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असम में ओला-उबर ड्राइवर यूनियन का विरोध-प्रदर्शन

यूनियन ने ओला-उबर के मौजूदा वाहन संख्या में वृद्धि को रोकने की मांग की है और इस एप-आधारित ऑपरेटर के कमीशन को भी 26 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक कम करने की मांग की है।
ओला
Image Courtesy:The Northeast Today

सोमवार से 72 घंटे की हड़ताल पर रहे ऑल असम कैब ऑपरेटर यूनियन (एएसीओयू) ने बुधवार को परिवहन आयुक्त को अपनी शिकायतों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। यूनियन ने बार-बार अपील के बावजूद श्रमिकों की मांगों को पूरा करने में विफल होने के लिए ओला और उबर सेवाओं के प्रबंधन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था।

 

यूनियन ने अंतरराष्ट्रीय श्रम कानूनों के अनुसार प्रतिदिन आठ घंटे की सेवा के लिए प्रत्येक कैब मालिक-चालक के लिए न्यूनतम वेतन और आठ घंटे से अधिक होने पर प्रोत्साहन और अतिरिक्त बोनस बढाने की मांग की।

 

यूनियन ने ओला-उबर वाहनों की मौजूदा संख्या में वृद्धि को रोकने की मांग की और इस ऐप-आधारित ऑपरेटरों के कमीशन में 26 फीसद से 10 फीसद तक कम करने की मांग की। यूनियन चाहता है कि ओला-उबर कैब चालकों के सभी निलंबित खातों को फिर से शुरू करे और कैब के लिए कल्याणकारी योजना लागू करे।

 

इस बीच एक उबर प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि चालक भागीदार एक लाभप्रद उद्यमी अनुभव हासिल कर रहे हैं।

 

प्रवक्ता ने कहा, "गुवाहाटी में एक छोटे से समूह द्वारा की जाने वाली हिंसा और बर्बरता के चलते हमारे यात्रियों और चालक समुदाय को हुए व्यवधान को लेकर हमें खेद है। हमें उम्मीद है कि ज़िला अदालत द्वारा जारी किए गए आदेश से क़ानून प्रवर्तन प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि उबर ड्राइवर बिना डर या उत्पीड़न के अपना काम करते रहेंगे।”

 

हालांकि ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन (एआईआरटीडब्ल्यूएफ) ने इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है। इससे पहले इस साल फरवरी में बीजेपी की अगुआई वाली राज्य सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए एआईआरटीडब्ल्यूएफ ओला-उबर ड्राइवरों के समर्थन में आया था।

 

एआईआरटीडब्ल्यूएफ की असम राज्य समिति के कार्यकारी अध्यक्ष हरेश्वर दास ने कहा, "ओला, उबर और ई-रिक्शा जैसी नई पेश की गई सेवाओं के लागू करने के साथ इस सिस्टम का एलान किया जाना चाहिए। इसके अलावा, कांग्रेस सरकार के दौरान उबर-ओला के किसी भी प्रकार की देरी के लिए जुर्माना राशि 5 रुपए प्रति दिन थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने अचानक 50 रुपये प्रति दिन बढ़ा दिया।”

 

हाल ही में, ओला और उबर के ड्राइवरों ने दिल्ली और मुंबई समेत विभिन्न शहरों में हड़ताल किया था। लोगों को सामाजिक-आर्थिक विकास का पेशकश करते हुए भारत में ओला और उबर की सेवाओं को क्रमशः 2011 और 2013 में पेश किया गया था। बेहतर जिंदगी और मज़दूरी की उम्मीद करते हुए बड़ी संख्या में लोगों ने विशेष रूप से निम्न-मध्यम वर्ग के लोगो ने इन सेवाओं में निवेश किया था। इसमें तेज़ी के कारण वे शुरुआती चरण में अच्छी कमाई करने में कामयाब रहे। इसके बाद लोगों ने इन सेवाओं में अपनी कम वेतन वाली नौकरियों को छोड़कर निवेश किया। यहां तक कि कुछ ने इसके लिए अपनी संपत्ति भी बेच दी।

 

कभी इन कंपनियों के पास पर्याप्त कार्यबल, कैब मालिक-ड्राइवर थे तो प्रोत्साहनों को कम कर दिया गया था।

 

सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष कमल जीत गिल ने कहा था, "शुरुआत में उन्होंने लगभग 15 प्रतिशत कमीशन लगाया, जबकि ड्राइवर एक निश्चित दूरी को कवर करने या यात्रा की एक निश्चित संख्या को पूरा करने के लिए प्रोत्साहन और अन्य योजनाओं से 15-6 रुपए प्रति किलोमीटर कमा रहे थे। अब हम प्रति किलोमीटर 6 रुपए ही कमाते हैं जबकि कमीशन 25 फीसदी और 30 फीसदी के बीच है, वहीं प्रोत्साहनों को फिर से कम कर दिया गया है।

 

उन्होंने कहा, "तो ऐसे ज़्यादा कमीशन का भुगतान करने, सीएनजी के लिए भुगतान करने, और फिर कार ऋण के लिए किस्तों का भुगतान करने के बाद हमें मुश्किल से ही कुछ बच पाता है। अधिकांश ड्राइवर 500 रुपए अधिक एक दिन में नहीं बचा पाते हैं। कई ड्राइवर अपनी किस्तों का भुगतान करने में असमर्थ रहे हैं। वे अपने परिवारों का भरण-पोषण करते हुए अपने ऋण का भुगतान कैसे करेंगे? कई जिंदगी बर्बाद हो गई हैं।"

 

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