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ट्यूनीशिया के पत्रकार संघ ने सरकारी न्यूज़ एजेंसी के पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिस छापे की निंदा की

श्रमिक संघों के साथ देश के पत्रकारों के संघ ने सरकारी समाचार एजेंसी टीएपी के प्रमुख की राजनीतिक रूप से प्रेरित नियुक्ति के विरोध में 22 अप्रैल को आम हड़ताल करने का फैसला किया है।
ट्यूनीशिया के पत्रकार संघ ने सरकारी न्यूज़ एजेंसी के पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन पर पुलिस छापे की निंदा की

ट्यूनीशिया में ट्रेड यूनियनों और पत्रकारों के संगठनों ने ट्यूनीशियाई सुरक्षा बलों द्वारा सरकार के स्वामित्व वाली टुनिस एफ्रीक प्रेस न्यूज एजेंसी (टीएपी) के मुख्यालय पर हिंसक हमले और अधिक बल प्रयोग करने को लेकर निंदा की है।

ट्यूनीशियाई पुलिस ने कथित तौर पर सरकारी न्यूज एजेंसी के नवनियुक्त प्रमुख कमल बेन युनूस को कार्यालय में प्रवेश कराने के लिए मंगलवार 13 अप्रैल को टीएपी परिसर में छापा मारा। 6 अप्रैल को प्रधानमंत्री हिचमे मेचिची द्वारा इस पद पर नियुक्ति को लेकर देश भर में पत्रकार समुदाय के बीच बड़े पैमाने पर नाराजगी है।

पुलिस की छापेमारी की निंदा करते हुए कई अन्य राजनीतिक दलों और नागरिक समाज समूहों के साथ साथ ट्यूनीशियन जनरल लेबर यूनियन (यूजीटीटी) ने सरकार को नीतियों और कार्रवाइयों की याद दिलाते हुए "मीडिया को वश में करने" के प्रयासों के खिलाफ चेतावनी दी है कि वे पूर्व राष्ट्रपति ज़ीने अल अबिदीन बेन अली के तानाशाही शासन के दौरान देश में मानक थे।

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बेन युनूस ने क्रांति-पूर्व तानाशाही शासन के प्रचार को बढ़ावा देने और प्रचार करने के लिए सक्रिय रहे हैं। टीएपी के कई पत्रकारों के अनुसार विशेष रूप से ट्यूनीशियन लीग ऑफ ह्यूमन राइट्स (एलटीडीएच) की स्वतंत्रता को कमजोर करने का उनका प्रयास रहा। उन्होंने देश में महिलाओं के खिलाफ कई आक्रामक और गलत टिप्पणियां भी की हैं। बेन युनूस ने अपने खिलाफ इन सभी आरोपों से इनकार किया है जबकि पीएम मेचिची ने भी इनकी नियुक्ति को एक सख्त प्रशासनिक फैसला करार दिया है।

नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री का कहना कि ये प्रशासनिक फैसला है और बेन युनूस द्वारा खुद पर लगे आरोपों से इनकार करने और एक स्वतंत्र पत्रकार होने का दावा करने के बावजूद प्रदर्शनकारी पत्रकारों ने विरोध कम नहीं किया और वे नियमित रूप से धरना पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करना जारी रखे हुए हैं। साल 1961 में टीएपी न्यूज एजेंसी की स्थापना के बाद से पत्रकारों के संगठन और देश के मजदूर संघों ने मिलकर 22 अप्रैल को आम हड़ताल करने की घोषणा की है।

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