में इज़रायली हमले के दौरान कई दिनों तक बंद रहने के बाद हाल में ही मत्स्य क्षेत्र को खोला गया था। इस हमले में 256 से ज़्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो गई थी, वहीं हज़ारों घायल हो गए थे। इस दौरान बड़े स्तर पर नागरिक इमारतों और संरचनाओं को भी नुकसान पहुंचा। 

फिलिस्तीनी और मानवाधिकार समूह इज़रायल द्वारा लगातार गाज़ा के मत्स्य क्षेत्र में अतिक्रमण को एक कब्ज़ाई गई आबादी पर सामूहिक सजा लागू किए जाने के रूप में देखते हैं। जबकि जेनेवा कंवेशन की धारा 33 के तहत इसकी मनाही है।

ओस्लो समझौते का उल्लंघन

1994 के ओस्लो समझौते के मुताबिक़, इज़रायल ने भूमध्यसागर में 20 नॉटिकल मील तक मछली शिकार पर सहमति जताई थी। मत्स्य क्षेत्र करीब़ 70,000 गाज़ा के नागरिकों को आजीविका उपलब्ध करवाते हैं। बता दें गाज़ा पट्टी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक है। यहां 365 वर्ग किलोमीट में करीब़ 20 लाख लोग रहते हैं। मछली पालन और शिकार यहां आजीविका और भोजन का प्रमुख साधन है। 

लेकिन अक्सर इज़रायल इलाके में यह गतिविधि रुकवा देता है और उसने कभी ओस्लो समझौते का पालन नहीं किया। बीच-बीच में इज़रायल ने सिर्फ़ 12 नॉटिकल मील तक ही आखेटन की अनुमति दी है। 2006 में जब इज़रायल ने गाज़ा क्षेत्र पर ज़मीन, हवा और समुद्र का समग्र प्रतिबंध लगाया था, तब इज़रायल मछली आखेटन क्षेत्र को 6 नॉटिकल मील और बाद में 3 नॉटिकल मील और घटा दिया था। गाज़ा के आसपास इज़रायल बड़ी मात्रा में सैन्य तैनाती रखता है।

जब भी कोई ज्वलनशील गुब्बारा या रॉकेट गाज़ा पट्टी की तरफ से इज़रायल में जाता है, तो इज़रायल तुरंत तथाकथित प्रतिकार्रवाई में कदम उठा लेता है। आमतौर पर इज़रायल अपनी प्रतिक्रिया में मछली पकड़ने की गतिविधियों पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध लगा देता है। इस साल में मई में गाज़ा पर हमले के दौरान सभी तरह की गतिविधियां रोक दी गई थीं। संघर्ष विराम के बाद मछली पकड़ने पर एक सीमा में छूट दी गई थी।

गाज़ा की मत्स्य आखेटन अर्थव्यवस्था

गाज़ा के मछुआरों को हमेशा इज़रायल द्वारा लगाए गए इन प्रतिबंधों का नुकसान उठाना पड़ा है। एक वक़्त पर, प्रतिबंध लगाए जाने के पहले गाज़ा में 10,000 मछुआरे थे। अब यह संख्या घटकर 4000 पहुंच गई है। ज़्यादातर मामले में यह मछुआरे अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य रहे हैं। मतलब गाज़ा में करीब़ 50,000 लोग इस क्षेत्र पर आश्रित हैं। इन 4000 पंजीकृत मछुआरों में से करीब़ आधों के पास फिलहाल कोई काम नहीं है। वहीं 95 फ़ीसदी मछुआरे गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं, मतलब इनकी मासिक आय 2,294 इज़रायली शेकेल या 600 अमेरिकी डॉलर से कम है। इज़रायल की कठोर नीतियों, जिनमें समुद्र तक पहुंच, मछली निर्यात, कच्चे माल के प्रवेश पर प्रतिबंध के साथ-साथ मछुआरों का उत्पीड़न और उनकी हत्या शामिल हैं, इन नीतियों के चलते गाज़ा के मत्स्य आखेटन क्षेत्र में बहुत गिरावट दर्ज की गई है। 

