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रंग बदलती रूस-यूक्रेन की हाइब्रिड जंग

दिलचस्प पहलू यह है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने ख़ुद भी फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से सीधे पुतिन को संदेश देने का अनुरोध किया है।
Volodymyr Zelensky
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने 25 फ़रवरी, 2022 की मध्यरात्रि के बाद एक रूसी वार्ता की पेशकश का ख़ुलासा करते हुए एक वीडियो संबोधन जारी किया था

यूक्रेन में चल रहे रूसी हाइब्रिड युद्ध में युद्ध के साथ-साथ शांति की कोशिश का पहला संकेत सामने आ गया है। गुरुवार शाम तक क्रेमलिन ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को इस युद्ध को ख़त्म करने की बात कही।

थोड़े शब्दों में अगर कहा जाये,तो राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के सामने ख़ुद की तटस्थ स्थिति की गारंटी देने और उसके इलाक़े पर कोई आक्रामक हथियार नहीं होने देने के वादे पर ध्यान देने के साथ-साथ अपने यूक्रेनी समकक्ष के साथ चर्चा में शामिल होने की अपनी तैयारी की बात कही।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने विस्तार में गये बिना कहा, "राष्ट्रपति ने कथित 'रेड-लाइन' मसलों को हल किये जाने को लेकर यूक्रेन से हमारी क्या उम्मीद है, इस सिलसिले में अपना नज़रिया रख दिया है। यह नज़रिया तटस्थ स्थिति वाला है, और हथियारों को तैनात करने से इनकार का है।"

पुतिन ने गुरुवार सुबह एक राष्ट्रव्यापी संबोधन में उस सैन्य अभियान को शुरू करने की घोषणा करते हुए स्पष्ट कर दिया था कि रूस का मक़सद यूक्रेन के "सैन्यकरण" और "नाज़ीकरण" से रोकने तक सीमित है। नाज़ीकरण को रोकने से उनका आशय यह था कि  यूक्रेन में नव-नाज़ियों के ऐसे समूह हैं, जो यूक्रेन में देश के भीतर एक देश के रूप में कार्य कर रहे हैं और जातीय रूप से रूसी आबादी के ख़िलाफ़ क़हर बरपाते रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि क्रेमलिन की यह पेशकश अप्रत्याशित थी। यूक्रेन के सांसदों का एक समूह भी गुरुवार को ज़ेलेंस्की से एक खुले पत्र में मास्को के साथ बातचीत शुरू करने की अपील के साथ सामने आया था। दिलचस्प बात यह है कि इस समूह का नेतृत्व वादिम नोविंस्की कर रहे हैं। वादिम नोविंस्की यूक्रेन के एक अरबपति शख़्स हैं और एक दर्जन से ज़्यादा राजनीतिक दलों के संघ वाले एक विपक्षी गुट के नेताओं में से एक हैं। इस समूह ने दोनों देशों के संसदों के बीच सीधे परामर्श का भी प्रस्ताव रखा है।

लेकिन,इस नज़रिये का दिलचस्प पहलू यह है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने ख़ुद भी फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से सीधे पुतिन को संदेश देने का अनुरोध किया था। मैक्रोन ने तब से ख़ुलासा कर दिया है कि उन्होंने "राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के उस अनुरोध पर एक त्वरित, सीधी और स्पष्ट बातचीत की है।"

मैक्रों ने कहा कि इस बातचीत का मक़सद कीव से "जितनी जल्दी हो सके, दुश्मनी ख़त्म करने का अनुरोध करना" था। क्रेमलिन इस बात की पुष्टि करता है कि इस मुद्दे पर पुतिन ने मैक्रोन के साथ "उदारता के साथ" बातचीत की।

मैक्रों की भूमिका इसलिए अहम हो जाती है, क्योंकि मैक्रों ने ही पहली बार पुतिन के साथ हाल में हुई बातचीत के दौरान कहा था कि इस गतिरोध से बाहर निकलने का एक  तरीका तो यह हो सकता है कि कीव नाटो में शामिल होने के अपने किसी भी इरादे से एकतरफ़ा तौर पर तौबा करे। इसके बाद मंगलवार को क्रेमलिन में रूसी मीडिया से बातचीत में पुतिन ने भी इस बात का ज़िक्र किया था।

ज़ेलेंस्की ने गुरुवार आधी रात के बाद राष्ट्र के नाम अपने एक भावनात्मक वीडियो संबोधन में ख़ुद (पुतिन के साथ मैक्रों की बातचीत के बाद) कहा था, “हम अपने देश की रक्षा करते हुए अकेले पड़ गये हैं। हमारे साथ लड़ने के लिए कौन तैयार है ? मुझे कोई नज़र नहीं आ रहा। यूक्रेन को नाटो की सदस्यता की गारंटी देने को लेकर कौन तैयार है ? हर कोई डरा हुआ है।" ज़ेलेंस्की ने इस बात का ख़ुलासा किया कि उन्होंने मास्को से सुना है कि "वह यूक्रेन की तटस्थ स्थिति के सिलसिले में बात करना चाहता है।"

