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हिमाचल प्रदेश : ‘मुफ़्त ड्रेस’ में संशोधन से कितना ख़ज़ाना भर लेगी सरकार?

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने विद्यार्थियों को मिलने वाली मुफ़्त ड्रेस योजना में बड़ा बदलाव किया है। जिसके बाद इसपर राजनीति शुरू हो गई है।
Sukhvinder Singh Sukhu
फ़ोटो साभार: PTI

पहाड़ों पर बसे हिमाचल प्रदेश में जब चुनाव आए, तब ओल्ड पेंशन स्कीम, महंगाई, बेरोज़गारी और शिक्षा का मुद्दा खूब नाचा, नतीजे आए तब पता चला कि कांग्रेस ने बाज़ी मार ली है।

इधर सरकार बनी और सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बन गए.. तो एक के बाद एक उन योजनाओं को पटलना शुरु कर दिया, जिसे पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने लागू किया था, इतना ही नहीं सुक्खू ने उन योजनाओं को भी नहीं छोड़ा जिसे इनकी पार्टी के ही पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने लागू किया था, अगर बदला नहीं तो संशोधन ही कर दिया।

इसी बदलाव और संशोधन के चंगुल में एक ऐसी योजना फंस गई, जिसके ज़रिए ग़रीब बच्चों को स्कूल की ड्रेस मिला करती थी। यानी प्रदेश में चल रही वर्दी योजना को सुक्खू सरकार ने संशोधित कर दिया। कहने का मतलब ये कि पहले जितने बच्चों को स्कूल की ड्रेस मिला करती थी, अब बच्चों की संख्या कम हो गई है।

और इसका कारण बताया जा रहा है हिमाचल प्रदेश का वित्तीय संकट।

हालांकि जब उन बच्चों को गिनने बैठेंगे जिन्हें वर्दी योजना का लाभ मिलता था, तो आठ लाख से भी कम है। ऐसे में सवाल उठता है कि महज़ इतने बच्चों को ड्रेस न देकर सरकार कौन सा रुपया बचा लेगी।

आपको बता दें कि सरकार के वर्दी स्कीम में संसोधन से करीब सवा चार लाख छात्रों को नुकसान हुआ है, क्योंकि ये लाभ पहले आठ लाख छात्रों को मिलता था लेकिन सरकार के संसोधन के बाद अब केवल तीन लाख 70 हजार छात्र ही स्कीम का लाभ ले सकेंगे।

किसे नहीं मिलेगी वर्दी और क्यों?

प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को स्कूल ड्रेस नहीं मिलेगी, जो पहले पूरी तरह फ्री में दी जाती थी। सरकार के इस फैसले पर कैबिनेट की तरफ से भी मुहर लगा दी गई है। यहां ये जानना भी बेहद ज़रूरी है, कि वो कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री ही थे, जिन्होंने 11वीं और 12वीं के छात्रों को फ्री में ड्रेस देने की शुरुआत की थी। लेकिन फिलहाल इसे बंद कर दिया गया है।

सिर्फ 9वीं से 12वीं तक ही नहीं बल्कि कक्षा 1 से 8 तक के बहुत विद्यार्थी भी इससे प्रभावित होंगे। इसे ऐसे समझिए... कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाली लड़कियों, एससी, एसटी और बीपीएल परिवार से संबध रखने वाले विद्यार्थी ही इसका लाभ उठा सकेंगे। जबकि सामान्य वर्ग से संबंध रखने वाले किसी भी लड़के को इसका लाभ नहीं मिलेगा।

ये कहना ग़लत नहीं होगा कि सुक्खू सरकार के इस फैसले का सीधा असर ग़रीब तबके के विद्यार्थियों पर पड़ेगा। क्योंकि पहले पहली कक्षा से 12वीं कक्षा तक विद्यार्थियों को ड्रेस के दो-दो सेट दिए जाते थे। जबकि पहली से 10वीं तक छात्रों को सिलाई के लिए 200-200 रुपये भी मिलते थे। हालांकि 11वीं और 12वीं के छात्रों को सिर्फ ड्रेस दी जाती थी।

अब संशोधन के बाद चुने हुए विद्यार्थियों को 600 रुपये दिए जाएंगे। जिसे विद्यार्थियों के या उनके माता के खाते में भेजा जाएगा।

इस फैसले के ज़रिए सरकार कैसे फायदा देखती है?

