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राजस्थान: कोटा में नहीं थम रहीं आत्महत्याएं, इस साल 20 से ज़्यादा मामले सामने आए

डॉक्टर्स-इंजीनियर्स बनने के लिए कोचिंग का हब कहा जाने वाला कोटा अब आत्महत्याओं का हब बनता जा रहा है। यहां पढ़ने वाले छात्र लगातार ख़ुदकुशी कर रहे हैं।
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प्रतीकात्मक तस्वीर।

वैसे तो खेल और राजनीति के मैदान में होने वाली प्रतिस्पर्धा हमें बहुत पसंद आती है। लेकिन दूसरी कई प्रतिस्पर्धाएं ऐसी हैं जो हमारे समाज के बीच अक्सर चलती रहती हैं और उनका असर हमारे जीवन पर सीधे तौर पर पड़ता है।

जिनमें से एक बेहद ख़तरनाक प्रतिस्पर्धा है - अपने बच्चों को दूसरों के बच्चों से बेहतर बनाने की चाहत। दरअसल ये चाहत अब परिजनों का जुनून बनती जा रही है। इस जुनून पर ख़रा उतरने के लिए बच्चे दिन-रात की मेहनत करते हैं। लेकिन उसी मेहनत का नतीजा जब सकारात्मकर नहीं होता है, तब उनका मनोबल टूट जाता है। उन्हें लगने लगता है कि अब वे अपने परिजनों का सामना कैसे करेंगे या घर की परेशानियों को कैसे दूर करेंगे, इन्हीं दबावों में आकर वो मर जाना बेहतर समझते हैं।

हालांकि पुख्ता तौर पर ये दावा नहीं किया जा सकता है कि परिजनों के प्रेसर में आकर ही बच्चे सिर्फ पढ़ाई को अपना जीवन मान लेते हैं। बहुत से बच्चे आत्मसम्मान या परिवार की परिस्थितियों के कारण भी ऐसी पढ़ाई चुनते हैं जिसका वो दबाव नहीं झेल पाते। लेकिन ये कहना ग़लत नहीं होगा कि ये सब किसी न किसी तरह से समाज के दवाब का ही नतीजा होता है।

इसी दबाव की प्रतिस्पर्धा में हारने वाले बच्चों की संख्या राजस्थान के कोटा में बढ़ती जा रही है - वही कोटा जिसे शिक्षा की राजधानी भी कह सकते हैं। यहां डॉक्टर-इंजीनियर बनने की चाहत लेकर आने वाले ज़्यादातर बच्चे मेधावी होते हैं यानी इंटर-हाईस्कूल में उन्हें 85-90 प्रतिशत के करीब ही नंबर मिले होते हैं।

ऐसे ही एक मेधावी छात्र ने 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस के दिन फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक ये छात्र बिहार का रहने वाला था, जिसका नाम वाल्मिकी जांगिड़ था और इसकी उम्र महज़ 18 साल थी। ये इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी आईआईटी में एडमिशन के लिए ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जाम यानी जेईई मेंस एग्जाम के लिए एक कोचिंग संस्थान में पढ़ाई कर रहा था। छात्र पिछले साल से कोटा के महावीर नगर इलाके में किराए के मकान में रहता था।

पुलिस के मुताबिक, छात्र के सुसाइड की वजह का पता नहीं चल सका है। महावीर थाना अधिकारी ने बताया कि 15 अगस्त को छात्र वाल्मीकि दिनभर अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकला। देर शाम मकान मालिक ने रूम का दरवाजा खटखटाया, पर दरवाजा नहीं खुला। जिस पर मकान मालिक को शक हुआ, फिर दरवाजा तोड़ा गया तो छात्र साफी के जरिए फंदे पर लटका मिला। जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। पुलिस की मानें तो छात्र ने दरवाजे के रोशनदान से गले में फंदा लगा लिया। पुलिस ने बताया कि छात्र के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस के मुताबिक इस साल अब तक 21 कोचिंग छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।

वाल्मीकि के पिता ने बताया कि उनकी 14 अगस्त को 2 बार वाल्मीकि से बात हुई थी। इसके बाद पुलिस ने उन्हें मंगलवार शाम को वाल्मीकि सुसाइड की खबर दी। वाल्मीकि ने आईआईटी के पहले सेशन की तैयारी कोटा में रहकर ही की थी। अभी वह दूसरे सेशन की तैयारी कर रहा था। वहीं उसके पिता ने बताया कि वाल्मीकि खुद जिद करके यहां पढ़ाई करने आया था। जबकि मेरी इच्छा यहां भेजने की बिल्कुल नहीं थी।

फिलहाल वाल्‍मीकि तो सिर्फ एक है लेकिन कोटा में इसी साल जनवरी से लेकर अबतक 21 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं।