एकदम साफ़ तौर पर ज़ेलेंस्की को अब तक यह पता चल चुका है कि वाशिंगटन या ब्रुसेल्स से कोई बख़्तरबंद सेना उनकी सरकार बचाने नहीं आ रही है। हक़ीक़त यही है कि मैक्रों से किये गये ज़ेलेंस्की के उस अनुरोध के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की वह बार-बार की गयी स्पष्ट पुष्टि है कि यूक्रेन में अमेरिकी हस्तक्षेप या अमेरिकी सैनिकों का रूसी सेना से भिड़ने का कोई सवाल ही नहीं है।

इस बीच रूसी रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को इस बात पर रौशनी डालते हुए कहा कि मास्को की रणनीति सैन्य ठिकानों पर हमला करने की होगी और नागरिकों को किसी भी तरह के नुक़सान से बचाने की होगी। यूक्रेन की वायु रक्षा प्रणाली को निष्क्रिय कर दिया गया है। मास्को यूक्रेनी सैनिकों को आत्मसमर्पण करने या अपने परिवारों के पास लौट जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जिसका मक़सद किसी भी तरह की लड़ाई को न्यूनतम कर देना है।

ये तमाम बातें दिखाती हैं कि एक राजनीतिक हल का विकल्प अब भी बचा हुआ। रूस का यह गेम प्लान ज़ेलेंस्की के लिए दीवार पर लिखी हुई स्पष्ट इबारत को पढ़ने के लिए मजबूर करना है। यूक्रेन का आत्मसमर्पण कुछ ही दिनों की बात रह गयी है। इस हाईब्रिड जंग में निम्नलिखित तत्व होंगे:

• कोई शक नहीं कि रूस यूक्रेन में सक्रिय नव-नाज़ी तत्वों (ख़ासकर सेना के भीतर आज़ोव ब्रिगेड जैसे तत्वों) को व्यवस्थित रूप से परास्त करेगा, जिनके हाथों में रूसी ख़ून लगा हुआ है। अपने रूसी विरोधी प्रकृति होने के चलते ये तत्व अब तक गुप्त पश्चिमी समर्थन पाते रहे हैं और इन्हें किसी भी तरह की सज़ा से आज़ाद रखा जाता रहा है।  

• रूस का यह अनुमान ठीक ही है कि नव-नाज़ी तत्वों पर की जाने वाली कोई भी सख़्त कार्रवाई ज़ेलेंस्की के हाथों को ही मज़बूत करेगी। ज़ेलेंस्की के पास ख़ुद की सत्ता का कोई आधार तो है नहीं, ऐसे में वह चरम राष्ट्रवादियों की कठपुतली रहे हैं।

• दूसरी ओर, पश्चिमी शक्तियां दहशत में कीव से पीछे हट गयी हैं, और बौखलाये हुए ज़ेलेंस्की को अपने बचाव के लिए ख़ुद के हवाले छोड़ दिया गया है। लेकिन, विडंबना यही है कि यही बात ज़ेलेंस्की को एक ऐसा उचित वार्ताकार भी बना देती है, जो अमेरिका जैसी शरारत भरे शिकंजे से आज़ाद हो गये हैं।

• ज़ेलेंस्की ज़बरदस्त बाहरी दबाव और उन चरम राष्ट्रवादियों के डर से काम कर रहे हैं, जो कि "सड़क की ताक़त" का इस्तेमाल करते हैं। (राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच से एक व्यवस्थित संवैधानिक संक्रमण को ख़ारिज करते हुए इन्हीं अति-राष्ट्रवादियों ने खुले अमेरिकी समर्थन से फ़रवरी 2014 में तख़्तापलट कर दिया था।)

• 2019 के चुनाव में ज़ेलेंस्की को मिला भारी जनादेश (73% से ज़्यादा वोट) काफ़ी हद तक उन रूसी मतदाताओं के पूरे दिल से किये गये समर्थन के कारण ही था, जो कि रूस के साथ बातचीत के उनके मंच और मॉस्को की मदद से डोनबास में एक बातचीत के समझौते के उनके वादे से आकर्षित थे। लेकिन, इस घटना में ज़ेलेंस्की चरम राष्ट्रवादियों का बंदी बन गये और पश्चिमी तिकड़म का शिकार हो गये।

• हालांकि, ज़ेलेंस्की यह महसूस करते हुए जब-तब मास्को को यह संकेत देते रहे हैं कि वह बाहर निकलने वाले रास्ते की तलाश की इच्छा इसलिए रखते हैं, क्योंकि वह ऐसे मोड़ पर खड़े हो गये हैं, जहां से निकलने वाली सड़क का कोई अंत नहीं दिखता। हाल ही में उन्होंने वाशिंगटन में चल रहे युद्धोन्माद पर असंतोष जताया। सीएनएन के मुताबिक़, हाल ही में बाइडेन के साथ टेलीफ़ोन पर हुई एक बातचीत के दौरान दोनों के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी।

रूस की इस तात्कालिक पेशकश से ऐसा लगता है कि यूक्रेन ऑस्ट्रिया और फ़िनलैंड की तर्ज पर उस तटस्थता की स्थिति का विकल्प चुन सकता है, जिसमें नाटो की सदस्यता पर ख़ुद ही प्रतिबंध लगाना है। निश्चित ही रूप से ज़ेलेंस्की इस तरह के विचार के लिए तैयार होंगे। अब सवाल है कि इस विकल्प में उनके लिए क्या है ?

