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वैगनर ग्रुप के चीफ़ येवगेनी प्रिगोझिन का उदय और पतन!

फ़ेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) ने येवगेनी के इस क़दम को 'एक सशस्त्र विद्रोह' कहा है। इसके अलावा प्रोसिक्यूटर जनरल के कार्यालय ने कहा, “इस अपराध के लिए 12 से 20 साल की क़ैद की सज़ा हो सकती है।”
Yevgeny Prigozhin
येवगेनी प्रिगोझिन

(शनिवार, 25 जून को, रूस में पीएमसी वैगनर मिलिशिया ग्रुप द्वारा किया गया अल्पकालिक विद्रोह इसके प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन और बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको के बीच बातचीत के बाद समाप्त हो गया। प्रिगोझिन ने घोषणा की कि उनके सैनिक अपने फील्ड कैंप में लौट आएंगे। पूर्व भारतीय राजनयिक और विश्लेषक एम.के. भद्रकुमार इन घटनाओं के संभावित कारणों और प्रभाव का विश्लेषण करते हैं।)

क्रेमलिन लीडरशिप ने रूसी ऑलिगार्क्स (कुलीन वर्ग) और मिलिटरी कॉन्ट्रैक्टर के वैगनर ग्रुप के स्वयंभू 'संस्थापक' येवगेनी प्रिगोझिन द्वारा सशस्त्र विद्रोह के ख़तरे का मुकाबला करने के लिए निर्णायक रूप से कार्य किया है।

शुक्रवार को जारी किए गए वीडियो की एक सीरीज़ में, प्रिगोझिन ने आरोप लगाया कि यूक्रेन में सैन्य हस्तक्षेप के लिए रूसी सरकार के जस्टीफिकेशंस झूठ पर आधारित थे। उन्होंने मंत्री सर्गेई शोइगु के अधीन आने वाले रूसी रक्षा मंत्रालय पर "समाज और राष्ट्रपति को धोखा देने की कोशिश करने" का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि नियमित रूसी सशस्त्र बलों ने वैगनर बलों के ख़िलाफ़ मिसाइल हमले किए थे, जिसमें "बड़ी संख्या में" लोग मारे गए थे।

प्रिगोझिन ने घोषणा की: "पीएमसी वैगनर के कमांडरों की काउंसिल ने एक निर्णय लिया है - देश का सैन्य नेतृत्व जो भी बुराई लाता है उसे रोका जाना चाहिए।" उन्होंने मास्को पर मार्च करने और ज़िम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने की कसम खाई।

फ़ेडरल सिक्योरिटी सर्विस या FSB (पूर्व में KGB) ने इसे "एक सशस्त्र विद्रोह" कहा है। सेंट पीटर्सबर्ग स्थित वैगनर के मुख्यालय को सील कर दिया गया है। इसके अलावा प्रोसिक्यूटर जनरल के कार्यालय ने कहा, “इस अपराध के लिए 12 से 20 साल की क़ैद की सज़ा हो सकती है।”

शनिवार सुबह 10 बजे मॉस्को टाइम्स में राष्ट्र के नाम एक संबोधन में, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसे "एक सशस्त्र विद्रोह" बताते हुए घटनाक्रम की कड़ी निंदा की और "सभी बलों के एकीकरण" का आह्वान किया। पुतिन ने इसकी तुलना फरवरी 1917 में पेट्रोग्रेड (सेंट पीटर्सबर्ग) में हुए विद्रोह के साथ की, जिसके कारण बोल्शेविक क्रांति हुई और संयुक्त राज्य अमेरिका समेत बड़े पैमाने पर पश्चिमी सैन्य हस्तक्षेप के साथ एक लंबा गृहयुद्ध चला, “जबकि सभी प्रकार के पॉलिटिकल एडवेंचर्स और विदेशी ताकतों ने देश को विभाजित कर इस स्थिति से लाभ उठाया।”

उन्होंने वादा किया, “रोस्तोव-ऑन-डॉन (मास्को से 700 किलोमीटर दक्षिण में जहां प्रिगोझिन वैगनर सेनानियों के साथ स्थित है) में स्थिति को स्थिर करने के लिए भी निर्णायक कार्रवाई की जाएगी।

पुतिन ने कसम खाई कि "जिन्होंने सैन्य विद्रोह का आयोजन और इसकी तैयारी की, जिन्होंने उनके साथियों के ख़िलाफ़ हथियार उठाए और रूस के साथ विश्वासघात किया," उन्हें सज़ा दी जाएगी। हालांकि पुतिन ने एक बार भी प्रिगोझिन के नाम का ज़िक्र नहीं किया।

