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पहलवानों का धरना जारी: 7 मई को किसान संगठन और खाप का दिल्ली कूच 

रोती हुई महिला पहलवानों को देख जंतर-मंतर पर उनके धरने को समर्थन देने वालों का हुजूम बढ़ता जा रहा है। किसान संगठन और खाप ने भी सात मई को दिल्ली कूच का ऐलान किया है। 
protest jantar mantar

देश की राजधानी दिल्ली में 23 अप्रैल से दोबारा धरने पर बैठी महिला पहलवानों की लड़ाई एक आंदोलन में तब्दील हो चुकी है। 3 मई की रात महिला पहलवानों ने दिल्ली पुलिस पर मारपीट और ग़लत तरह से पेश आने का आरोप लगाया। पूरी रात हंगामे में गुज़री देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों ने जनता से रोते हुए उनका साथ देने की गुहार लगाई। जिसका असर सुबह होते-होते नज़र आने लगा। और आज 5 मई को भी बड़ी संख्या में लोग जंतर-मंतर पहुंच रहे हैं।

4 तारीख़ की सुबर जंतर-मंतर पर हर तरफ से लोगों का हुजूम पहुंचने लगा, दिल्ली के बॉर्डर पर नाकाबंदी की नौबत आ गई। जंतर-मंतर को छावनी में तब्दील कर दिया गया लेकिन लोगों को रोकना मुश्किल हो गया।  कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी की मांग के लिए जिस तरह से किसानों, महिला संगठन और समाज के दूसरे वर्ग आगे आ रहे हैं लग रहा है कि ये आंदोलन लंबा चलने वाला है। 

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पंजाब की सबसे बड़ी किसान यूनियन, भारतीय किसान यूनियन ( उगराहां) ने पहलवानों को समर्थन दिया है।  जोगिंदर सिंह उग्राहां ने एक वीडियो के माध्यम से संदेश दिया है जिसमें उन्होंने पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में देश के लिए मेडल लाने वाली बेटियों के लिए आंदोलन करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि '' सिर्फ इतनी बात नहीं है कि हमारा बयान आ रहा है कि हम आपके साथ खड़े हैं हमारी जत्थेबंदी ने फैसला किया है कि 7 मई वाले दिन हमारे पंजाब से महिलाओं के कुछ ग्रुप आपके आंदोलन में शामिल होने पहुंच रहे हैं, इसके अलावा पंजाब के क़रीब 16 ज़िलों में, हरियाणा में क़रीब 3 जगहों पर, उत्तराखंड में दो जगहों पर हम बड़े आंदोलन करने जा रहे हैं, जिनमें महिलाओं की गिनती ज़्यादा होगी, इन तीनों राज्यों के अधिकारियों को मांग पत्र दिए जाएंगे''। 

इसके अलावा एक और ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी गई कि BKU से जुड़ी महिलाएं 11, 12, 13 मई को पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में विरोध-प्रदर्शन के लिए उतरेंगी।  

वहीं पहलवानों के धरने को पहले से ही समर्थन दे रहे कई खापों ने एक बार फिर मीटिंग की जिसके बारे में राकेश टिकैत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि- ''दिल्ली के जंतर-मंतर पर चल रहे पहलवानों के धरने पर पुलिस के द्वारा दुर्व्यवहार किया गया जिसे लेकर ऐतिहासिक सर्वखाप मुख्यालय सौरम पर तत्काल पंचायत बुलाई गई जिसमें खापों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और सर्वसम्मति से 7 मई को दिल्ली चलने का फैसला किया है''। 

गौरतलब है कि सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर महिला पहलवान पिछले 12 दिन से जंतर-मंतर पर दूसरी बार धरने पर बैठी हैं। लेकिन सत्ता के गलियारों में एक ख़ामोशी पसरी हुई है। यहां तक की बृजभूषण शरण पर FIR तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज की गई थी। इस मामले में भले ही FIR दर्ज हो चुकी है लेकिन बृजभूषण सिंह से अभी तक किसी भी तरह की पूछताछ नहीं की गई है। उल्टा जिस तरह से प्रशासन और ख़ुद को मीडिया कहने वाले बड़े चैनल आंदोलन को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं वे चिंताजनक लगता है। बेटियों का साथ देने पहुंच रहे लोगों की 'आंदोलन जीवी' के तौर पर टैगिंग की जा रही है। बृजभूषण शरण को बचाने के लिए खुले आम कैंपेन चल रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर इन टीवी चैनलों तक पर जिस तरह से बृजभूषण शरण का इंटरव्यू चल रहा है वह साफ़ दिखाता है कि किस तरह से देश के लिए गोल्ड मेडल लाने वाली बेटियों को ही कठघरे में खड़ा करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है। 

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वहीं इस मामले पर आज केंद्रीय मंत्री ( खेल मंत्री ) अनुराग ठाकुर का बयान आया है उन्होंने कहा कि '' जहां तक खिलाड़ियों की मांगों का सवाल है मैं यही कहूंगा एक कमेटी के गठन की बात कही गई थी वो भी कर दी गई है, FIR दर्ज करने की बात कही गई दिल्ली पुलिस ने वो भी कर दी, निष्पक्ष जांच चाहते थे दिल्ली पुलिस वह भी कर रही है, सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना निर्णय दे दिया है मेरा आग्रह है कि जो कुछ खिलाड़ी वहां प्रदर्शन कर रहे हैं अनुरोध है जो-जो उनकी मांग थी लगातार उसे पूरा किया जा रहा है और दूध का दूध पानी हो जाएगा।''

