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बीएचयू : यौन शोषण के आरोपी प्रोफ़ेसर की बहाली को लेकर छात्रों में आक्रोश

न्यूज़क्लिक से बातचीत में छात्र-छात्राओं ने बताया कि प्रो. एस के चौबे पर सालों से इस तरह के आरोप लगते आए थे। इस मामले के बाद कुलपति द्वारा आश्वासन दिया गया था कि दोष साबित होने पर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन प्रो. चौबे को फिर से बहाल कर छात्रों के साथ धोखा किया गया है।
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Image courtesy:financialexpress.com

पिछले कुछ सालों में छात्राओं से छेड़छाड़ को लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं। अब एक बार फिर छात्र और प्रशासन आमने-सामने हैं। ताजा मामला विज्ञान संस्थान के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफ़ेसर एसके चौबे का है।

गत वर्ष अक्तूबर में प्रोफ़ेसर एसके चौबे पर एक शैक्षणिक यात्रा के दौरान छात्राओं के साथ अश्लील हरकतें करने का आरोप लगा था। कार्रवाई की मांग का संज्ञान लेते हुए कुलपति राकेश भटनागर ने प्रो. चौबे को निलंबित कर मामला आंतरिक जांच समिति को सौंप दिया था।

छात्रों का आरोप है कि जांच कमेटी द्वारा कठोरतम कार्रवाई की अनुशंसा के बावजूद दोषी प्रोफ़ेसर को बिना कार्रवाई के प्रशासन ने बहाल कर दिया है।

इस संबंध में न्यूज़क्लिक से बातचीत में छात्र-छात्राओं ने बताया कि प्रो. चौबे पर सालों से इस तरह के आरोप लगते आए थे। इस मामले के बाद कुलपति द्वारा आश्वासन दिया गया था कि दोष साबित होने पर आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन प्रो. चौबे को फिर से बहाल कर छात्रों के साथ "धोखा" किया गया है।

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न्यूज़क्लिक ने जब इस संबंध में बीएचयू के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. राजेश सिंह से सवाल किया तो उन्होंने बताया, "मामले को बेवजह तूल दिया जा रहा है। जून 2019 में विश्वविद्यालय की एक्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में प्रो. एसके चौबे को निर्दोष पाया गया, इसलिए जुलाई से उन्हें बहाल करने का निर्णय लिया गया। इसके बाद बीते अगस्त से प्रो. चौबे ने अपने शैक्षणिक दायित्व संभाल लिया हैं।'

गौरतलब है कि प्रो. चौबे के साथ छात्र-छात्राओं का यह समूह 3 अक्टूबर से 9 अक्टूबर 2018 तक भुवनेश्वर की शैक्षणिक यात्रा पर था। इस यात्रा से लौटने के बाद 13 अक्टूबर को प्रो. चौबे के संबंध में लिखित सामूहिक शिकायत दी थी। जिसके बाद 25 अक्टूबर 2018 से लेकर 30 नवंबर 2018 तक इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (आईसीसी) द्वारा इस मामले की जांच की गई। कमेटी ने सभी पीड़ितों, गवाहों, आरोपी, विभागाध्यक्ष, पूर्व विभागाध्यक्षों और मामले से जुड़े अन्य लोगों से बात करने के बाद दिसंबर में अपनी रिपोर्ट सौंप दी।

छात्रों का कहना है कि कमेटी ने अपनी जांच में प्रो. चौबे पर लगे आरोपों को सही पाया। कमेटी रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टी हुई कि प्रो. चौबे लंबे समय से छात्राओं के साथ अभद्र व्यवहार और अश्लील हरकतें करते आ रहे हैं।

आईसीसीस की रिपोर्ट के बारे में सवाल पूछे जाने पर जनसंपर्क अधिकारी राजेश सिंह ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

विद्यार्थियों ने बताया कि प्रोफेसर एसके चौबे उन्हें भुवनेश्वर टूर के दौरान कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर ले गए। वहां जाकर उन्होंने परिसर की प्रतिमाओं की यौन भावभंगिमाओं के बारे में बताना शुरू कर दिया, जिससे सभी असहज हो गए। इसके बाद प्रौ. चौबे ने कई छात्राओं के साथ गलत हरकत की। कई लड़कियों की शारीरिक बनावट को लेकर भद्दे कमेंट किए। छात्रों का ये भी कहना है कि प्रो. चौबे क्लास में भी अनुचित उदाहरण देकर महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम और जननांगों को लेकर बातें करते थे।