यह टकराव कई महीनों से चल रहा है और इससे वैगनर बलों और रूसी अवज्ञा मंत्रालय के बीच कामकाजी संबंधों में तनाव का पता लगाया जा सकता है।

प्रिगोझिन ने उस रेड लाइन को पार कर लिया है जिसे पुतिन ने क्रेमलिन में अपने शासन की शुरुआत में साल 2000 में रूस के 21 सबसे अमीर लोगों - 'ऑलिगार्क्स' - के साथ एक ऐतिहासिक बैठक में खींची थी, जैसा कि रूसी लोग उन्हें उपहासपूर्वक कहने लगे थे - जो कहीं से भी अचानक उभरे थे, उन्होंने शानदार संपत्ति अर्जित की, क्योंकि उनके आसपास का देश संदिग्ध सौदों के कारण अराजकता में डूब गया था, इसके अलावा पूरी तरह से भ्रष्टाचार, और यहां तक कि हत्या जैसी घटनाओं ने रूस की अर्थव्यवस्था के अधिकांश हिस्से पर, और तेज़ी से, इसके नवोदित लोकतंत्र पर नियंत्रण कर लिया था। बंद कमरे में हुई बैठक में पुतिन ने उन्हें आमने-सामने बताया कि वास्तव में रूस में इंचार्ज कौन है।

पुतिन ने ऑलिगार्क्स को एक समझौते की पेशकश की: 'रूसी राज्य के अधिकार के आगे झुकें, रूस के शासन या घरेलू राजनीति के रास्ते से दूर रहें, और इसके अलावा वे अपनी हवेली, सुपर-नौकाएं, निजी जेट और अरबों डॉलर के निगमों को अपने पास रख सकते हैं।' आने वाले सालों में, इस सौदे से पीछे हटने वाले कुलीन वर्गों को भारी कीमत चुकानी पड़ी। 15 अरब डॉलर की संपत्ति वाले और एक समय फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में 16वें स्थान पर रहने वाले मिखाइल खोदोरकोव्स्की का मामला सबसे मशहूर है, जिन्होंने राजनीतिक महत्वाकांक्षा पाल रखी थी और अब अमेरिका में निर्वासन में रह रहे हैं। अमेरिकी थिंक टैंकों और पुतिन के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने वाले रसोफोबिक कार्यकर्ताओं को जमकर फंडिंग की जा रही है।

लेकिन, दूसरी ओर, जो "वफादार" वहीं रह गए, वे बहुत अमीर बन गए। प्रिगोझिन जो एक साधारण मूल का व्यक्ति था, बड़ी संपत्ति अर्जित करने के लिए वहीं रुक गया। एक तरह से, वह उन सभी चीज़ों का प्रतीक है जो चीज़ें रूस के सोवियत-बाद के पुनर्जन्म के साथ बहुत गलत हो गई हैं।

हालांकि, विभाजन रेखा अक्सर धुंधली हो जाती है क्योंकि यहां तक कि जो लोग रुके थे उन्होंने अपनी लूट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पश्चिमी देशों में, बैंक तिजोरियों में या रूसी कानून की पहुंच से परे, चल और अचल संपत्ति के रूप में रखने का ध्यान रखा। इसका मतलब यह है कि ऑलिगार्क्स भी पश्चिमी ब्लैकमेल के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हैं। इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि वेस्टर्न कैपिटल्स को लगता है कि ऑलिगार्क्स, क्रेमलिन शासन को भीतर से कमज़ोर करने या रूस को अस्थिर करने और यूक्रेन में उसके युद्ध प्रयासों को अस्त-व्यस्त करने के लिए सामाजिक विस्फोट करने में मदद कर सकते हैं।

प्रिगोझिन के एंटीसिडेंट्स का कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता। लेकिन यह पूरी तरह से कल्पना योग्य है कि यह व्यक्ति जिसे क्रेमलिन की सत्ता के गलियारों में अतिरिक्त प्रभाव का श्रेय दिया जाता है, पश्चिमी खुफिया विभाग के निशाने पर रहा है। प्रिगोझिन की व्यक्तिगत संपत्ति कम से कम 1.2 बिलियन डॉलर है।

प्रिगोझिन भी एक प्रकार के ट्रेलब्लेज़र थे, जो भाड़े के सैनिकों की एक अर्ध-राज्य कंपनी के प्रबंधन के बेहद आकर्षक पेशे में आ गए थे, जो विदेशों में उन देशों में हॉटस्पॉट में सैन्य ठेकेदारों के रूप में कार्य करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित हैं, जहां रूस के व्यावसायिक, राजनीतिक या सैन्य रूप से महत्वपूर्ण हित हैं।

