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यूपी: प्राइमरी स्कूल के छात्रों को नहीं मिली किताबें और यूनिफ़ॉर्म, अगस्त तक इंतज़ार करने को कहा गया

नया सत्र 16 जून से शुरू हो चुका है लेकिन किताबों और यूनिफ़ॉर्म की ख़रीद का टेंडर अभी तक फाइनल नहीं हुआ है।
यूपी: प्राइमरी स्कूल के छात्रों को नहीं मिली किताबें और यूनिफ़ॉर्म, अगस्त तक इंतज़ार करने को कहा गया

लखनऊ: उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा बोर्ड स्कूल का नया शैक्षणिक सत्र 16 जून से शुरू हो गया है लेकिन 2022-23 सत्र के पांच दिन गुजर जाने के बाद भी छात्रों को मिलने वाली पाठ्यपुस्तकें और यूनिफॉर्म नहीं मिली हैं। इस बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि किताबें अगस्त तक ही उपलब्ध होंगी।

राज्य के 1.50 लाख से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित कक्षा एक से आठ तक के लगभग 1.90 करोड़ छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन के लिए निविदाएं अभी प्रक्रिया में ही हैं।

18 अप्रैल 2022 की तारीख वाले राज्य सरकार द्वारा जारी शॉर्ट टर्म टेंडर दस्तावेज़ के अनुसार, ई-बिड सबमिशन 4 मई को दोपहर तक हो सकता है, जिसके बाद उसी दिन तकनीकी ई-बिड की शुरूआत दोपहर 1 बजे लखनऊ के निशातगंज स्थित बुनियादी शिक्षा निदेशालय में होगी।

बेसिक एजुकेशन डिपार्टमेंट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज़क्लिक को बताया कि यदि इस महीने टेंडर को अंतिम रूप दिया जाता है तो किताबें अगस्त के पहले सप्ताह तक और कार्यपुस्तिका सितंबर के पहले सप्ताह तक प्राप्त होने की उम्मीद है।

इससे जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद करीब तीन महीने में सभी किताबें जिलों को भेज दी जाएंगी, लेकिन कार्यपुस्तिकाएं चार महीने में जिलों में पहुंचने की उममीद है।

राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) आरके सिंह ने कहा कि नए सत्र में कॉपी-किताबों और यूनिफॉर्म का वितरण सरकार की प्राथमिकता है। इस संबंध में मुख्यालय को अवगत करा दिया गया है।

"जब तक बच्चों को नई किताबें और यूनिफॉर्म उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक पुरानी किताबों से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। अगली कक्षा में पास कर गए छात्रों द्वारा ये किताबें दे दी जाती है।"

इस बीच, निदेशक (बेसिक शिक्षा) सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को ऊपर की कक्षाओं में पास कर जा चुके छात्रों से पुरानी पाठ्यपुस्तकों को इकट्ठा करने और इस सत्र में उक्त कक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों को ये पुस्तकें उपलब्ध कराने की बात कही गई है जब तक कि नई किताबें उपलब्ध नहीं हो जाती।

न्यूज़क्लिक ने जमीनी हकीकत को समझने के लिए विभिन्न जिलों के कम से कम आधा दर्जन छात्रों और उनके अभिभावकों से बात की।

नमित मौर्य और उनके दो भाई-बहनों ने 16 जून को क्लास अटेंड करना शुरू किया था लेकिन उन सभी को बताया गया है कि अगस्त में नई किताबें और कॉपी मिल पाएगी। तब तक उन्हें पुरानी किताबों से ही पढ़ना होगा।

मौर्य ने न्यूज़क्लिक को बताया, "मुझे इस साल पास कर छठी कक्षा में गया हूं। मैं नई किताबें और यूनिफॉर्म पाने के लिए उत्साहित था, लेकिन मेरे शिक्षकों ने मुझे बताया कि नई किताबें आने में अभी भी दो महीने लगेंगे। मैंने अपने ही गांव के एक सीनियर स्टूडेंट से किताबें ली हैं। लेकिन मुझे जल्द से जल्द नई किताबें चाहिए।"

ग्रामीण क्षेत्रों के कई छात्रों ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में यह मांग की कि सरकार नियमित मध्याह्न भोजन के अलावा, कक्षाएं शुरू होने से पहले सुबह में पौष्टिक नाश्ता भी उपलब्ध कराए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को स्कूलों के बुनियादी ढांचे पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें उचित शौचालय, पंखे और बेंच शामिल हों।

हालांकि, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से स्कूल यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते, मोजे और बैग की खरीद के लिए माता-पिता को 1,100 रुपये हस्तांतरित करने का योगी आदित्यनाथ का वादा छात्रों के लिए एक दूर के सपनों जैसा दिखता है।

यह स्थिति तब थी जब सीएम ने राज्य के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 100% नामांकन सुनिश्चित करने के लिए अप्रैल में स्कूल चलो अभियान शुरू किया था।

पांच नए नामांकित छात्रों को स्कूल बैग, जूते और मोजे, एक फुटबॉल और किताबों वाले शिक्षा किट और तीन विकलांग छात्रों को श्रवण यंत्र और ब्रेल किट वितरित करते हुए उन्होंने शिक्षकों को हर बच्चे को स्कूल में पंजीकृत करने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें यूनिफॉर्म, किताबें, बैग, जूते, मोजे और स्वेटर आदि जैसी मुफ्त बुनियादी सुविधाएं देने को कहा।

हालांकि, जमीनी हकीकत राज्य में प्राथमिक स्कूल की गंभीर स्थिति बयां करती है जहां छात्र नए यूनिफॉर्म और किताबों के बिना नए सत्र में शामिल हो रहे हैं।

कमजोर वर्गों के बच्चों को मुफ्त किताबें और यूनिफॉर्म के लिए व्यवस्था करने वाले कार्यकर्ता अजीत प्रकाश ने न्यूज़क्लिक को बताया, "सरकार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। मुख्यमंत्री सरकारी स्कूलों में शिक्षा प्रणाली और 2017 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद छात्रों का बड़ी संख्या में नामांकन को लेकर दावा करते हैं। फिर भी, वास्तविकता यह है कि उन्हें तीन से चार महीने तक बिना किताबों के पढ़ाई करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। राज्य विधानसभा और एमएलसी चुनावों के बाद अप्रैल 2022 में शुरू हुई निविदा प्रक्रिया दिसंबर 2021 में होनी चाहिए थी। लेकिन वे चुनाव में व्यस्त थे।"

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