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झारखंड : 'एचईसी बचाने के लिए अब आंदोलन ही रास्ता है'

इसरो की ज़रूरत के लिए लौंचिंग पैड समेत अंतरिक्ष के उपकरण बनाने वाली एचईसी के कर्मियों को पिछले 17-19 महीनों से वेतन नहीं मिला है।
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“मन में इतना गुस्सा भरा हुआ है कि क्या कहें, यही एचईसी के कई कामगार बाबू लोग, मोदी-मोदी चिल्ला कर खूब भक्ति दिखाए थे। कोरोना काल में उनकी एक बोली पर पूरे परिवार के साथ जमकर ताली-थाली बजाये। मोदी जी को हिंदू राष्ट्र निर्माण का आदर्श सर्वोच्च नायक घोषित करते हुए थकते नहीं। आज जब एचईसी मर रहा है और इनके प्यारे नेता जी ने साफ़ पल्ला झाड़ लिया है तब भी देखिये उनके विरोध में मुंह से दो बोल तक नहीं फूट रहे हैं। जिस उद्योग-संस्थान ने कई दशकों से उन्हें पाला-पोसा और पूरे घर-परिवार को भोजन-आवास उपलब्ध कराकर बाल-बच्चों के भविष्य बनाने में हमेशा साथ दिया। आज उसके ख़त्म हो जाने का तमाशा देख लेंगे लेकिन अंधभक्ति में इस संस्थान का नाम हमेशा के लिए मिटा देने पर तुले 'नेता-सरकार' के ख़िलाफ़ चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन यह भी जान लीजिये कि यहां का व्यापक मजदूर “एचईसी की बर्बादी” का खेल नहीं चलने देगा। केंद्र में बैठी पार्टी के मजदूर विरोधी रवैये को अब हिंदू-मुसलमान फंडे से नहीं छिपाया जा सकेगा और व्यापक मजदूर इस बार अपना हिसाब करके रहेंगे”

ये बात एचईसी में कार्यरत कामगार के बेटे वीरेंद्र यादव ने तीखे स्वर में कही। बता दें कि एचईसी इसरो की ज़रूरत के लिए लौंचिंग पैड समेत अंतरिक्ष के उपकरण बनाने का काम करती है।

हाल में संपन्न हुए राज्यसभा के मानसून सूत्र में भारी उद्योग राज्य मंत्री द्वारा राज्यसभा में एचईसी को घाटे से उबारने के संदर्भ में दिए गए “टके से अंदाज़ में बेहद नकारात्मक जवाब” के कारण एचईसी के व्यापक कर्मियों में भारी रोष है। जिसे लेकर सियासी टकराव की स्थितयां भी सरगर्म होने लगी हैं।

एचईसी के कर्मियों ने भाजपा सरकार के केंद्रीय मंत्री पर आरोप लगाया है कि वे लगातार गलतबयानी कर रहे हैं। जबकि पिछले दिनों हमलोगों के प्रतिनिधि मंडल से वार्ता में उन्होंने इस भारी उद्योग संस्थान के पुनरुद्धार के लिए विशेष कार्य-योजना तैयार करने का आश्वासन दिया था। लेकिन संसद में जवाब इसके बिलकुल विपरीत दिए हैं।

एचईसी कर्मियों के सभी यूनियनों ने एक स्वर से कहा है कि केंद्र सरकार की असली मंशा स्पष्ट हो चुकी है और अब उग्र आंदोलन शुरू किया जाएगा। एचईसी बचाने के लिए अब आंदोलन ही रास्ता है।

वहीँ 31 अगस्त को झारखंड के सभी प्रमुख वामपंथी दलों ने त्वरित तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए साफ़ शब्दों में कह दिया है कि देश की पहचान रहे और ‘मदर ऑफ़ ऑल इंडस्ट्रिज़’ कहे जानेवाले एचईसी को केंद्र की भाजपा सरकार के हाथों मरने नहीं दिया जाएगा। इसे बचाने के लिए आंदोलन और भी तेज किया जाएगा।