मॉस्को अब राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलनों को बढ़ावा देने के सोवियत-काल के व्यवसाय में नहीं है। लेकिन यह उन शासन परिवर्तनों से भी अछूता नहीं रह सकता है जिन्हें रूस के मुख्य पश्चिमी प्रतिद्वंद्वी तथाकथित ग्लोबल साउथ (या पूर्व-सोवियत गणराज्यों) में अपने भू-राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए नियमित रूप से बढ़ावा देते हैं। इस प्रकार, रूस ने कुछ हद तक, कुख्यात फ्रेंच फोरेन लीग के अनुरूप एक मिलिटरी विंग बनाकर एक सरल तीसरा रास्ता खोजा है। वैगनर ग्रुप स्थापित सरकारों के लिए सिक्योरिटी प्रोवाइडर के रूप में साहेल क्षेत्र और अफ़्रीका के अन्य स्थानों में बेहद प्रभावी साबित हुआ है। पूर्ववर्ती औपनिवेशिक शक्तियों के पास अब अफ़्रीकी सरकारों पर अपनी शर्तें थोपने कि कोई गुंजाइश नहीं है।

इतना कहना काफ़ी होगा कि प्रिगोझिन को वश में करना कठिन साबित हुआ है, हालांकि रूसी खुफिया विभाग को पता था कि पश्चिमी खुफिया विभाग उसके संपर्क में था। वास्तव में, उनकी बढ़ती पब्लिक पॉशचरिंग, क्रेमलिन के लिए एक गंभीर डिसट्रैक्शन बन रही थी। एक संभावना यह है कि रूसी खुफिया विभाग ने उसे फांसी लगाने के लिए एक लंबी रस्सी दी थी। समान रूप से, क्रेमलिन की प्राथमिकता उसे शांत करने और युद्ध के प्रयासों में शामिल करने की रही होगी। पुतिन ने उनसे मुलाकात भी की थी।

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, पुतिन ने वर्तमान घटनाक्रम में किसी भी "विदेशी हाथ" का आरोप लगाने से इनकार कर दिया, और "अत्यधिक महत्वाकांक्षाओं और व्यक्तिगत हितों को देशद्रोह का कारण" बताते हुए अपनी उंगली उठाई। लेकिन, स्पष्ट रूप से - एक से अधिक बार - पुतिन ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह रूस की शत्रु विदेशी शक्तियां होंगी जो प्रिगोझिन की गतिविधि से अंतिम लाभार्थी होंगी।

गौरतलब है कि FSB ने प्रिगोझिन पर सीधे तौर पर राजद्रोह का आरोप लगाया है, जो खुफिया जानकारी के आधार पर और पुतिन की मंज़ूरी से ही हो सकता है। तथ्य यह है कि प्रिगोझिन का विद्रोह यूक्रेनी आक्रमण के बीच में हुआ है जब युद्ध रूस के पक्ष में निर्णायक बिंदु के करीब पहुंच रहा है, इसे भी सावधानी से तौला जाना चाहिए।

अंतिम विश्लेषण में, विद्रोह का यह भयावह प्रयास सफल नहीं होगा। रूसी राय में ऑलिगार्क्स से घृणा की जाती है। रूस में विद्रोह करने और किसी ऑलिगार्क्स के बैनर तले शासन परिवर्तन की कोई भी पश्चिमी आशा कम से कम कहने के लिए एक बेतुका विचार होगी।

तात्कालिक चुनौती प्रिगोझिन और उसके कट्टर सहयोगियों को वैगनर सेनानियों के बड़े हिस्से से अलग करना होगा। पुतिन ने यूक्रेन युद्ध में वैगनर सेनानियों के योगदान की सराहना की है। यूक्रेन में करिश्माई कमांडर, जनरल सेर्गेई सुरोविकिन ने वैगनर सैनिकों से सार्वजनिक अपील की है कि वे - "इससे पहले कि बहुत देर हो जाए" - अधिकारियों के सामने समर्पण कर दें, अपने बैरक में लौट आएं और अपनी शिकायतों को शांतिपूर्वक संबोधित करें। लेकिन निकट भविष्य में, वैगनर ग्रुप को एकीकृत करने के लिए एक सिस्टेमेटिक अप्रोच की ज़रुरत है, जिसने आख़िरकार बखमुत में संघर्ष के युद्ध में हर तरह से अपनी उपयोगिता साबित की है।

(एम.के. भद्रकुमार एक पूर्व राजनयिक हैं। वह उज़्बेकिस्तान और तुर्की में भारत के राजदूत थे। विचार निजी हैं।)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

The Rise and Fall of Wagner Group’s Yevgeny Prigozhin

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