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बैंकॉक में सरकार-विरोधी प्रदर्शन में हज़ारों लोग सड़क पर उतरे

राजनीतिक सुधारों को लेकर चल रहे छात्रों के इस आंदोलन का समर्थन करते हुए क़रीब हज़ारों लोगों ने इस प्रदर्शन में भाग लिया।
बैंकॉक

चल रहे छात्रों के विरोध का समर्थन करते हुए थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में रविवार 16 अगस्त को हज़ारों नागरिकों ने प्रदर्शन किया। ये प्रदर्शन प्रधानमंत्री प्रयुत चान-ओ-चा के नेतृत्व में नागरिक-सैन्य शासन और राजशाही में व्यापक सुधारों के ख़िलाफ़ जारी विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा है।

आयोजकों के अनुसार रविवार को हुए विरोध प्रदर्शन में क़रीब 10,000 लोग शामिल हुए जो हाल के इतिहास में थाईलैंड में आयोजित किए जाने वाले सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक है। प्रदर्शनकारियों ने रैली निकाली और डेमोक्रेसी मोनूमेंट के पास इकट्ठा हुए जो 1932 के सियामीज संवैधानिक क्रांति को याद करने का ऐतिहासिक स्थल है। इस क्रांति ने देश की राजशाही को समाप्त कर दिया था।

प्रदर्शनकारियों को "लोकतंत्र ज़िंदाबाद" और प्रयुत सरकार के इस्तीफ़े की मांग करते हुए नारा लगाते हुए देखा गया। राजधानी में जारी विरोध प्रदर्शनों में लोगों के बढ़ते समर्थन को देखा गया जिसे विश्वविद्यालय परिसरों में छात्रों द्वारा बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया।

पिछले हफ्ते छात्रों और पुलिस का बैंकॉक के थम्मासैट विश्वविद्यालय परिसर में आमना सामना हो गया क्योंकि हज़ारों छात्रों ने राजशाही में सुधारों को लेकर क़रीब क़रीब रोज़ाना विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। थाई शासक रामा दशम हालांकि राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के लिए संवैधानिक रूप से सीमित है वे दुनिया भर के देशों में सबसे धनी प्रमुख है और राजशाही के ख़िलाफ़ अपराध के सख्त कानूनों के माध्यम से आलोचनाओं से व्यापक सुरक्षा प्राप्त है।

इस साल फरवरी महीने के बाद से लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इस समय थानाथोर्न जुआनग्रून्गरुआंगकिट के नेतृत्व वाली विपक्षी फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी को तकनीकी रूप से संवैधानिक न्यायालय द्वारा भंग कर दिया गया था। हाल ही में राजशाही के ख़िलाफ़ अपराध के लिए एक्टिविस्ट और छात्रों की गिरफ़्तारी को लेकर छात्रों को सुधारों की मांग करने के लिए प्रेरित किया। चूंकि छात्रों के इस विरोध को समाज के बड़े हिस्से से व्यापक समर्थन प्राप्त है ऐसे में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को एक नई गति मिली है।

प्राचताई (Prachatai) के अनुसार रविवार के प्रदर्शन से पहले राजशाही-समर्थक और सरकार-समर्थक समूहों के कुछ लोगों ने भी जवाबी प्रदर्शन किया।

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