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अक्टूबर में तीन एजेंसियों ने पतंजलि की ''बैंक ऋण सुविधा'' की रेटिंग गिराई

पतंजलि समूह, रुचि सोया कंपनी का अधिग्रहण करने में ज़रूरी लोन लेने के लिए ऐसे बैंकों के पास गया, जो पहले ही रुचि सोया कंपनी के सबसे बड़े ऋणदाता थे।
ramdev ruchi soya
Image courtesy:Free Press

खाने का तेल बनाने वाली कंपनी 'रुचि सोया' के अधिग्रहण के लिए ज़रूरी पैसा जुटाने में पतंजलि समूह को दिक़्क़त हो रही है। पतंजलि को यह पैसा 'कमेटी ऑफ़ क्रेडिटर्स' को देना होगा। लेकिन इसी वक़्त एक और भारतीय रेटिंग एजेंसी 'ब्रिकवर्क रेटिंग' ने समूह के नागपुर स्थित 'पतंजलि फ़ूड्स एंड हर्बल पार्क प्राइवेट लिमिटेड' की ग्रेडिंग कम कर दी है। पार्क को इस साल अक्टूबर तक चालू होना था, लेकिन ऋणदाताओं के उधार में देरी के चलते काम शुरू नहीं हो पाया। इसलिए एजेंसी ने इसकी रेटिंग गिरा दी।

5 नवंबर को ब्रिकवर्क रेटिंग ने 'पतंजलि फ़ूड्स एंड हर्बल पार्क, नागपुर' की दीर्घकालिक 'बैंक ऋण सुविधा' को घटाकर BBB+ कर दिया और इसे ''rating watch with developing imlication'' के तहत डाल दिया। इससे पहले अक्टूबर में एजेंसी ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की 'बैंक ऋण सुविधा' रेटिंग को 'स्थिर' से 'नकारात्मक' कर दिया था। रेटिंग को कम करने का कारण बताते हुए ब्रिकवर्क ने कहा, ''कंपनी की 'डेट फंडेड कैपेक्स' पर निर्भरता के चलते इसके ऋण चुकाने की क्षमता और तेज़ी दिखाने वाले संकेतक बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।'' कंपनी के 'डेट फंडेड कैपेक्स' में रुचि सोया इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड का अधिग्रहण भी शामिल है। पतंजलि की गिरावट में कई दूसरे कारण भी हैं, जैसे कंपनी की केंद्रित हिस्सेदारी, दूसरी बड़ी कंपनियों से होने वाली प्रतिस्पर्धा और बोर्ड रूम में विविधता की कमी।

26 जुलाई को 'नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, मुंबई' ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (PAL) के रुचि सोया के अधिग्रहण वाले प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। प्रस्ताव के मुताबिक़, पतंजलि अधिग्रहण के लिए 4,350 करोड़ रुपये लगाने वाली थी, इसमें से 4,240 करोड़ रुपये सोया के उधारदाताओं के पास जाता और बाक़ी 110 करोड़ रुपये विलय के बाद कंपनी में निवेश किए जाते।

अभी तक यह साफ़ नहीं हो पाया है कि पतंजलि आयुर्वेद कब तक रुचि सोया का अधिग्रहण करेगी, लेकिन 'इंसॉल्वेंसी-बैंकरप्टसी बोर्ड ऑफ़ इंडिया' से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक़, सरकार इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड में एक ऐसा प्रावधान लाने वाली है, जिसके ज़रिये तय समय में अधिग्रहण पूरा न करने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।

सूत्र ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, अगर अधिग्रहण करने वाली कंपनी तय वक़्त में रकम अदा नहीं कर पाएगी तो 'ऋणदाताओं की कमेटी' संबंधित कंपनी के ख़िलाफ़ आपराधिक कार्रवाई शुरू कर सकेगी।'' 4 अक्टूबर को रेटिंग एजेंसी ICRA ने पतंजलि आयुर्वेद के 'फंड बेस कैश क्रेडिट लिमिट' इंस्ट्रूमेंट की रेटिंग को अप्रैल 2019 के स्तर (ICRA A+) से गिराकर ICRA BBB कर दिया था। ICRA ने इस मौके पर कहा था कि, ''पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी की कमी से इसके 'उधार जोखिम में पैदा हुई अनिश्चित्ता' के चलते रेटिंग कम की गई है।'' CARE ने अक्टूबर में कहा था कि रुचि सोया के अधिग्रहण का आकार, पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की कुल पूंजी (मार्च,2019 में) का 151 फ़ीसदी है।

लेकिन पतंजलि को उधार लेने में दिक़्क़त आ रही है। न्यूज़ रिपोर्टों के मुताबिक़, कंपनी SBI, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ़ बड़ोदा, यूनियन बैंक और जम्मू एंड कश्मीर बैंक के पास लोन के लिए गई। लेकिन कंपनी की रेटिंग में कई एजेंसियों द्वारा की गई गिरावट को देखते हुए बैंक आशंकित हैं। ग़ौर करने वाली बात है कि इनमें से कुछ बैंकों ने दिवालिया हो चुकी रुचि सोया कंपनी को सबसे ज़्यादा लोन दिया है। इनमें स्टेट बैंक ने रुचि सोया को 1,800 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ने 816 करोड़ रुपये, पंजाब नेशनल बैंक ने 743 करोड़ रुपये का उधार दिया।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने भी रुचि सोया को 608 करोड़ रुपये और डीबीएस ने 243 करोड़ रुपये का लोन दिया था। रुचि सोया के कुल 12,100 करोड़ रुपयों में से करीब 65 फ़ीसदी लोन संबंधित बैंको का था। इस बीच वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अक्टूबर में बैंको को सलाह दी कि वे स्व-सहायता समूह और धार्मिक लोगों के नेतृत्व वाली कंपनियों को लोन देने में हिचकिचाएं नहीं। लेकिन सीतारमण की बात में तार्किकता की कमी के चलते बाज़ार को देखने-परखने वाले लोगों ने उनकी सलाह की खिल्ली उड़ाई थी।

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

At least Three Rating Agencies Downgraded Ratings for Patanjali’s Bank Loan Facilities in October

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