कोरोना संकट में फ़ेक न्यूज़ का शिकार बनते सब्जी और फल बेचनेवाले
कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से देश भर में लोग परेशान हैं लेकिन इसमें सबसे अधिक परेशानी सब्जी बेचने वाले और छोटे दुकानदारों को हो रही है। बीते कुछ दिनों में सब्जी, फल बेचने वाले खासतौर पर मुसलिम समाज के लोगों के आर्थिक बहिष्कार करने और उन्हें प्रताड़ित करने की घटनाएं सामने आई हैं।
दरअसल लॉकडाउन के बाद और निजामुद्दीन की मरकज वाली घटना के बाद से सोशल मीडिया पर तमाम तरह के नफरत फैलाने वाले वीडियो वायरल हुए। इसका असर अब जमीन पर दिखने लगा है।
पिछले कई सालों से सब्जी बेचने वाले सिकंदर बताते हैं, 'अब से पहले कोई हमारा नाम नहीं पूछता था। अब हर दूसरी गली में कोई आकर आई कार्ड मांग लेता है। इसलिए अब मैं आधार कार्ड लेकर चलता हूँ। जब भी कोई पूछता है, तुरंत दिखा देते हूँ। वो भी देखते है मैं हिंदू हूँ छोड़ देते हैं। लेकिन अगर कोई मुसलमान होता है तो उसे भगा देते हैं।'
गौरतलब है कि सिकंदर मुसलमान नहीं है लेकिन वो जो बता रहे हैं वो दिखा रहा है कि हमारे समाज में सांप्रदायिकता का जहर किस तरह से घोला जा चुका है।
मुसलमान सब्जी वालों के साथ क्या हो रहा है। यह अजीम बताते हैं। अजीम दिल्ली के दयालपुर इलाके में आलू और प्याज बेचते हैं। वो बताते हैं, 'पिछले दो दिन से घर पर बैठा हुआ हूं। शनिवार को हमारे जानने वाले फेरी पर निकले थे। उनके साथ कुछ लोगों ने मारपीट की और समान का नुकसान किया। उन लोगों ने कहा कि हम कोरोना फैला रहे हैं। बहुत सारे लोगों ने सब्जी खरीदना भी बंद कर दिया है।'
यह सिर्फ अजीम और सिकंदर की कहानी नहीं हैं। दिल्ली के किसी भी इलाके में चले जाइए, हर सब्जी और रेहड़ी वाला आपको यह बता देगा कि उसकी धार्मिक पहचान जानने की कोशिश की जा रही है। यहाँ ऐसा नहीं है कि हर व्यक्ति इस तरह से कर रहा है लेकिन एक वर्ग है जो बड़ी आक्रमकता से इस तरह का काम कर रहा है।
ऐसे ही एक व्यक्ति हमें करावल नगर की चौहान पट्टी पर मिला जो लगातार लोगों के बीच यह बोल रहा था कि आप लोग केवल हिंदू रेहड़ी वालों से सामान लीजिए और मुसलमानों को अपनी गली मोहल्लों से दूर रखिए। ये आपकी और हमारी सुरक्षा के लिए जरूरी है।
जब उससे हमने बात करने की कोशिश की तो उसने अपना नाम और परिचय नहीं दिया और उसने कहा 'आप ही बताओ क्या हम गलत कर रहे हैं? आपने भी देखा होगा ये (मुस्लिम)लोग कैसे थूक लगाकर फल बेचते हैं। आप बताएं ये जानबूझकर कोरोना फैल रहे है या नहीं?'
जब हमने उससे कहा कि वो वीडियो पुराना है। उस वीडियो का इस बीमारी से कोई लेना देना नहीं है, तो वह और भी कई ऐसे वीडियो दिखने लगा जिसमे मुस्लिम लोग कहीं थूक रहे हैं तो कहीं झूठे बर्तन में खाना परोस रहे हैं। लगभग सभी वीडियो पुराने और फर्जी थे लेकिन वो व्यक्ति उन सभी को सच मान रहा था और उसी के आधार पर वो मुसलमानों के खिलाफ प्रचार भी कर रहा था।
आपको बता दें 30 मार्च को दिल्ली के तब्लीगी जमात में शामिल लोगों में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण फैलने की ख़बर के बाद से फेक न्यूज और अफवाहों का दौर चल पड़ा है।
यह सच है कि मरकज में हिस्सा लेने वाले लोग बड़ी संख्या में कोरोना की चपेट में आए थे लेकिन दुखद यह है कि इस आधार पर देश के करोड़ो मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है।
गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि कोरोना वायरस को किसी धर्म या नस्ल से नहीं जोड़ना चाहिए। इसी तरह भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से भी इस बात को बार बार दोहराया जा रहा है कि कोविड-19 के संक्रमण को किसी धर्म या क्षेत्र से ना जोड़ा जाए। इसके बावजूद ऐसी कई घटनाएं घट रही हैं जिसमें लोगों की धार्मिक पहचान को कोरोना वायरस से जोड़ा जा रहा है और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि पुलिस इन घटनाओं पर कार्रवाई नहीं कर रही। उत्तर प्रदेश पुलिस ने कई ऐसे लोगों को गिरफ़्तार किया जो इस तरह की अफवाह फैला रहे थे। सोमवार को दिल्ली पुलिस ने भी एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया जिसने सब्जी विक्रेता के साथ डंडे से मारपीट और गाली गलौज किया था। यह घटना ताजपुर रोड इलाके में घटित हुई थी।
इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया, जिसके बाद पुलिस को उसके साइबर सेल से एक संदेश मिला। वीडियो में, बदरपुर एक्सटेंशन निवासी प्रवीण बब्बर सब्जी विक्रेता से अपना पहचान पत्र दिखाने के लिए कहता है, लेकिन वह नहीं दिखा सका। वह आदमी फिर गुस्से से उसका नाम और पता पूछता है। जब सब्जी विक्रेता खुद को मोहम्मद सलीम बताता है, तो आदमी उसे गाली देता है और उसकी पिटाई करता है। वह उसे इस इलाके में नहीं आने की धमकी भी देता है।
सब्जी विक्रेता ने पुलिस को बताया कि 10 अप्रैल को दोपहर करीब 1.30 बजे जब वह ताजपुर रोड पर था, तो बब्बर ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और पिटाई की। डीसीपी ने कहा, "हमने प्रवीण बब्बर को गिरफ्तार कर लिया है। ऐसी घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और कानून ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।"
बीबीसी हिंदी की एक खबर के अनुसार फ़ैक्ट चेकर वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के संस्थापक प्रतीक सिन्हा मानते हैं कि 30 मार्च के बाद से कम्युनल नेचर वाले फ़ेक वीडियो और मैसेज तेज़ी से सामने आए।
उन्होंने यह भी कहा, 'अचानक अपने आप कोई पुराना मैसज वायरल नहीं होता है बल्कि उसे ढूंढ कर लाया जाता। इसे फैलाने के लिए पूरा एक नेटवर्क काम करता है। आम आदमी को जब एक ही तरह के मैसेज मिलते हैं तो उसके लिए भी इन पर यक़ीन करना आसान हो जाता है। दरसअल हम सब अपनी विचारधारा से मेल खाते वीडियो पर यक़ीन जल्दी कर लेते हैं।'
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