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केंद्र सरकार के एक मंत्रालय में 10 साल में सिर्फ़ एक परीक्षा और चार स्थायी नियुक्तियां

जनता दल (यूनाईटेड) के वरिष्ठ सदस्य रामनाथ ठाकुर ने 23 दिसंबर को उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा पिछले एक दशक के दौरान स्थायी नियुक्तियों के लिए आयोजित की गई विभिन्न परीक्षाओं का वर्षवार ब्योरा मांगा था।
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प्रतीकात्मक तस्वीर।

पिछले एक दशक में केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में स्थायी नियुक्तियों के लिए महज एक परीक्षा आयोजित की गई और वह भी चार कैंटीन परिचारकों के पद के लिए। हालांकि इस दौरान मंत्रालय ने 48 पद समाप्त किए हैं।

केंद्रीय ग्रामीण विकास, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने हाल ही में समाप्त हुए संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।

जनता दल (यूनाईटेड) के वरिष्ठ सदस्य रामनाथ ठाकुर ने 23 दिसंबर को उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा पिछले एक दशक के दौरान स्थायी नियुक्तियों के लिए आयोजित की गई विभिन्न परीक्षाओं का वर्षवार ब्योरा मांगा था।

केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने इसके जवाब में कहा, ‘‘वर्ष 2015 में चार कैंटीन परिचारकों के नियमित आधार पर चयन हेतु खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में एक परीक्षा आयोजित की गई थी।’’

उन्होंने कहा कि ऐसी कोई परीक्षा नहीं है जिसका परिणाम घोषित नहीं किया गया है। साध्वी ने बताया कि पिछले पांच वर्षों के दौरान मंत्रालय द्वारा आयोजित कोई भी परीक्षा निरस्त नहीं की गई है।

पिछले एक दशक के दौरान मंत्रालय द्वारा समाप्त किए गए पदों का ब्योरा मांगे जाने पर केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस दौरान कुल 48 पदों को समाप्त किया गया। उनकी ओर से पेश आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2012 में कनिष्ठ सचिवालय सहायक के दो पद, वर्ष 2015 में कैंटीन परिचारक के चार पद, वर्ष 2017 में वरिष्ठ सचिवालय सहायक के 34 और वर्ष 2021 में वरिष्ठ सचिवालय सहायक के ही आठ पद समाप्त किए गए हैं।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में किसी पद को समाप्त किए जाने की कोई प्रक्रिया नहीं चल रही है।

ज्ञात हो कि क़रीब पांच महीने पहले लोकसभा में कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने तेलंगाना से कांग्रेस सांसद अनुमूला रेवंथ रेड्‌डी के एक सवाल के जवाब में कहा था कि, “2014 से अब तक सरकारी नौकरियों के लिए 22.05 करोड़ लोगों ने अप्लाई किया था, लेकिन इनमें से सिर्फ] 7.22 लाख लोगों को ही नौकरी मिली।"

नवंबर में उच्चतम स्तर पर पहुंचा बेरोज़गारी दर

बता दें कि भारत में बेरोज़गारी दर इस साल नवंबर महीने में गत तीन महीनों के उच्चतम स्तर 8 प्रतिशत पर पहुंच गया था। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन (सीएमआई) की ओर से जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, शहरी भारत में बेरोज़गारी दर ग्रामीण भारत की तुलना में कहीं अधिक रही है। शहरी भारत में जहां बेरोज़गारी दर 8.96 प्रतिशत थी वहीं ग्रामीणा भारत में यह दर 7.55 प्रतिशत थी। इससे पहले अक्तूबर 2022 में शहरी बेरोज़गारी दर 7.21 प्रतिशत जबकि ग्रामीण क्षेत्र की बेरोज़गारी दर 8.04 प्रतिशत थी।

बेरोज़गारी में हरियाणा शीर्ष पर

राज्यवार आंकड़ों की बात करें तो बेरोज़गारी दर के मामले में हरियाणा एक बार फिर पहले नंबर पर था। वहां यह आंकड़ा नवंबर महीने में 30.6 प्रतिशत दर्ज किया गया। उसके बाद सबसे अधिक बेरोज़गारी दर राजस्थान में 24.5 प्रतिशत दर्ज की गई। जम्मू-कश्मीर में बेरोज़गारी दर 23.9 प्रतिशत रही। वहीं बिहार में यह 17.3 प्रतिशत जबकि त्रिपुरा में 14.5 प्रतिशत बताई गई।

(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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