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चुनाव से पहले तमिलनाडु पर कृपा बरसाने लगे राष्ट्रीय नेता, अन्नाद्रमुक के कृषि क़र्ज़ माफ़ी की आलोचना 

दोनों द्रविड़ पार्टियां पहली बार अपने किसी करिश्माई नेता के बगैर ही विधानसभा चुनाव मैदान में उतर रही हैं। हालांकि वी.के. शशिकला के जेल से आने के बाद अन्नाद्रमुक की चिंता थोड़ी ज्यादा है।
चुनाव से पहले तमिलनाडु पर कृपा बरसाने लगे राष्ट्रीय नेता, अन्नाद्रमुक के कृषि क़र्ज़ माफ़ी की आलोचना 

चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, तमिलनाडु में बड़े-बड़े राजनीतिक नेताओं के आना तेज़ हो गया है। यहां आने वालों नेताओं में स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी भी शामिल हैं। इसके परिणामस्वरूप आने वाला विधानसभा चुनाव असाधारण रूप से सबका ध्यान खींच रहा है, विशेषकर भाजपा की गतिविधियों से ऐसा हो रहा है। कहा गया है कि आने वाले दिनों में,  कद्दावर राजनीतिक हस्तियों का तमिलनाडु दौरा और बढ़ेगा।

दोनों द्रविड़ पार्टियां,  ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक/एआईडीएमके) और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक/डीएमके) पहली बार अपने दिवंगत बड़े नेताओं के बगैर ही चुनाव मैदान में उतर रही हैं,  इसलिए वह कोई मौका नहीं चूकना चाहती हैं।

अन्नाद्रमुक अपनी बागी नेता और पूर्व महासचिव वी.के. शशिकला के बेंगलुरु की केंद्रीय जेल से रिहा होने के 10 दिन बाद पार्टी पद से अपनी बर्खास्तगी को  कानूनी चुनौती दिए जाने से थोड़ी चिंतित जरूर है।

इसी बीच, अन्नाद्रमुक सरकार ने कृषि क्षेत्र में सहकारिता बैंक से लिए गए कर्जे की  माफी की मुनादी कर दी है।

राष्ट्रीय नेताओं का आना

भाजपा और कांग्रेस सहित तमाम राष्ट्रीय पार्टियों की नेता चुनाव नजदीक आता देख कर तमिलनाडु के दौरे पर लगातार आ रहे हैं। अभी एक सप्ताह पहले ही प्रधानमंत्री ने राज्य का दौरा किया था और अगली 25 फरवरी को फिर उनका कार्यक्रम निर्धारित है। उनके सहयोगी गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा जैसे नेता यहां आ चुके हैं या आने वाले हैं। स्थानीय जनता से बेहतर तरीके से जुड़ने के अपने नियमित प्रयास के हिस्से के रूप में प्रधानमंत्री अपनी अनुकूल वेशभूषा और तदनुरूप भाषण के विचार-वस्तु के लिए भी जाने जाते हैं। अपने हालिया दौरे में प्रधानमंत्री ने संगम-युग के प्रसिद्ध कवियों अव्वाईयार और सुब्रमण्यम भारती या भरथियार के उद्धरणों को अपने संबोधन में उद्धृत किया है। हालांकि उनके इस उद्धरण पर विद्वानों ने उन्हें आड़े हाथों भी लिया है। इन लोगों ने तमिल के विकास के लिए कोषों के आवंटन में कमी करने जबकि संस्कृत भाषा के लिए बजट आवंटन बढ़ाने को लेकर मोदी सरकार की आलोचना की है।

भाजपा से असुविधा महसूस कर रही विरोधी पार्टियों ने मदुरई में ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (एम्स) के निर्माण में हो रहे असाधारण विलंब  और राज्य में कई रेल परियोजनाओं के लंबित होने के लिए सरकार की आलोचना की है।

राहुल गांधी भी अपने कई दौरों के बाद राज्य में एक जाना-पहचाना चेहरा हो गए हैं। लेकिन उनकी पार्टी राज्य में कुछ करने में कमजोर दिख रही है। हालांकि राहुल जनता के साथ सुर मिलाने में कामयाब हुए हैं- खासकर कॉलेज के छात्रों के साथ होने वाली कई बैठकों में। लेकिन कांग्रेस में जारी आंतरिक संघर्ष थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।

सीपीआई (एम) के नेता इस महीने के अंत तक राज्य के दौरे पर आने वाले हैं।  तमिलनाडु की उनकी इकाई ने पूरे प्रदेश में 12 बैठकें निर्धारित कर रखी हैं।  सीपीआई ने मदुरई में 18 फरवरी को एक विशाल आम सभा की थी, जिसमें कई विपक्षी नेताओं ने भाग लिया था।

कृषि ऋण माफ़ी चुनावी फ़ायदे के लिए?

