"जेएनयू पर हमला, गरीब जनता के ऊपर हमला है"
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार 5 जनवरी की शाम हिंसा हुई। इस हिंसा के खिलाफ देश-विदेश में लोग सड़कों उतरे। कहीं छात्रों ने कैंडल मार्च निकाला तो कहीं नागरिक समाज के लोगों ने धरना दिया। सभी ने एक स्वर में इस घटना की निंदा की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
जेएनयू में हुई हिंसा का असर देश के सभी राज्यों में देखने को मिला। तमाम छोटे-बड़े जिलों, इलाकों में आम लोगों ने अपने-अपने तरीकों से इस घटना पर दुख जाहिर किया और सरकार को कठघरे में खड़ा किया। देश के लगभग सभी शिक्षण संस्थानोंं में छात्र लगातार इस हमले का विरोध कर रहे हैं। साथ ही कानून व्यवस्था पर भी कई सवाल उठा रहे हैं।
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प्रदर्शन इतने व्यापक थे कि एक बार में रिपोर्ट करना संभव नहीं। इसी रिपोर्ट की दूसरी कड़ी-
दिल्ली
जेएनयू में हुई हिंसा के दौरान भ्रामक रिपोर्टिंग के खिलाफ सोमवार 6 जनवरी को भारतीय जनसंचार संस्थान में विरोध प्रदर्शन हुआ। इसमें मीडिया से जुड़े लोग और संस्थान के पूर्व छात्र शामिल हुए। सभी ने जी न्यूज़ की रिपोर्टिंग को गलत करार देते हुए इसे पत्रकारिता के मूल्यों के खिलाफ बताया।
प्रदर्शाकारियों ने बताया, ‘जेएनयू में जो कुछ हुआ, ज़ी न्यूज़ ने उसकी भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत रिपोर्टिंग की। इसके विरोध में आज हम जी मीडिया के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन इजाजत नहीं मिली इसलिए यंहा कर रहे हैं। जी न्यूज़ के संपादक सुधीर चौधरी इसी संस्थान के पूर्व छात्र हैं लेकिन हम उनकी पत्रकारिता का विरोध करते हैं क्योंकि वो पक्षपात और पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। इसलिए हम उन्हें अब अपना एल्युमनाई मानने से इंकार करते हैं।'
इस संबंध में संस्थान के पूर्व छात्र रोहिन कुमार ने न्यूज़क्लिक से कहा, ‘जेएनयू के खिलाफ माहौल खड़ा करने में मीडिया का सबसे बड़ा योगदान रहा है। भारत सरकार जिस यूनिवर्सिटी को खुद ही नंबर एक बताती है, उस यूनिवर्सिटी को मीडिया ने सिर्फ और सिर्फ नेशनल और एंटी नेशनल, राइट और लेफ्ट जैसी बाइनरी में तब्दील कर दिया है। बतौर मीडियाकर्मी हमारे लिए यह जरूरी हो गया है कि हम ऐसे चैनलों, एंकरों और रिपोर्टरों को नेम एंड शेम करें, इनसे खुद को अलग करें। पत्रकारिता को बचाने के लिए पत्रकारों की ओर से यह पहली मुहिम है। आईआईएमसी का प्रदर्शन इस मायने में बहुत जरूरी है।
सोमवार 6 जनवरी को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू में हुई हिंसा के विरोध में शांतिपूर्ण मार्च निकाला। सैकड़ों की संख्या में छात्र नार्थ कैंपस होते हुए लेफ्टिनेंट गवर्नर हाउस पहुंचे और सचिव को एक ज्ञापन सौंपा।
छात्रोंं ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘एबीवीपी ने जेएनयू कैंपस में छात्र-छात्राओं और शिक्षकों पर हमला किया है। हमले के दौरान पुलिस जेएनयू गेट पर मौजूद तमाशबीन बनी रही और 3 घंटे तक कैंपस के भीतर हिंसा को अंजाम दिया गया। हमारी मांग है कि दिल्ली में कानून बहाल हो, विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार को सुरक्षित किया जाए और देशभर के कैम्पसों लोकतांत्रिक माहौल को कायम हो। समाज या संस्थान पर एक खास विचारधारा को थोपने की कोशिश को आम छात्र बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
पंजाब
चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने जेएनयू में हुई हिंसा का विरोध किया। हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानी चंद गुप्ता ने एक संगोष्ठी के दौरान जब मोदी सरकार की उपलब्धियां और योजनाएं गिनवा रहे थे। तभी कुछ छात्रों ने इसका विरोध किया और जेएनयू हिंसा का जिक्र करते हुए केंद्र की मोदी सरकार को दमनकारी बताया।
पीयू स्टूडेंट काउंसिल की पूर्व प्रेसिडेंट कनुप्रिया ने न्यूज़क्लिक से कहा, ‘एबीवीपी ने पहली बार गुंड़ागर्दी नहीं की। वे पहले भी करते रहे हैं अब प्रशासन उन्हें शह दे रहा है। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष पर हुआ हमला भयावह है। ये हमला प्रायोजित था और छात्रों की आवाज दबाने के लिए किया गया है। आज जेएनयू निशाने पर है, कल कोई भी हो सकता है।'
गुजरात
