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मुंबई में प्रवासी मज़दूर सड़क पर आये, कहा- घर वापस जाना चाहते हैं

दूसरे दौर के लॉकडाउन की घोषणा के साथ हम देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से दूसरा दुखदायी पलायन देखने को मजबूर हैं। मज़दूरों का साफ कहना है कि हम लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा से खुश नहीं हैं।
प्रवासी मज़दूर सड़क पर
Image courtesy: India Today

मुंबई : 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की पहली घोषणा के बाद हमने-आपने देश की राजधानी दिल्ली समेत कई महानगरों से मज़दूरों का पहला ऐतिहासिक पलायन देखा था और आज दूसरे दौर के लॉकडाउन की घोषणा के साथ हम देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से दूसरा दुखदायी पलायन देखने को मजबूर हैं। इस दौरान हमने ‘गुजरात मॉडल’ का भी हाल देखा जहां सूरत में मज़दूर बकाया भुगतान और घर भेजने की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए और अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए हल्की आगज़नी और तोड़फोड़ भी की। 
 
मज़दूरों का साफ कहना है कि अब इस तालाबंदी में वे परदेस में और नहीं रह सकते। उन्हें अपने गांव-घर भेजा जाए। उनका कहना है कि वे लॉकडाउन बढ़ने से खुश नहीं है और केंद्र या राज्य सरकार कोई भी उनकी मुश्किलें समझने को तैयार नहीं है।
 
आज सुबह राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देशव्यापी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषणा करने के कुछ ही घंटे बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर मुंबई में सड़क पर आ गए और मांग की कि उन्हें उनके मूल स्थानों को जाने के लिए परिवहन की व्यवस्था की जाए। ये सभी प्रवासी मजदूर दिहाड़ी मजदूर हैं। 
 
मज़दूर बड़ी संख्या में ब्रांदा स्टेशन पर जमा हो गए, जिसके बाद पुलिस ने बामुश्किल उन्हें हटाया। इसके लिए उन्हें मज़दूरों पर लाठीचार्ज भी करना पड़ा।
 
कोविड-19 के प्रकोप के चलते पिछले महीने लॉकडाउन लागू होने के बाद से दिहाड़ी मजदूर बेरोज़गार हो गए हैं। इससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
 
हालाँकि अधिकारियों और गैर-सरकारी संगठनों ने उनके भोजन की व्यवस्था की है, लेकिन उनमें से अधिकतर पाबंदियों के चलते हो रही दिक्कतों के चलते अपने मूल स्थानों को वापस जाना चाहते हैं। 
 
पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार करीब 1000 दिहाड़ी मजदूर अपराह्न करीब तीन बजे रेलवे स्टेशन के पास मुंबई उपनगरीय क्षेत्र बांद्रा (पश्चिम) बस डिपो पर एकत्रित हो गए और सड़क पर बैठ गए। 

दिहाड़ी मजदूर पास के पटेल नगरी इलाके में झुग्गी बस्तियों में किराए पर रहते हैं, वे परिवहन सुविधा की व्यवस्था की मांग कर रहे हैं ताकि वे अपने मूल नगरों और गांवों को वापस जा सकें। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के रहने वाले हैं।

एक मजदूर ने अपना नाम बताये बिना कहा कि एनजीओ और स्थानीय निवासी प्रवासी मजदूरों को भोजन मुहैया करा रहे हैं लेकिन वे लॉकडाउन के दौरान अपने मूल राज्यों को वापस जाना चाहते हैं क्योंकि बंद से उनकी आजीविका बुरी तरह से प्रभावित हुई है।

उसने कहा, ‘‘अब, हम भोजन नहीं चाहते हैं, हम अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, हम (लॉकडाउन बढ़ाने की) घोषणा से खुश नहीं हैं।’’
पश्चिम बंगाल के मालदा के रहने वाले असदुल्लाह शेख ने कहा, ‘‘हमने लॉकडाउन के पहले चरण में अपनी बचत पहले ही खर्च कर दी है।

अब हमारे पास खाने को कुछ नहीं है, हम केवल अपने मूल स्थान वापस जाना चाहते हैं, सरकार को हमारे लिए व्यवस्था करनी चाहिए।’’
एक अन्य मजदूर, अब्दुल कय्युन ने कहा, ‘‘मैं पिछले कई वर्षों से मुंबई में हूं, लेकिन ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी। सरकार को हमें यहां से हमारे मूल स्थान पर भेजने के लिए ट्रेनें शुरू करनी चाहिए।’’

अधिकारी ने कहा कि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए विरोध स्थल पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है। अन्य पुलिस थानों से कर्मियों को बुलाया गया है।
 
इस स्थिति पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देखमुख ने कहा कि मुंबई में बांद्रा स्टेशन के पास एकत्र हुए प्रवासी मजदूरों/कामगारों ने संभवत: सोचा होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों की सीमाएं खोलने का आदेश दे दिया है। उन्होंने कहा कि बांद्रा स्टेशन पर हालात नियंत्रण में हैं, वहां एकत्र प्रवासी कामगारों के रहने-खाने की व्यवस्था राज्य करेगा 

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोना का प्रकोप सबसे ज़्यादा है। आज 14 अप्रैल शाम पांच बजे तक कोरोना के कुल 2,337 केस हो गए थे। इनमें से 160 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 229 लोग ठीक कर लिए गए हैं। इस तरह आज भी कुल सक्रिय मामलों की संख्या 1,948 है।

औरंगाबाद में बुजुर्ग की मौत

औरंगाबाद : महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में सोमवार को 68 वर्षीय एक व्यक्ति की कोरोना वायरस से मौत हो गई। जिले में कोविड-19 से यह दूसरी मौत है।

अधिकारियों ने बताया कि आठ अप्रैल को जब इस व्यक्ति को गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जीएमसीएच) में भर्ती कराया गया था तब उसके लार के नमूनों की जांच रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी।

जीएमसीएच के डीन डॉ कानन येलिकर ने कहा, “इलाज के दौरान 11 अप्रैल को उनके नमूने दोबारा जांच के लिए भेजे गए जिनमें संक्रमण की पुष्टि हुई। वह व्यक्ति जीवन रक्षक प्रणाली पर था। दोपहर करीब डेढ़ बजे उसने आखिरी सांस ली।”

डॉ. येलिकर ने बताया कि वह आदमी अपने ‍संक्रमित बेटे के संपर्क में आने के बाद कोविड-19 से प्रभावित हुआ था। उसका बेटा पुणे से वापस आने के बाद जांच में कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था।

इससे पूर्व , अप्रैल के पहले सप्ताह में यहां 58 वर्षीय एक व्यक्ति की कोविड-19 से मौत हो गई थी।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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