बीते 10 अगस्त को छात्र मनीष प्रजापति ने फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया था। मनीष कोचिंग कम जा रहा था, कोचिंग का लास्ट टेस्ट भी उसने नहीं दिया था। यह जानकारी लगी तो उसके पिता उससे मिलने कोटा आए। तीन दिन तक पिता मनीष के साथ ही रहे। बाद में वो वापस लौट गए। लेकिन उसी शाम 8 बजे मनीष ने फंदे से लटककर सुसाइड कर लिया। ख़बरों के मुताबिक जांच में सामने आया कि उन्होंने मनीष को डांटा था।

यहां ग़ौर करने वाली बात ये है कि पिछले कुछ सालों में ज़्यादातर आत्महत्याएं उन बच्चों ने की जिन्हें कोटा आए हुए 1 महीने से 1 साल हुए हैं, जैसे ये लिस्ट देखिए -

· जनवरी में अली राजा ने सुसाइड किया था, जिसे कोटा आए महज पांच महीने ही हुए थे।

· 8 फरवरी को सुसाइड करने वाली बाड़मेर की कृष्णा आठ महीने पहले ही कोटा आई थी। इसके कुछ दिन बाद ही उत्तरप्रदेश के धनेश कुमार ने फंदा लगा लिया जो डेढ़ महीने पहले ही यहां आया था।

·12 जून को महाराष्ट्र निवासी 17 साल के भार्गव केशव ने कमरे में फांसी लगा ली। 2 महीने तक कोटा में रहा था। जेईई की तैयारी कर रहा था यानी साइंस-मैथ्स स्ट्रीम थी।

· 27 जून को उदयपुर के सलूंबर निवासी मेहुल वैष्णव (18) ने हॉस्टल में फांसी लगा ली। स्टूडेंट दो महीने पहले ही कोटा आया था। नीट की कोचिंग कर रहा था।

· 7 जुलाई को यूपी के रामपुर जिले के निवासी बहादुर सिंह फांसी लगाकर सुसाइड किया। वह दो महीने पहले ही कोटा आया था। जेईई की तैयारी कर रहा था।

· 3 अगस्त को यूपी के रामपुर के छात्र मनजोत ने सुसाइड कर लिया। कमरे में उसकी लाश मिली थी। तीन महीने पहले कोटा आया था। नीट की तैयारी कर रहा था।

· 4 अगस्त को बिहार के चंपारण के भार्गव मिश्रा ने सुसाइड कर लिया। जेईई की तैयारी के लिए आया था, चार महीने कोटा में रहा था।

इसी तरह अगर हर साल होने वाली आत्महत्याओं पर ग़ौर करें तो -

· साल 2023 में अब तक 21 छात्र कर चुके हैं आत्‍महत्‍या।

· साल 2022 में कोटा में 15 छात्रों ने आत्‍महत्‍या की थी।

· साल 2021 में कोटा में कोचिंग लेने आए 9 छात्रों ने की आत्‍महत्‍या

· साल 2019-2020 के दौरान कोरोना महामारी के कारण शहर में स्‍टूटेंट बेहद कम थे।

· साल 2018 में 12 विद्यार्थियों ने आत्‍महत्‍या की थी।

· साल 2017 में कोटा में 10 स्‍टूडेंट्स ने सुसाइड किया था।

आपको बता दें कि छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या करने के ऐसे-ऐसे तरीकों को ज़रिया बनाया है, जिससे उनका बच पाना मुश्किल हो रहा है, जैसे आत्महत्या करने के लिए वो अपने हाथ-पैर को बांध लेते हैं या फिर पन्नी के अंदर अपना मुंह बंद कर लेते हैं, फिर फांसी जैसी वारदात को अंजाम देते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का ये समझ पाना मुश्किल हो रहा है कि आख़िर बच्चों के मन में क्या चल रहा है।

ऐसे में जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने कहा है कि बच्चों के सुसाइड के मामले में कई कारण सामने आते हैं जिनमें स्टडी के साथ पेरेंट्स का प्रेसर भी सुसाइड का एक कारण है। कोशिश है जो बच्चे पढ़ना नहीं चाहते उनकी काउंसलिंग कर पेरेंट्स के साथ भेज दिया जाए।

फिलहाल सुसाइड मामले को रोकने के लिए जो भी जरूरी कदम है वह सब उठाए जा रहे हैं। इसे लेकर कोचिंग संचालक और हॉस्टल संचालकों की बैठक कर निर्देश भी दिए हैं। बच्चों के लिए मोटिवेशनल सेमिनार,साइकोलॉजिकल टेस्ट के साथ संडे के दिन कोचिंग और किसी भी प्रकार के टेस्ट से छुट्टी समेत कई निर्देश दिए हैं।

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