जेएनयू हिंसा का असर गुजरात में भी व्यापक स्तर पर देखने को मिला। अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम) के गेट के बाहर छात्रों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्र अपने हाथों में बैनर लेकर आए थे, जिस पर लोकतंत्र और संविधान बचाने के नारे लिख हुए थे।
आईआईएम के गेट पर हुए इस विरोध प्रदर्शन में सीआईपीटी विश्वविद्यालय, एमआईडी, निरमा और जीटीयू जैसे कई संस्थानों के छात्रों ने हिस्सा लिया। इस दौरान छात्रों ने फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म हम देखेंगे भी गाई। साथ ही कुछ छात्रों ने आज़ादी के नारे भी लगाए।
प्रदर्शन में विधायक जिग्नेश मेवाणी भी शामिल हुए। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाते हुए कहा कि छात्रों पर ये हमला जेएनयू को आने वाले दिनों में बंद करने के लिए ही किया गया है। 2014 से ही मोदी सरकार लगातार जेएनयू को लेकर विवाद खड़ा कर रही है ताकि इसे बंद किया जा सके।
भोपाल
सोमवार को एबीवीपी के खिलाफ भोपाल में कई छात्र संगठनों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने एबीवीपी कार्यालय के सामने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और पीएम मोदी का पुतला फूंका। प्रदर्शकारियों ने एबीवीपी पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की।
एनएसयूआई के विवेक ने बताया, 'सभी जानते हैं कि एबीवीपी बीजेपी समर्थित छात्र संगठन है और इसलिए उसके हौसले बुलंद हैं। केंद्र सरकार के फैसलों की वजह से विश्वविद्यालयों का माहौल खराब हो रहा है और डर का माहौल बनाया जा रहा है। छात्रों की आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है ताकि छात्र सरकार पर सवाल ना उठा सकें।'
हैदराबाद
जेएनयू में नकाबपोश हमलावरों द्वारा छात्रों और शिक्षकों पर किए गए हमले के खिलाफ हैदराबाद में तीन विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन हुआ। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू), मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी और उस्मानिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जेएनयू हिंसा की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
उस्मानिया यूनिवर्सिटी परिसर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन (पीडीएसयू) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) से जुड़े छात्रों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों ने जेएनयू हिंसा की निंदा की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने एबीवीपी का एक पुतला भी जलाया।
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (एमएएनयूयू) के छात्रों और शिक्षकों ने भी विरोध मार्च निकालकर जेएनयू हिंसा की निंदा की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। यहां छात्रों ने जेएनयू परिसर में फैलाए गए आतंक के खिलाफ पूरे परिसर में मार्च किया और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की।
झारखंड
सोमवार 6 जनवरी को राजधानी रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर बड़ा प्रदर्शन हुआ। इसमें छात्र संगठनों के साथ कई आदिवासी संगठन, नागरिक समाज के लोग और झारखंड विधानसभा के सदस्य (भाकपा माले) विनोद सिंह भी शामिल हुए। इसके साथ ही जमशेदपुर में झारखंड जनतांत्रिक महासभा ने भी एक प्रदर्शन किया।
इस संबंध में प्रदर्शनकारी बीरेंद्र कुमार ने न्यूज़क्लिक को बताया, 'हम जेएनयू प्रशासन तथा दिल्ली पुलिस के प्रोटेक्शन में संघ गिरोह तथा ABVP के गुंडों द्वारा जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों के ऊपर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हैं। जेएनयू के ऊपर हुए हमले को हम गरीब जनता के ऊपर हमला मानते हैं क्योंकि जेएनयू ने हमेशा शोषितों के न्याय के पक्ष में खड़े रहने का काम किया है। हमJNUSU की अध्यक्ष तथा अन्य छात्रों के ऊपर जेएनयू प्रशासन द्वारा किए गए FIR को भी वापस लेने की माँग करते हैं।
आने वाले समय में केंद्र की जनविरोधी भाजपा सरकार और संघ गिरोह, ABVP जैसी फासीवादी ताकत का मुकाबला और जवाब हमलोग छात्रों के एकता तथा जनता के समर्थन से और भी ज्यादा मजबूती के साथ करेंगे। इस कायरतापूर्ण बर्बरतम हमले से हमलोग डरने वाले नहीं है, हमलोग आन्दोल से एक इंच पीछे हटने वाले नहीं है, देश भर में आंदोलन और ज्यादा तेज होगा।'
कोलकाता
पंश्चिम बंगाल की जादवपुर युनिवर्सिटी में भी छात्रों ने जेएनयू के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाई और प्रदर्शन किया।
