केरल महापड़ाव: हज़ारों किसान-मज़दूरों ने राजभवन तक मार्च किया, धरने पर बैठे
संयुक्त किसान समन्वय समिति के आह्वान पर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और केंद्रीय ट्रेड यूनियन (CTUs) हजारों किसान और कार्यकर्ता रविवार को राजभवन में धरने पर बैठे। तीन दिवसीय महापड़ाव के पहले दिन 32 विभिन्न किसानों और ट्रेड यूनियनों ने भाग लिया।
महापड़ाव का उद्घाटन करते हुए, अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ (AIAWU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ए विजयराघवन ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर COVID-19 महामारी के दौरान किसानों और श्रमिकों के हित के खिलाफ कानूनों को लागू करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “दिल्ली में ऐतिहासिक किसान संघर्ष के बाद, भाजपा सरकार को हार माननी पड़ी। उन्हें यह बात समझ में आ गई है कि कॉरपोरेट के सहारे किसानों को हराया नहीं जा सकता। लेकिन उन्होंने SKM के साथ हुई बातचीत में किये गये वादे पूरे नहीं किये हैं। 26 नवंबर से देश भर के राजभवनों के सामने तीन दिनों का विशाल महाधरना, उसी दिन शुरू किया जब किसानों ने अपना ऐतिहासिक संघर्ष शुरू किया था। यह भाजपा सरकार को उसके असफल वादों की याद दिलाने के लिए है।”
2014 के बाद से श्रमिकों और किसानों पर लगातार हो रहे हमलों पर विजयराघवन ने निरंतर संघर्षों के माध्यम से बनी एकता को मजबूत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा “इस सरकार के 2024 से आगे बने रहने से देश का कोई भला नहीं होगा। संघ परिवार के संगठन आम नागरिकों के बीच सांप्रदायिक नफरत फैलाने में कामयाब रहे हैं। सत्ता पर काबिज भाजपा समाज के बीच इस विभाजन का इस्तेमाल अपने कॉर्पोरेट दोस्तों के लिए मुनाफा कमाने के लिए कर रही है।”
महाधरना की अध्यक्षता करते हुए, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (INTUC) के राष्ट्रीय महासचिव केवी जॉर्ज ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर आबादी के विभिन्न वर्गों की चिंताओं को दूर करने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "श्रम कानूनों को संहिताबद्ध करने से लेकर संसद में तीन कृषि कानूनों को खत्म करने तक भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने संसद और लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान किया है।"
पूर्व मंत्री और अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के प्रदेश अध्यक्ष एम विजयकुमार ने संविधान और संघीय व्यवस्था को कमजोर करने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा “26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन भाजपा सरकार राज्य के अधीन विषयों पर कानून बनाकर संविधान का ही बड़ा अपमान कर रही है। वे देश में मौजूद बहुलता का सम्मान नहीं करते हैं और न ही संघीय सिद्धांतों को महत्व देते हैं।”
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Kerala Mahapadav: Thousands of Farmers, Workers March to Raj Bhavan, Sit on Dharna
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