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लखनऊ: ब्रजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर सामाजिक संगठनों का प्रदर्शन

राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में मुद्दा उठाया गया कि जंतर मंतर पर धरना दे रहीं महिला खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैडल जीतकर देश का सम्मान बढ़ाया है।
लखनऊ

यौन शोषण के ख़िलाफ चल रहे महिला खिलाड़ियों के आंदोलन के समर्थन में लखनऊ के महिला, सामाजिक, सांस्कृतिक, छात्र व नौजवानों के संगठनों ने एकजुटता दिखाते हुए शहीद स्मारक पर धरना दिया। मंगलवार की शाम हुए इस धरने में लेखकों के संगठन भी शामिल हुए।

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की नेता मधु गर्ग ने धरने के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजे गये ज्ञापन को पढ़कर सुनाया। जिसमें मांग की गई थी कि यौनशोषण के आरोपी ब्रजभूषण शरण सिंह को किसी प्रकार का राजनैतिक संरक्षण न देते हुए उसकी अविलंब गिरफ्तारी हो। 

राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में मुद्दा उठाया गया कि जंतर मंतर पर धरना दे रहीं महिला खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मैडल जीतकर देश का सम्मान बढ़ाया है। किन्तु आज उन्हें इंसाफ पाने के लिए इतनी मुश्किल लड़ाई लड़नी पड़ रही है। तो देश की आम महिलाओं को तो न्याय मिलना बहुत ही कठिन होगा

महिला फेडेरेशन की आशा मिश्रा ने कहा कि आज यह बहुत दुखद है कि आज भारतीय जनता पार्टी की (भाजपा) की सरकार में अपराधियों को उनकी जाति, धर्म और राजनैतिक ओहदे के चश्मे से देखा जाता है। उन्होंने कहा कि हम हाथरस, उन्नाव, बिलक़ीस बानो मामले में यह देख चुके हैं । 

धरने को संबोधित करते हुए साझी दुनिया की रूपरेखा वर्मा ने कहा कि आज़ाद देश की यह कितनी बड़ी त्रासदी है कि पीड़ित सड़कों पर जूझ रहे हैं और आरोपी मुक़दमा दर्ज होने के बाद भी धमकियां दे रहा है। बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार देश की बेटियों का मनोबल तोड़ रही है। 

प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए लेखिका कात्यायनी ने कहा कि महिला खिलाडियों की लड़ाई देश की हर महिला की लड़ाई है जिसके साथ सभी को एकजुट हो आवाज उठानी होगी। 

इप्टा से राकेश ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यह बहुत आपत्तिजनक है कि महिला पहलवानों से सबूत के तौर पर ऑडियो और वीडियो मांगे जा रहे हैं जबकि वे अपने बयान दर्ज करवा चुकी है। 

उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि क्योंकि आरोपी ब्रजभूषण सत्ता पक्ष का सांसद है इसलिए उसको हर प्रकार से सरकार द्वारा बचाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का कहना थी कि वह सभी महिला खिलाड़ियों की हिम्मत को सलाम करते हैं।

क्योंकि उन्होंने अपने कैरियर को दांव पर लगाकर महिला खिलाड़ियों के शोषण के ख़िलाफ आवाज़  उठाई है।

भाजपा सरकार से नाराज़ प्रदर्शनकारियों देश के सभी नागरिकों का कर्त्तव्य है कि वह महिला खिलाड़ियों साथ खड़े हों । 

 प्रदर्शन के दौरान ऐसे लोगों की सख्त आलोचना की गई जो महिला खिलाड़ियों के बारे में अफवाहें फैला रहे हैं। धरने में सभी शामिल लोगों ने एकजुट होकर संकल्प लिया कि महिला पहलवानों की लड़ाई के साथ वे सब अपनी आवाज बुलंद करेंगे। अंत में मोमबत्तियां जलाकर खिलाड़ियों के आंदोलन को समर्थन दिया गया।

आज के इस धरने में वंदना राय, सुमन सिंह, चंद्रा, स्मिता पांडे, सुनीता घोष, बबिता, नाइश हसन, प्रोफेसर रमेश दीक्षित, नलिन रंजन सिंह, और अतहर आदि सामाजिक कार्यकर्ता शामिल मिल हुए।

 

 

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