इस संबंध में विश्वविद्यालय के छात्र समन्वय ने न्यूज़क्लिक को बताया, ‘जो कल जेएनयू में हुआ, वो बहुत निंदनीय है। ये सही मायनों में फासीवादी हमला है। बीजेपी सरकार एक इंच भी आगे नहीं जाएगी। ये हमला हमें कतई स्वीकार नहीं है।'
उत्तर प्रदेश
जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों पर हुए हिंसक हमले के विरोध में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी मेंं छात्रों ने सोमवार को मधुबन पार्क में एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया। सभा में छात्रों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। सरकार से सवाल पूछे और गृहमंत्री से इस्तीफे की मांग की।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में भी छात्र जेएनयू की एकजुटता में नज़र आए। छात्रों ने विश्वविद्यालय यूनियन हॉल के सामने प्रदर्शन किया साथ ही गृहमंत्री अमितशाह से इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि संस्थानों पर हमला कर अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की साजिश की जा रही है। छात्र सरकार की आंखों में खटकने लगे हैं।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने प्रदर्शन किया, विरोध मार्च निकाला। एएमयू टीचर्स एसोसिएशन ने जेएनयू में हुई हिंसा की कड़ी निंदा की।
राजधानी लखनऊ में भी तमाम छात्र संगठनों ने दोपहर को हजरतगंज स्थित गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद समाजवादी छात्र सभा ने भी केंद्र सरकार को घेरते हुए जमकर प्रदर्शन किया और जेएनयू में हुई हिंसा की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई की मांग की।
महाराष्ट्र
नागपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू में हमले की निंदा की। राष्ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू के छात्रों एवं शिक्षकों पर हुए हमले के विरोध में यहां मंगलवार को प्रदर्शन किया।
बाबासाहेब आंबेडकर विद्यार्थी संगठन के बैनर तले प्रदर्शनकारी विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के आगे एकत्र हुए और जेएनयू में हुए हमले की निंदा की।छात्र संघ के अध्यक्ष भूषण वाघमारे ने कहा, ‘‘जेएनयू में हुए हमले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।’’
मुबंई में विभिन्न कॉलेजों के छात्र रविवार देर रात जेएनयू में हुई हिंसा के विरोध में 'गेटवे ऑफ इंडिया' पर एकत्र हुए। आईआईटी बॉम्बे, मुबंई विश्वविद्यालय के छात्रों ने जेएनयू के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मोमबत्ती जलाईं। इस दौरान छात्रों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
पुणे के फिल्म और टेलीविजन संस्थान के छात्रों ने आधी रात को हाथों में मशाल लेकर कैंपस में मार्च निकाला और इंकलाब के नारे बुलंद किए। एफटीआईआई में छात्रों के एक वर्ग ने इस हिंसा के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार ठहराया है। इस दौरान उन्होंने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। सोमवार 6 दिसंबर को भी इस मुद्दे को लेकर कैंपस में एक छोटी सी सभा का आयोजन हुआ।
गौरतलब है कि देश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। इस हिंसा के खिलाफ पांडीचेरी विश्वविद्यालय से लेकर आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों ने अपनी आवाज़ बुलंद की। जेएनयू के समर्थन में रविवार रात ही दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया समेत कई विश्वविद्यालयों के छात्र आटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे और पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले को 'सदमे में डालने वाला ' बताते हुए दिल्ली पुलिस के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल की भारत इकाई के एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर अविनाश कुमार ने एक बयान जारी कर कहा है, "जेएनयू कैंपस में छात्रों पर हुई हिंसा सदमे में डालने वाली है। दिल्ली पुलिस के लिए, ऐसा हिंसक हमला बर्दाश्त करना और भी बुरा है। ये अभिव्यक्ति की आज़ादी और शांतिपूर्वक तरीके से इकट्ठा होने के अधिकार के प्रति शर्मनाक उदासीनता दिखाता है।"
इस संबंध में दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने जेएनयू कैंपस में छात्राओं के साथ मारपीट मामले में पुलिस को समन जारी किया।
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