रांची स्थित सीपीएम राज्य मुख्यालय में आहूत इस संयुक्त बैठक से वाम दलों ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से भी मांग की है कि वह केंद्र की सुनियोजित चालों से मरणासन्न बना दिए गए एचईसी को बचाने के लिए आगे बढ़ कर इसका अधिग्रहण करे। केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्री के राज्यसभा में दिए गए बयान को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए घोर भर्त्सना भी की है।

वाम दलों ने केंद्र सरकार व भारी उद्योग मंत्रालय समेत उसके मंत्री द्वारा दिए गए बयान का तीखा विरोध करते हुए इसे नासमझी भरा करार दिया है जिसमें कहा गया कि चांद पर पहुंचे देश के चंद्रयान-3 की सफलता में एचईसी की कोई भूमिका नहीं रही है। साथ ही यह भी कहा है कि नासमझ केंद्र सरकार व उसके मंत्री से क्या उम्मीद कि जा सकती है कि वो इसे बचाने व इसके पुनरुद्धार के संबंध में कोई ठोस क़दम उठाएंगे।

ज्ञात हो कि हाल में संपन्न हुए राज्य सभा के मानसून सत्र में ही जब झारखंड से राज्यसभा सदस्य परिमल नाथवानी ने एचईसी को संकटों से उबारने के संदर्भ में केंद्र सरकार से आपात मदद मांगने संबंधी प्रश्न उठाया था। इसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से ‘भारी उद्योग मंत्री’ पल्ला झाड़ते हुए जवाब में कहा कि एचईसी को अपने खुद के स्रोत से ही सभी बकाया देनदारियों को चुकाना होगा। जिसके लिए उसे खुद से ही राजस्व अर्जित करना होगा।

जले पर नमक छिड़कने के अंदाज़ में मंत्री ने यह भी कह दिया कि एचईसी लगातार घाटे में चल रहा है। पिछले पांच साल के टर्नओवर में भी गिरावट आई है और वर्तमान में इसका घाटा 983.58 करोड़ तक पहुंच गया है। ऐसे में कारोबार में लगातार कमी और घाटे के कारण जो देनदारियां बढ़ गयी हैं, इसका निदान एचईसी को ही करना होगा।

सनद रहे कि पिछले दिनों वाम दलों ने पहले भी केंद्र सरकार पर एचईसी को बेचने व निजी हाथों में देने की साजिश करने का आरोप लगाते हुए आगाह किया था कि मोदी सरकार बड़ी ही चालाकी से पहले तो इस भारी उद्योग को मरने के कगार पहुंचा दिया, ताकि समय आने पर इसे अडानी-अंबानियों के हाथों बेच दिया जाय। इस सवाल को लेकर झारखंड में कई बार आंदोलन करते हुए केंद्र सरकार की सरकारी उपक्रम-विरोधी रवैये का पुरज़ोर विरोध किया जाता रहा है।

एचईसी को बचने के सवाल पर हुई वाम दलों की संयुक्त बैठक में सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई एमएल व मासस इत्यादि के प्रतिनिधियों ने यह भी तय किया है कि जिस एचईसी ने वर्षों इस राष्ट्र की सेवा की है और आज जब उसके अस्तित्व पर संकट आ खड़ा हुआ है तो इसे नजरअंदाज कर रही है जबकि बात-बात पर कॉर्पोरेट कंपनियों का लाखों का क़र्ज़ माफ़ कर उन्हें हर तरह की आर्थिक सहायता दे रही है। लेकिन अपने ही देश के सबसे बड़े उद्योग को बचाने का समय आया है तो कोई जिम्मेदारी लिए बिना वह इसके लिए पैसों की तंगी का रोना रोने का नाटक कर रही है जिसे नहीं बर्दाश्त किया जाएगा।

चांद पर चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग पर प्रधानमंत्री ने सराहना तो की लेकिन विगत कई वर्षों से इसरो की ज़रूरत के लिए लौंचिंग पैड समेत अंतरिक्ष के उपकरण बनाने वाले एचईसी के कर्मियों को पिछले 17-19 महीनों से वेतन नहीं मिलने के मामले पर प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोला। उलटे जिस औद्योगिक संस्थान में आज भी हुनर-कौशल भरे निर्माण क्षमता की कोई कमी नहीं है, उसे मोदी जी और उनकी सरकार कोई राहत-मदद नहीं देकर बिना मौत मारने पर तुली है। ऐसा क्यों?  

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