अन्नाद्रमुक के भीतर हालिया अवरोध को देखते हुए लग रहा है कि अपनी करिश्माई नेता जयललिता के निधन के बाद होने वाले अगले चुनाव में वह भाजपा की एक जूनियर सहयोगी के रूप में मैदान में उतरने जा रही हैं। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में व्यापक रूप से इसका खामियाजा उठाया था, जबकि विधानसभा उपचुनावों  में कुछ सीटें जीतने के बाद वह किसी तरह बहुमत में आ गई थी।

अन्नाद्रमुक अपना चेहरा बचाने की जद्दोजहद और चुनावी फायदे के लिए  गलत तरीके से योजनाओं की श्रृंखलाबद्ध  घोषणाएं करती जा रही है। इसी क्रम में  उसने 16.43 लाख किसानों के 12,110 करोड़ रुपये के कर्ज माफी की ताजा घोषणा की है। हालांकि आम चलन के बजाय अन्नाद्रमुक सरकार ने इस पर त्वरित अमल किया और घोषणा के हफ्ते के भीतर ही किसानों के बीच कर्ज माफी का दस्तावेज बांट दिया।

किसान संगठनों और विरोधी पार्टियों ने इस कर्ज माफी के सरकार के फैसले और उसे लागू करने का स्वागत तो किया, लेकिन उन्होंने इसे ‘चुनाव जीतने की चाल’ भी बताया। द्रमुक ने चुनाव जीत कर सरकार बनाने के बाद कर्ज माफी का वादा किया था, जिस पर अन्नाद्रमुक सरकार ने तब आपत्ति जताई थी। द्रमुक प्रमुख एम.के. स्टालिन ने दावा किया कि अन्नाद्रमुक सरकार ने उनकी पार्टी के वादे की नकल मार ली है।

डेल्टा जिले को नज़रअंदाज किया गया?

कर्ज माफी  में हुई गड़बड़ियों की बात सामने आई है। हिंदू अखबार ने जांच के बाद एक रिपोर्ट प्रकाशित है कि जिसमें कहा गया है कि चुनिंदा जिले के  ज्यादातर किसानों की ही कर्ज माफी की गई। मुख्यमंत्री इडाप्पडी के पलानिस्वामी के चुनाव क्षेत्र सलेम जिले में सबसे ज्यादा किसानों की कर्ज माफी की गई, जिनके यहां बैंकों की बड़ी राशि थी। तमिलनाडु का डेल्टा क्षेत्र धान की खेती के लिए मशहूर है, लेकिन यहां के किसानों को कर्ज माफी से बहुत फायदा नहीं हुआ है।  हिंदू की रिपोर्ट में कहा गया है कि चार जिलो- तंजावुर, तिरुवरूर, मायिलादुथरई और नागापट्टनम में 1,133 करोड़ रुपयों की माफी दी गई, जो कर्ज की रकम का महज 10 फीसद हिस्सा है।

हालांकि रिपोर्ट में कर्ज माफी में की गई असमानता के लिए सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक और प्राइमरी एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटीज के अधिकार क्षेत्र को एक बड़ी वजह बताई गई है। 

शशिकला ने महासचिव पद से हटाए जाने को चुनौती दी

आय से अधिक संपत्ति के मामले में बेंगलुरु जेल में सजा काट रही शशिकला की पैरोल पर रिहाई के बाद उनकी चुप्पी रहस्यमय लग रही है। इस असंतुष्ट नेता ने मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है,  जिसमें उन्होंने अन्नाद्रमुक आम परिषद के प्रस्ताव द्वारा के महासचिव पद से हटाए जाने के फैसले को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को निचली अदालत में भेज दिया है। इस मामले की सुनवाई 15 मार्च को होगी।

अन्नाद्रमुक को उस समय बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था, जब ‘दो पत्तियां’ के उसके चुनाव चिह्न को पहले आरके नागर को दे दिया गया था। पार्टी दो धड़ों में बंट गई थी। एक का नेतृत्व ई मधुसूदन, जो स्थाई समिति के अध्यक्ष भी हैं, पनीर सेल्वम और एस सेम्मालाई  कर रहे थे तो दूसरे धड़े का नेतृत्व शशिकला और टीटी दिनाकरण कर रहे थे,  जिन्होंने अपनी पार्टी के लिए नया नाम और चुनाव चिह्न लिया था।

भाजपा के साथ अन्नाद्रमुक की बढ़ती नजदीकियों को देखते हुए ऐसा असामान्य खतरे का कोई कारण नहीं दिखता लेकिन कुछ मंत्री जो पार्टी के लिए चिंतित हैं, वे दोनों धड़ों में एकता की बात कर रहे हैं।

एमएनएम-आप में गठबंधन की चर्चा जारी

तमिलनाडु में कमल हासन की सर्वथा नवजात पार्टी मक्काल नीति मायम (एमएनएम) और आम आदमी पार्टी गठबंधन करने पर लगातार चर्चाएं कर रहे हैं। दोनों पार्टियों ने कुछ गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों के साथ दो चरणों की बातचीत भी की है।

एमएनएम ने द्रमुक और अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन की संभावना को खारिज कर दिया है और उन पार्टियों से गठबंधन का आह्वान किया है, जो कमल हासन को चुनाव बाद मुख्यमंत्री बनाने के लिए राजी हैं। एमएनएम का राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित प्रभाव है, जबकि आप का सूबे में बिल्कुल असर नहीं है। आप की राज्य इकाई के चुनावी राजनीति पर बिना कोई असर डाले हुए दो फाड़ हो जाने से बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।

यद्यपि इन दोनों पार्टियों ने राज्य की राजनीति में परिवर्तन लाने के पक्ष में अपना स्वर बुलंद किया है, लेकिन उसका असर उनके अप्रभावी होने की वजह से बहुत सीमित असर होने की संभावना है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Tamil Nadu Patronised by National Leaders Ahead of Polls, AIADMK’s Farm Loan Waiver Attracts Criticism

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