आज भले ही खेल मंत्री दूध का दूध पानी का पानी हो जाने की बात कह रहे हैं लेकिन विनेश फोगाट उन पर ( अनुराग ठाकुर) मामले को रफा-दफा करने का आरोप लगा चुकी हैं। महिला पहलवान जनवरी में एक बार आश्वासन मिलने के बाद उठ चुकी हैं लेकिन उनके मुताबिक वे वही ग़लती दोबारा नहीं करना चाहती। 

खेल मंत्री का कहना है कि जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी, पर यहां सवाल ये उठता है कि जिस बृजभूषण शरण सिंह पर पॉक्सो के तहत मामला दर्ज होने पर अब तक पूछताछ नहीं हुई उसपर क्या कड़ी कार्रवाई की जाएगी? 

इन्हें अंदेशों की वजह से महिला पहलवानों का आंदोलन तेज़ होता जा रहा है। 3 मई की रात की घटना, प्रशासन का रवैया और प्रधानमंत्री की ख़ामोशी की वजह से लोगों में रोष बढ़ता जा रहा है और देश के अलग-अलग हिस्सों में इसका असर दिखने लगा है। 

दिल्ली में बृजभूषण शरण सिंह के घर के बाहर कल, 4 मई को प्रदर्शन किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने बृजभूषण शरण सिंह के घर के बाहर धरना देने की कोशिश की लेकिन उन्हें हिरासत में ले लिया गया। 

बृजभूषण शरण की गिरफ़्तारी और महिला पहलवानों को इंसाफ की मांग के साथ हरियाणा में एक मार्च निकाला गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया। 

राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी विधायक कृष्णा पूनिया ने भी एक पैदल मार्च निकाला और जमकर नारेबाज़ी की। 

उत्तर प्रदेश के हाथरस में भी किसान यूनियन के बैनर तले किसानों ने जंतर-मंतर पर बैठी पहलवानों के लिए धरना दिया। इस धरने में पूरे देश में आंदोलन शुरू करने की बात कही गई और आंदोलन के लिए आगे की रणनीति बनाई गई। वहीं दिल्ली से सटे गुड़गांव में भी मिनी सचिवालय पर अलग-अलग ट्रेड यूनियन के सदस्यों, किसान संगठनों, नागरिक, छात्र, वकीलों ने मिलकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में सीटू, आंगनवाड़ी महिला कार्यकर्ता भी शामिल हुईं। 

वहीं संयुक्त किसान मोर्चा गुरुग्राम ने पहलवानों को न्याय दिलाने के पक्ष में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम उपायुक्त गुरुग्राम को ज्ञापन सौंपा।

जबकि उत्तर प्रदेश के रिहाई मंच ने भी 3 मई की रात महिला पहलवानों के साथ हुई बदसुलूकी की आलोचना करते हुए इस देश की बेटियों का अपमान बताया। 

देश का नाम रौशन करने वाली बेटियों को इस हाल में देकर आम जनता के साथ ही कई पार्टियों से जुड़े नेता जंतर-मंतर पहुंच रहे हैं लेकिन इस बीच बजरंग पूनिया ने एक अपील की है '' उन्होंने कहा कि हमारी इस लड़ाई को राजनीतिक मोड़ ने दें''। 

बजरंग पूनिया की इस अपील पर कई तरह की राय आ रही है। कुछ लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया तो कुछ लोगों ने उनसे गुजारिश की कि इस तरह की अपील कर वे अपने आंदोलन को कमज़ोर कर देंगे, जबकि किसी ने लिखा कि '' एक बार लड़ाई सार्वजनिक मंच पर आ गई तो फिर वह ग़ैर-राजनीतिक नहीं रह जाती''। 

यौन उत्पीड़न एक संजीदा मामला है, जनवरी में रोते हुए इन महिला पहलवानों ने जब ये आरोप लगाया थे तो पूरे देश हिल गया था लेकिन कुछ दिन बाद ही आश्वासन के साथ महिला पहलवानों ने अपना धरना ख़त्म कर दिया था लेकिन क़रीब तीन महीने बाद एक बार फिर वे जंतर-मंतर पर बैठ गई। और इस बात उनकी आंखों में पहले से ज़्यादा आंसू थे,सुप्रीम के दखल के बाद FIR दर्ज हुई। वहीं दूसरी तरफ इन बेटियों का अपमान किया जाता रहा, इनके लिए भद्दी बातें कही जाने लगी देखते ही देखते इंटरनेशनल मंच पर मेडल लाना वाली जिन्हें 'देश की बेटी' के नाम से पुकारा गया था कई भद्दे आरोपों से घेरी जाने लगी, यौन उत्पीड़न जैसे मामले में उल्टे उन्हीं से सवाल किए जाने लगे? 

देखते ही देखते देश के लिए मेडल लाने वाली बेटियों से ऊंचा क़द एक यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह का नज़र आने लगा। एक बाहुबली सांसद ने इन आरोपों को उस दंगल में तब्दील कर दिया जहां एक तरफ देश का नाम रौशन करने वाली बेटियों की एक पुकार पर देश की जनता खड़ी हो गई और दूसरी तरफ वोट बैंक को अपनी जागीर समझने वाले ने ताल ठोंकने की मुद्रा में जैसे संदेश दे दिया हो 2024 सिर पर है। 

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