सबसे पहले तो रूस तुरंत अपने सैन्य अभियान को बंद कर देगा या कम से कम निलंबित कर देगा। इससे जेलेंस्की की स्थिति मज़बूत होगी। दूसरी बात कि रूस की सीधी भागीदारी डोनबास में चल रहे तनाव को कम करने की कुंजी है। हालांकि,मास्को इस तरह की भूमिका से कतरा रहा था।

तीसरी बात कि ज़ेलेंस्की यूक्रेन के उन रूसी समर्थक मतदाताओं के साथ अपने रिश्ते को फिर से दुरुस्त कर सकते हैं, जो कि 2019 के चुनाव में उनके समर्थन का मुख्य आधार थे। इसका मतलब यह होगा कि 2023 के चुनाव में उनके दूसरे कार्यकाल के लिए चुने जाने के लिहाज़ से ये मतदाता उनके आधार बनेंगे।

चौथी बात कि रूस यूक्रेन के भीतर व्यापक नेटवर्किंग का इस्तेमाल करता है। यूक्रेन में भ्रष्टाचार और अनैतिकता, कुलीन वर्ग और माफ़िया आदि से प्रेरित एक अराजक राजनीतिक वातावरण है। रूस का अब भी सत्ता के उन दलालों पर अपना प्रभाव है, जिन्होंने किसी समय या इस समय भी मास्को के संरक्षण का इस्तेमाल किया है। इस तरह, ज़ेलेंस्की इस बात का भी ख़्याल रखेंगे कि रूसी मदद से यूक्रेन की खंडित राजनीतिक अर्थव्यवस्था को भी दुरुस्त किया जा सके।

जहां तक रूस की बात है,तो सुरक्षा गारंटी की शर्तों में उसने जो दिसंबर के मध्य में अमेरिका के सामने रखा था, और मास्को किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाया था,अब अगर यूक्रेन नाटो की सदस्यता से मुंह मोड़ लेता है और अपनी ज़मीन पर पश्चिमी सैन्य तैनाती को ख़त्म कर देता है, तो पुतिन कम से कम आंशिक रूप से अपने मक़सद तक पहुंच पाने में कामयाब हो सकते हैं।

रूस और यूक्रेन के बीच गहन सभ्यतागत जुड़ाव रहा है,उसे देखते हुए और दोनों देशों के आम लोगों के बीच के रिश्ते और पारिवारिक सम्बन्धों को देखते हुए यूक्रेन में रूस के साथ रिश्ते में सुधार के पक्ष में बेशुमार सहमति है। यूक्रेन की अर्थव्यवस्था आज भी रूस के साथ गहरे रूप से जुड़ी हुई है। रूस यूक्रेन का नंबर एक निर्यात बाज़ार है। रूस उदार रूप से यूक्रेन के लिए एक अनुदान देने वाला देश रहा है। सिर्फ़ यूरोप में पाइपलाइन गैस के परिवहन के लिहाज़ से पारगमन शुल्क सालाना 1 अरब डॉलर से ज़्यादा का हो गया है !

रूस के लिए ख़ास तौर पर फ़ायदे की बात यही होगी कि भू-राजनीतिक नज़रिये से यूक्रेन अपनी संप्रभुता हासिल कर लेगा और सही मायने में एक अमेरिकी उपनिवेश नहीं रह जायेगा। रूस का मानना है कि एक तटस्थ यूक्रेन सही मायने में 2014 के तख्तापलट से पहले वाले यूक्रेनी ढांचे को उसके पहले के इतिहास में ले जायेगा।

जो बात सबसे अहम है,वह यह कि ज़ेलेंस्की किसी हद तक पुतिन के साथ बातचीत की दिशा में अपने रास्ते को आगे बढ़ाने में सक्षम हैं। अच्छी बात यह है कि रूसी सैन्य अभियान से कट्टरपंथी राष्ट्रवादी तितर-बितर हो जायेंगे, और दूसरी बात यह कि यह मुमकिन ही नहीं है कि बाइडेन यूक्रेन में किसी भी तरह की गुप्त गतिविधि को फिर से शुरू करने को लेकर फिर से उतावले हों। नवंबर के मध्यावधि वाला अमेरिकी राजनीतिक आकार्षण ज़ोर पकड़ रहा है और सार्वजनिक रूप से वाशिंगटन की ओर से यूक्रेन और रूस के बीच किसी का पक्ष लेने का विरोध किया जा रहा है।

ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या अमेरिका चल रही इन नयी प्रक्रियाओं से सहमत हो पायेगा ? उम्मीद की जा रही है कि मैक्रों मध्यस्थता कर सकते हैं। माना जा रहा है कि वह बाइडेन के संपर्क में भी हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

Ukraine’s Hybrid War is Mutating

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