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यूपी विधान परिषद: आज़ादी के बाद पहली बार बग़ैर नेता प्रतिपक्ष चलेगा सदन

आज़ादी के बाद इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब उत्तर प्रदेश का उच्च सदन बग़ैर नेता प्रतिपक्ष के चलेगा। वहीं कांग्रेस के सदस्यों की संख्या शून्य हो जाना भी चिंता का विषय है।
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Image Courtesy: Amar Ujala

उत्तर प्रदेश की सियासत में भाजपा के बढ़ते कद को देखकर एक सवाल ये उठने लगा है, कि जिस समाजवादी पार्टी पर उसके सामने डटे रहने की ज़िम्मेवारी थी, अब उसने सवाल पूछने का हक भी खो दिया है, हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में अब कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं रहा, जो फिलहाल समाजवादी पार्टी का हुआ करता था। कहने को तो ये भाजपा की बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन लोकतंत्र के लिए कितना बड़ा ख़तरा है इसका अंदाज़ा शायद अभी कोई नहीं लगा पा रहा।

वहीं दूसरी ओर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है कांग्रेस जो अपना ग्राफ उठने ही नहीं दे रही है, पहले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सिर्फ दो सीटें जीतकर इतिहास का सबसे ख़राब प्रदर्शन किया और अब विधानसभा परिषद में शून्य पर पहुंच गई है, जो न सिर्फ कांग्रेस के वर्तमान बल्कि उसके भविष्य के लिए भी बहुत बड़ी चिंता का विषय होना चाहिए।

लेकिन सबसे पहले बात करेंगे समाजवादी पार्टी की... कि कैसे उसने 100 सदस्य वाली विधानपरिषद से अपना वर्चस्व खो दिया।

दरअसल बीते गुरुवार यानी 7 जुलाई को जब उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्यों के 13 नवनिर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल शुरू हुआ, तो समाजवादी पार्टी के लाल बिहारी यादव ने अपना नेता विपक्ष का पद खो दिया। 100 सदस्यीय सदन में पार्टी की ताकत सिर्फ 9 सदस्यों तक सीमित रह गई। इसके पहले उच्च सदन में सपा के पास 11 सदस्य थे। यूपी विधान परिषद के प्रधान सचिव राजेश सिंह द्वारा गुरुवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है, “यह अधिसूचित किया जा रहा है कि 27 मई, 2022 को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में समाजवादी पार्टी की ताकत 11 थी और यह उच्च सदन में सबसे बड़ा विपक्षी दल था।”

जब सदन में सपा के 11 सदस्य थे तब उनके लाल बिहारी यादव को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई थी। लेकिन जब 7 जुलाई को पार्टी के सदस्यों की संख्या 9 रह गई तब यह उच्च सदन के नियम 234 के तहत आवश्यक संख्या बल 10 से कम है। इस वजह से बिहारी यादव को तत्काल प्रभाव से विपक्ष के नेता के पद से हटाया जा रहा है।

आपको बता दे कि 1947 के बाद यानी देश की आज़ादी के बाद ये पहला मौका है जब विधान परिषद में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं होगा। इससे पहले बुधवार यानी 6 जुलाई को विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के दो एमएलसी समेत 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हुआ। जिन 12 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हुआ उसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, चौधरी भूपेंद्र सिंह भी शामिल हैं। वहीं सपा के जगजीवन राम प्रसाद, बलराम यादव, डॉ. कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, राम सुंदर निषाद, शतरुद्र प्रकाश का भी कार्यकाल खत्म हुआ। वहीं बहुजन समाज पार्टी के तीन सदस्यों का भी कार्यकाल खत्म हो गया है। जबकि कांग्रेस के एकमात्र सदस्य का भी कार्यकाल समाप्त हो गया।

आपको बता दें कि एमएलसी चुनाव 2022 के परिणाम 12 अप्रैल को घोषित होने के बाद भाजपा उच्च सदन में सबसे बड़ी पार्टी बन गई। इस चुनाव में भाजपा ने कुल 27 विधानसभा सीटों में 24 पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत हासिल किया।

इन चुनावों में भाजपा की ओर से केशव प्रसाद मौर्य और चौधरी भूपेंद्र सिंह ने सदन में वापसी की।

ये ध्यान ज़रूरी है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद जो अपनी 8 सीटें उत्तराखंड को देने के बाद भी देश की सबसे बड़ी विधान परिषद बनी हुई है जिसका गठन 1887 में किया गया था। अब यह ऐसा पहला मौका है जब उत्तर प्रदेश के उच्च सदन में विपक्ष का कोई नेता नहीं होगा। वहीं विधान परिषद के 135 सालों के इतिहास में ये पहला मौका होगा जब कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने वाला एक भी सदस्य उच्च सदन में नहीं होगा, क्योंकि इसके पहले बुधवार यानी 6 जुलाई को कांग्रेस के एकमात्र एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल खत्म हो गया था। इतना ही नहीं विधानसभा में भी कांग्रेस 269 से 2 सीटों पर पहुंच गई है।

5 जनवरी 1887 को संयुक्त प्रांत की पहली विधान परिषद गठित हुई थी और 8 जनवरी 1887 को थार्नाहिल मेमोरियल हाल इलाहाबाद में संयुक्त प्रांत की पहली बैठक हुई थी। तब से अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ जब विधान परिषद में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व न रहा हो। मगर अब 6 जुलाई से प्रदेश विधान परिषद में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं रह गया।

उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए, विपक्षी पार्टियों के भविष्य के लिए ये समीकरण बेहद डराने वाले हैं, क्योंकि जब सदन में सवाल पूछने वाला ही कोई नहीं बचेगा मुद्दे कौन उठाएगा। ऐसे में विपक्षी पार्टियों को जनता से जुड़े मुद्दे मुद्दों पर काम कर फिर से जनाधार इकट्ठा करने की ज़रूरत है।

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