जंतर-मंतर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का महापड़ाव शुरू
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देशभर की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने केंद्र और राज्य सरकारों से बुनियादी सामाजिक सुरक्षा उपाय, ग्रेच्युटी प्रदान करने जैसी मांगों को लेकर दिल्ली में महापड़ाव शुरू कर दिया है। यह महापड़ाव आज जंतर मंतर पर शुरू हो गया।
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (आईफा) द्वारा 2 जुलाई 2022 को दिल्ली में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के अधिकारों पर अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसी कन्वेंशन में घोषणा की गई कि आईफा और सीटू के नेतृत्व में देश की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका 26, 27, 28 और 29 जुलाई 2022 को चार दिन तक नई दिल्ली में 'महापड़ाव' डालेंगे। बताया जा रहा है कि चौथे दिन की इजाजत संभवतया कार्यकर्ताओं को नहीं मिली है।
महापड़ाव कैमरे की नज़र से
आपको बता दें कि इस साल अप्रैल में, सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने माना था कि केंद्र सरकार की एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के तहत आंगनवाड़ी देखभालकर्ता, जिसे अब आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 योजना के रूप में जाना जाता है, वे ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत ग्रेच्युटी के हकदार हैं।
सीटू-संबद्ध गुजरात राज्य आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ सहित आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और संगठनों द्वारा दायर की गई याचिका में अपने 72-पेज के अपने फैसले में कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को "उनकी (कार्यकर्ताओं) दुर्दशा पर गंभीरता से ध्यान देने" के लिए भी कहा था। क्योंकि इन सभी महिला कर्मचारियों को जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण सेवाएं देने के बावजूद भी बहुत ही कम पारिश्रमिक का भुगतान किया जाता है।
आईफा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया तथा सरकारों को "आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को बेहतर सेवा की स्थिति प्रदान करने के तौर-तरीके खोजने" के निर्देश देने के लिए भी कोर्ट की सराहना की।
कन्वेन्शन मे आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को ग्रेच्युटी के भुगतान पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के क्रियान्वयन और उनकी काम करने की स्थिति में सुधार, और 45वें और 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को भी एकबार फिर दोहराया। महापड़ाव भी इन्हीं मांगों को लेकर शुरू किया गया है।
मांगे इस प्रकार है -
* न्यूनतम मज़दूरी, पर्याप्त बुनियादी ढांचे और पोषण का नियमित भुगतान सुनिश्चित करने के लिए आईसीडीएस के लिए पर्याप्त आवंटन;
* नई शिक्षा नीति वापस लेना, प्रारंभिक बचपन शिक्षा और देखभाल (ईसीसीई) को आरटीई अधिनियम के हिस्से के रूप में घोषित करते हुए आंगनवाड़ियों को नोडल एजेंसी बनाना;
* डिजिटलीकरण/पोषण ट्रैकर के कार्यान्वयन से पहले टैबलेट, नेटवर्क और डेटा पैक उपलब्ध कराना; महामारी शुल्क के लिए जोखिम भत्ते का भुगतान और कोविड 19 के पीड़ितों को मुआवजा;
* हरियाणा और दिल्ली में छंटनी किए गए वर्कर्स और हेल्पर्स की बहाली और ट्रेड यूनियन अधिकारों आदि मांगों को स्वीकार करना।
वर्तमान में, देश भर में सरकार द्वारा संचालित लाखों केयर सेंटर हैं जहाँ लगभग 27 लाख आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका मानदेय के बदले अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं।
हाल के वर्षों में, आंगनवाड़ी देखभालकर्ताओं सहित योजना कार्यकर्ताओं के विभिन्न वर्गों द्वारा अपने मानदेय और सामाजिक सुरक्षा में वृद्धि के लिए दबाव बनाने हेतु देश भर में विरोध प्रदर्शन तेज़ हो गए हैं।
इसे देखें- 26 जुलाई से दिल्ली में क्यों होगा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का महापड़ाव
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