इस प्रकरण के संदर्भ में प्रोफेसर एसके चौबे ने न्यू़ज़क्लिक को बताया कि उनके ऊपर लगे सभी आरोप निराधार हैं। उन्होंने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि रिपोर्ट एक तरफा थी। उनके पक्ष को नज़र अंदाज़ किया गया है। उन्हें विभाग के भीतर साजिश का शिकार बनाया जा रहा है ताकि उनकी तरक्की रोकी जा सके।

प्रोफेसर ने आगे बताया कि वह 2007 से बीएचयू से जुड़े हुए हैं और 2013 से यहां मैमेलियन फिजियोलॉजी के प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, वह प्रैक्टिकल क्लास और लैबोरेट्री के काम से भी जुड़े हैं।

भुवनेश्वर यात्रा के संबंध में प्रो. चौबे का कहना है वे इससे पहले भी तीन बार छात्रों के साथ टूर पर जा चुके थे, ये उनकी चौथी यात्रा थी। जहां उनके अलावा दो और पुरुष प्रोफेसर और एक महिला प्रोफेसर का जाना तय हुआ था। उन्होंने आगे बताया कि महिला प्रोफेसर उनके साथ ट्रेन से नहीं गईं, वे सीधे गंतव्य स्थान पर पहुंची। टूर की तैयारी भी विद्यार्थियों की एक कमेटी द्वारा ही किया गया।

न्यूज़क्लिक से बातचीत में छात्रों ने कहा कि विद्यार्थियों की टूर कमेटी सिर्फ नाम की ही बनी थी। सारे फैसले प्रोफेसर खुद ही कर रहे थे। जो भी कुछ हुआ, उसकी प्रोफेसर ने पहले ही योजना बना ली थी। वे जानबूझ कर सीधे रूट की ट्रेन से नहीं ले गए।

न्यू़ज़क्लिक को एक छात्र ने ये बताया कि इससे पहले भी टूर पर गई कई लड़कियों ने प्रो. चौबे के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन शिकायत लिखित नहीं के कारण उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। छात्र ने आगे कहा कि शिकायत करने की स्थिति में प्रोफेसर की तरफ से प्रैक्टिकल में कम नंबर देने की धमकी भी दी जाती थी।

एक अन्य छात्र ने कहा कि जब कमेटी ने प्रोफेसर को दोषी करार दे दिया था। ऐसे में उन्हें फिर से बहाल कैसे किया जा सकता है। आगे छात्र-छात्राओं के साथ कुछ गलत होता है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?

एक छात्रा ने बताया कि कमेटी की रिपोर्ट में सदस्यों ने इस पूरी घटना को दुखद बताने के साथ ही चिंता ज़ाहिर करते हुए कहा था कि ‘सम्मानित शिक्षक’ का चोला ओढ़े एक व्यक्ति अपनी वरिष्ठता और नंबर देने की ताकत का इस्तेमाल गलत कामों के लिए कर रहा है।

छात्रा के अनुसार कमेटी ने आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ पहले की गई शिकायतों पर कार्रवाई न करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा था कि ऐसा न होने के चलते ही आरोपी प्रोफेसर की हिम्मत बढ़ी और उन्होंने छात्राओं के साथ अपना गलत व्यवहार जारी रखा।

न्यू़ज़क्लिक को छात्रों ने बताया कि आईसीसी की रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में ही आ गई थी, फिर इसके बाद हुई कार्यकारिणी परिषद की बैठक में इस मामले पर क्यों नहीं सुनवाई हुई। जाहिर है प्रशासन उस बैच के छात्रों के जाने का इंतजार कर रहा था। जैसे ही छात्र पास आऊट हुए प्रशासन ने प्रोफ़ेसर को फिर से बहाल कर दिया।

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इस बारे में न्यूज़क्लिक ने बीएचयू के कुलपति राकेश भटनागर से ईमेल के जरिए सवाल पूछे हैं, लेकिन खबर लिखे जाने तक हमें कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है।

छात्रों ने बताया कि कुलपति का कहना है कि प्रोफेसर चौबे को सेंसर कर कड़ी चेतावनी दी गई है। इसके बाद वो किसी यूनिवर्सिटी के वीसी नहीं बन पाएंगे। लेकिन जब शैक्षणिक गतिविधियों के दौरान यौन शोषण और अश्लील हरकतें करने के आरोप सिद्ध हो गए हैं, ऐसे में उन्हें फिर से शैक्षणिक दायित्व दिया जाना कौन सी सज़ा है?

गौरतलब है कि इससे पहले भी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में यौन शोषण के आरोपी प्रोफेसर को बहाल किए जाने के खिलाफ छात्र सड़कों पर उतरे थे। ज़ाहिर है ऐसे मामलों में प्रशासन का लचर और उदासीन रवैया देख कर छात्रों में न्याय की आस टूट जाती है।

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