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विपक्षी सांसदों ने ‘तिरंगा मार्च’ निकाला

विपक्षी दलों ने संसद के बजट सत्र के दौरान समन्वय दिखाया है और 13 मार्च को इसके दूसरे चरण के शुरू होने के बाद से उन्होंने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किए हैं।
March

कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने बृहस्पतिवार को संसद का बजट सत्र संपन्न होने के बाद संसद भवन से विजय चौक तक 'तिरंगा मार्चनिकाला।

कांग्रेस के अलावा द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), समाजवादी पार्टी (सपा), राष्ट्रीय जनता दल (राजदऔर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपाजैसे समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों और वाम दलों के सांसदों ने पूर्वाह्न करीब 11.30 बजे मार्च शुरू किया।

 

हाथों में तिरंगा ले रखे ये सांसद लोकतंत्र की हत्या बंद करोके नारे लगा रहे थे।

विपक्षी दलों ने संसद के बजट सत्र के दौरान समन्वय दिखाया है और 13 मार्च को इसके दूसरे चरण के शुरू होने के बाद से उन्होंने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किए हैं।

उल्लेखनीय है कि केरल की वायनाड संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत द्वारा वर्ष 2019 के मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने तथा दो साल की सजा सुनाये जाने के मद्देनजर पिछले दिनों लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया।

गत 13 मार्च से शुरू हुए संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्ष और सत्ता पक्ष के हंगामे के कारण लोकसभा एवं राज्यसभा में बार बार व्यवधान हुआ। विपक्षी दल अडानी समूह से जुड़े मामले की जांच के लिए जेपीसी गठित करने की मांग पर अड़े हुए थे। दूसरी तरफसत्तापक्ष ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लंदन में दिए गए एक बयान को लेकर उनसे माफी की मांग की थी।

'सरकार की यही मंशा थी कि सत्र नहीं चले'

उधर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि सरकार की यही मंशा थी यह सत्र नहीं चले और अगर सरकार का रुख यही रहा तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दल आगे भी मिलकर लड़ेंगे। खरगे ने संवाददाताओं से कहा, "मोदी सरकार लोकतंत्र के बारे में बातें तो बहुत करती हैलेकिन कहने के मुताबिक चलती नहीं है। 50 लाख करोड़ रुपये का बजट सिर्फ 12 मिनट मेंबिना चर्चा किए पारित कर दिया गया।''

उन्होंने दावा किया, "सत्तापक्ष की तरफ से संसद की कार्यवाही में बार बार व्यवधान डाला गया। ऐसा पहली बार हुआ है। पूर्व में ऐसा कभी नहीं देखा।"

खरगे ने आरोप लगाया, "सरकार की मंशा थी कि सत्र नहीं चले। इस व्यवहार की हम निंदा करते हैं। अगर सरकार का रुख ऐसा ही रहता है तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और देश तानाशाही की तरफ बढ़ जाएगा।"

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष खरगे ने कहा कि विपक्ष ने अडानी समूह से जुड़ा मुद्दा उठाया था कि अडानी को इतना महत्व क्यों दिया जा रहा है और उनकी सम्पत्ति इतनी अधिक कैसे बढ़ी।

उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने लोकसभा में अडानी मुद्दे को लेकर सवाल किये थे।’’

खरगे ने कहा, "हम मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसीके गठन की मांग कर रहे थे। जब जेपीसी बनती तो उनके (सत्ता पक्ष केज्यादा सदस्य होतेफिर सरकार जेपीसी बनाने से क्यों डरती है?"

कांग्रेस अध्यक्ष के मुताबिक, ‘‘लगता है कि दाल में कुछ काला हैइसीलिए जेपीसी के गठन की मांग नहीं मानी जा रही है।’’ उन्होंने दावा किया कि सत्ता पक्ष ने अडानी मामले से ध्यान भटकाने के लिए राहुल गांधी की लंदन में की गई टिप्पणी का मुद्दा उठाया और उनसे माफी की मांग की।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राहुल गांधी को 2019 के मानहानि के एक मामले में अदालत द्वारा दोषी ठहराते और सजा सुनाते ही लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिया गयालेकिन 2016 में भाजपा सांसद नारणभाई कछाडिया को तीन साल की सजा होने पर भीअदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए पूरा समय दिया गया।

उन्होंने सवाल किया, "क्या यही लोकतंत्र है?"

उन्होंने कहा कि विपक्ष न्यायसंविधान और लोकतंत्र के लिए लड़ रहा है।

न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

 

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