ज़ाहिर है महंगाई बहुत है, स्कूल ड्रेस हो या सामान्य कपड़े... अच्छी गुणवत्ता वाला ख़रीदना हो तो महंगा ही मिलेगा। क्योंकि जब पहले सरकार ड्रेस बांटती थी, तो कई बार गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो जाते थे। अब सरकार ख़ुद पर से ये सवाल खत्म कर देगी और पैसा देकर पूरी ज़िम्मेदारी अभिभावकों पर डाल देगी ताकि गुणवत्ता वाले सवालों को खत्म किया जा सके।

छात्रों की वर्दी स्कीम पर लिया गया फैसला अब प्रदेश की राजनीतिक धुरी में घूमने लगा है।

सुक्खू सरकार के इस फैसले का सीपीआई(एम) ने विरोध किया है। पार्टी नेता विजेंद्र मेहरा का कहना है कि... ‘’हम 15 मार्च को प्रदेश में किसानों, मज़दूरों, गरीबों के समर्थन में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले हैं, जिसमें प्रदेश की लचर शिक्षा व्यवस्था और सरकारी स्कूलों की ख़राब हालत भी मुख्य मुद्दा होने वाली है। इसके अलावा सुक्खू सरकार ने वर्दी योजना के तहत मिलने वाली स्कूल ड्रेस में जो कमी की है, उसके ख़िलाफ मुखरता से आवाज़ उठाई जाएगी। प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालत पहले से ही ख़राब है, अब गरीब बच्चों के परिवार की जेब पर और ज़्यादा असर पड़ेगा। जो ठीक नहीं है।‘’

दूसरी ओर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने जयराम ठाकुर के नेतृत्व में पहली कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों को मुफ्त में वर्दी प्रदान की थी और उसके साथ-साथ एक से 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को 200 रूपये वर्दी सिलाई भी उपलब्ध करवाए जाते थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने आते ही इस वर्दी को बंद कर दिया है, जो कि गलत है।

सुरेश कश्यप ने लाभार्थियों की संख्या पर सवाल खड़े किए, उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार स्कूलों में 8 लाख बच्चों को वर्दी मुफ्त दिया करती थी और कांग्रेस सरकार केवल 3.70 लाख बच्चों को 600 रूपये वर्दी के लिए देगी,  लेकिन ये 600 रूपये भी केंद्र की स्कीम के अंतर्गत राज्य को मिल रहे है,  इसका मतलब ये हुआ कि बच्चों की वर्दी में हिमाचल सरकार का योगदान जीरो है।

विपक्षी की ओर से किए जा रहे हमलों पर प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने तर्क दिया है, कि केंद्र सरकार से कक्षा 1 से 8 तक बच्चों को वर्दी के लिए बजट आता है, जिसके चलते सरकार ने फैसला लिया है कि छात्रों को वर्दी देने के बजाए पैसा सीधे उनके अकाउमंट में ट्रांसफर किया जाएगा।

साथ ही साथ उन्होंने ख़राब वित्तीय स्थिति को भी एक कारण बताया।

सरकार की ओर से दिए जा रहे तर्क और इसका कितना फायदा प्रदेश को मिलेगा ये देखने वाला विषय है। हालांकि लाभार्थियों की संख्या देखकर ये कहा नहीं जा सकता कि विद्यार्थियों को मुफ्त ड्रेस बंद कर प्रदेश के खजाने में बहुत कुछ आ ही जाएगा। हां सवालों से पीछा ज़रूर छूट जाएगा।

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