गाज़ा में मत्स्य पालन हमेशा से एक ज़्यादा लोगों को रोज़गार देने वाला स्त्रोत् रहा है। इन 4000 मछुआरों के अलावा कई लोग मत्स्य उद्योग से जुड़े धंधों से जुड़े हैं। इनमें नौकाओं को ठीक करना और मछलियों की खुदरा बिक्री शामिल है।

2006 में गाज़ा का ब्लॉकेड लगाने के पहले मछुआरों को वेस्ट बैंक और इज़रायल में मछली बेचने की अनुमति थी। लेकिन ब्लॉकेड के बाद इज़रायल ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। 

इज़रायल ने कई मछुआरों को घायल किया है और कई की हत्या की है। इनमें से ज़्यादातर बिना हथियार के थे और उनसे इज़रायल की नौसैनिक पोतों या दूसरी चीजों को कोई खतरा नहीं था। समय-समय पर इज़रायली नौसेना मछुआरों की नावों को भी जब्त करती रहती है और उनके ऊपर 500 इज़रायली शेकेल का जुर्माना भी लगाती है।

सामूहिक सजा

गाज़ा का ब्लॉकेड लगाया जाना अपने-आप में एक सामूहिक सजा है, जहां कुछ लोगों के काम के ऐवज़ में इज़रायल इस सजा का उपबंध करता है। यह प्रतिक्रिया में अनुपात के सिद्धांत का भी उल्लंघन करता है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून में उल्लेखित है। बहुत साधारण से रॉकेट दागे जाते हैं या ज्वलनशील गुब्बारे भेजे जाते हैं, जिनका मकसद ब्लॉकेड और कब्ज़े का विरोध करना होता है, इसकी तुलना हजारों लोगों से उनका रोज़गार छीनने से नहीं की जा सकती। 

UNICEF ने 2017 में पाया कि गाज़ा में 40 फ़ीसदी घर अनुमानित तौर पर गंभीर या औसत स्तर पर खाद्यान्न असुरक्षा के शिकार हैं।  यह पाया गया कि गाज़ा के नागरिकों के बीच ऊंची खाद्यान्न असुरक्षा की स्थिति में मत्स्य आखेटन क्षेत्र इस समस्या को हल करने का एक विकल्प बन सकता है। 

गाज़ा स्थित "अल मेजन सेंटर फॉर ह्यूमन राइट्स" ने अप्रैल में कहा कि इस साल इज़रायल की गतिविधियों.... के चलते बीस लाख से ज़्यादा फिलिस्तीनी निवासियों को गैरकानूनी सामूहिक सजा भुगतनी पड़ी। यह इज़रायली सत्ता के फिलिस्तीनी लोगों के साथ नस्लीय भेदभाव के तहत किए जाने वाले व्यवहार, कानून और नीतियों के तहत आती है।"

पिछले साल UN के स्पेशल रिपोर्टियर माइकल लिंक ने मानवाधिकार परिषद के 44वें सत्र में कहा था "फिलिस्तीनी नागरिकों को नियंत्रित करने की इज़रायली नीति हर आधुनिक न्याय व्यवस्था की बुनियादी नियमों का उल्लंघन करती है; मतलब सिर्फ़ दोषियों को उनके कृत्य के लिए सजा दी जा सकती है, वह भी एक तय प्रक्रिया के बाद। दूसरे लोगों के कृत्यों के लिए निर्दोषों को कभी सजा नहीं दी जा सकती है।"

गाज़ा में रहने वाले लोग पहले ही बड़ी आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं, जिसमें ब्लॉकेड के चलते जीवन स्तर में गिरावट और आय व खाद्यान्न के सभी स्त्रोतों का बंद होना है। मत्स्य क्षेत्रों से भी गाज़ा को दूर करना उनकी दर्द को सिर्फ बढ़ाना ही है।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Israel Uses the Gaza Fishing Zone as a Tool for Collective Punishment against Palestinians

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