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यूपी एसटीएफ का शुक्रिया कि उसने मेरा एनकाउंटर नहीं किया : डॉ. कफ़ील

जेल से रिहाई में देरी पर भी योगी सरकार की मंशा पर उठे सवाल। सुरक्षा को देखते हुए रिहाई के बाद अपने घर गोरखपुर न जाकर राजस्थान गए डॉ. कफ़ील।
यूपी एसटीएफ का शुक्रिया कि उसने मेरा एनकाउंटर नहीं किया : डॉ. कफ़ील

जेल से ज़मानत पर रिहा होने के बाद भी डॉ. कफ़ील अपने घर गोरखपुर जाने के बजाय राजस्थान चले गए हैं। डॉ. कफ़ील के परिवार का कहना है कि उनको सुरक्षा कि दृष्टि से उत्तर प्रदेश के बाहर भेज दिया गया है।

नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ एक भाषण देने के आरोप में मथुरा जेल में बंद डॉ. कफ़ील को अदालत के हुक्म पर कल रात रिहा कर दिया गया। उनके परिवार के लोगों का आरोप है की जेल प्रशासन और अलीगढ़ प्रशासन अदालत के आदेश के बावजूद डॉ. कफ़ील को रिहा करने में देरी कर रहा था।

उनके भाई ने बताया कि अदालत ने डॉ कफ़ील के ऊपर से राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) हटाकर तुरंत रिहा करने के आदेश दिये थे। लेकिन मंगलवार को देर रात तक उनको रिहा नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जेल प्रशासन किसी तरह डॉ. कफ़ील को जेल में ही रखना चाह रहा था। इस बीच उनके परिवार को ख़बर मिली कि रासुका हटने के बाद डॉ. कफ़ील पर गैर-क़ानूनी गतिविधियाँ (यूएपीए) लगाने की तैयारी हो रही है। यह ख़बर मिलने के बाद उनका परिवार सक्रिय हुआ और जेल व ज़िला प्रशासन के ख़िलाफ़ अदालत के अवमानना दर्ज कराने की तैयारी करने लगा। जिसकी ख़बर जब प्रशासन को मिली तो डॉ. कफ़ील को देर रात रिहा किया गया।

 इसे पढ़ें डॉ. कफ़ील को तत्काल प्रभाव से रिहा करने का आदेश

 डॉ. कफ़ील ने जेल से रिहा होकर मीडिया से बात कि और अपने ऊपर हुई कार्रवाई को बीआरडी मेडिकल कॉलेजगोरखपुरमें ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत से जोड़कर बताया। उन्होंने कहा कि 60 बच्चों कि मौत के मामले में उन पर लगे आरोप धीरे-धीरे ग़लत साबित हो रहे थे। इस लिए उनको आपत्तिजनक भाषण के बहाने से जेल भेजा गया।

 जेल से रिहाई के बाद उन्होंने प्रेस से कहा कि उनको जिस भाषण के आधार पर जेल भेजा गया वह 12 दिसंबर 2019 का है। जो उन्होंने सीएए के विरुद्ध एक सभा में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के बाहर दिया था। लेकिन उनको जनवरी के आख़िर में गिरफ़्तार किया गया और रासुका उस वक़्त लगी जब वह जेल से रिहा होने वाले थे। फिर इसे लगातार बढ़ाया जाने लगा।

 रिहाई के समय प्रेस से संक्षेप में हुई बातचीत में उन्होंने यह भी कहा की सरकार उनको इसलिए जेल में रखना चाहती है ताकि जनता को यह ना मालूम हो कि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी चरमरा चुकी है और कोविड के इलाज में क्या कमियां हैं। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि वह न ही झुकेंगे और न हौसला कम हुआ है। वह फिर जाकर बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में स्वास्थ शिविर लगाकर ग़रीब बच्चों का इलाज करेंगे।

 न्यूज़क्लिक के लिए फोन पर बातचीत में डॉ. कफ़ील ने योगी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए यह भी कहा कि वे यूपी एसटीएफ का शुक्रिया अदा करते हैं कि मुंबई से लाते समय उनका एनकाउंटर नहीं किया गया।

 रिहाई मिलने के बाद वह पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर अपने घर न आकर राजस्थान जाने पर उनके परिवार वालों का कहना है कि गोरखपुर में घर पर रहते हुए भी उनको झूठे मुक़दमों में फंसाया जा सकता था। राजस्थान की सीमा मथुरा से क़रीब हैइसलिए उनको वहाँ भेज दिया गया। फ़िलहाल कुछ हफ़्ते अभी वह वहीं रहेंगे। आपको बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है।

 उल्लेखनीय है अगस्त 2017 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज (गोरखपुर) के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता डॉ. कफ़ील ख़ान उस समय मीडिया की सुर्खी में आएजब वहां एक साथ बड़ी तादाद में बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से मौत हो गई थी। डॉ. कफ़ील पहले मीडिया में एक हीरो की तरह सामने आए थे जिसके प्रयासों से कई बच्चों की जान बचाई जा सकी। लेकिन इस मामले में योगी सरकार द्वारा उन्हें दोषी मानकर निलंबित कर जेल भेज दिया गया था।

 जनवरी से डॉ. कफ़ील प्रदेश की मथुरा जेल में बंद थे। उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने 29 जनवरी 2020 की रात को उनको मुम्बई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 12 दिसंबर 2019 को सीएए के विरुद्ध एक प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था।

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