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बंगाल में पत्रकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ, पत्रकारों ने किया काले पट्टे लगाकर प्रदर्शन

शुरूआती अंदाज़े के हिसाब से अप्रैल में कम-से-कम 70 पत्रकारों पर हमले हुए हैंI
बंगाली पत्रकार

पिछले कुछ समय से पश्चिम बंगाल में पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहे हैंI ये हमले 2 अप्रैल को नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद शुरू हुए और 9 अप्रैल तक चलते रहे जो कि 9 अप्रैल को नामांकन पत्र दायर करने का आखरी दिन था I

शुरूआती अंदाज़े के हिसाब से अप्रैल में कम-से-कम 70 पत्रकारों पर हमले हुए हैंI 23 अप्रैल को कोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने जब नामांकन पत्र दायर करने के लिए 4 घंटे और दिए तो ये हमले फिर से शुरू हो गए I

बता दें कि नामांकन दायर करने के समय सीमा को बढ़ाने की माँग को लेकर सभी विपक्षी दल कोलकत्ता हाई कोर्ट गए थे I लेकिन इस बढ़ी हुई समय सीमा के दौरान सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस का दमन और भी ज़्यादा बढ़ गया I 200 से ज़्यादा उम्मीदवार घायल हुएI

23 अप्रैल को कोलकत्ता के दक्षिण 24 परगना के प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस अधीक्षक के दफ्तर के बहुत करीब एक टीवी पत्रकार प्रजना साहा पर तथाकथित तौर पर TMC के गुंडों द्वारा हमला किया गया I उन्हें कई घंटों तक एक जगह पर ज़बरदस्ती रख कर प्रताड़ित किया गया I उन्हें बस्ती में मौजूद जगह से तब छोड़ा गया जब उन्होंने उनके सहकर्मियों ने पुलिस मुख्यालय में और राजनेताओं को फोन किया जब वह वहाँ से निकली तो वह ज़ख़्मी हालत में थीं I

साहा ने कहा “युवकों के एक जुट मुझे ज़बरदस्ती बस्ती के कमरे में ले गए I उन्होंने मुझसे भद्दी भाषा में बात की और घंटों तक वहीं बंधी बनाकर रखा I उन्होंने धमकी दी कि अगर मैं अपना मुँह खोलूंगी तो मेरे घरवालों को नुक्सान पहुंचाएंगे I उन्होंने मेरे फ़ोन को भी फॉर्मेट कियाI”

आर्यभट्टा खान जो कि एक प्रमुख बंगाली पत्रिका के एक रिपोर्टर हैं, का भी इसी तरफ अपहरण किया गया और धमकाया गया I उनके साथ ये अलिपोर के प्रशासनिक भवन के बाहर

मोटरसाइकिल पर घूम रहे युवकों ने किया जिनका चेहरा ढंका हुआ था I

खान ने कहा “करीब 20 से 25 युवकों ने मुझपर लातों और घूंसों से हमला किया जब मैंने भीड़ की फोटो खींची I उन्होंने मेरा फ़ोन ले लिया और मेरी घड़ी भी छीन कर ले गएI”

दिलचस्प बात ये है कि ये सारे हमले तब हुए जब टाइम्स ऑफ़ इंडिया के एक फोटो पत्रकार का  इसी तरह अपहरण हुआ था, उनका अपहरण भी तथाकथित तौर पर सत्ताधारी पार्टी के गुंडों द्वारा 9 अप्रैल को किया गया था I उन्हें भी बस्ती में एक जगह ले जाया गया, उनके कपड़े उतारे गए और उन्हें पीटा गया I पत्रकारों के मुताबिक पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज़ करने से मना कर दिया था I

प्रेस क्लब कोलकत्ता और कोलकत्ता जर्नलिस्ट क्लब ने इन हमलों की निंदा की है I अलग अलग प्रेस विज्ञप्तियों में उन्होंने कहा है कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर लगातार हो रहे हमले इस देश के लोकतंत्र को कमज़ोर करेंगेI

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कलकत्ता जर्नलिस्ट क्लब के सचिव राहुल गोस्वामी ने कहा “ऐसा लग रहा है कि पत्रकारों के लगातार विरोध प्रदर्शन का गुंडों और प्रशासन पर कोई असर नहीं पड़ा हैI कोलकत्ता में एक फोटो पत्रकार का अपहरण कर लिया गया I इसके बाद एक महिला पत्रकार का अपहरण हुआ I उन्हें बहुत अघात हुआ है और वह अब तक डरी हुई हैं- अपनी तीन साल की बच्ची के बारे में सोचते हुए उन्हें अपना मुँह बंद रखना होगा I” विभिन्न संगठनों ने एक कमेटी मीटिंग की और काले पट्टे लगाकर विरोध किया I

प्रेस क्लब कोलकत्ता के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध चक्रवर्ती के मुताबिक ऐसे हमले पहली बार हुए हैं I उन्होंने कहा “इमरजेंसी के दौरान भी पत्रकारों को पुलिस द्वारा MISA के  अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था I लेकिन इस सरकार के दौरान जिस तरह पुलिस ने गुंडों के साथ सहभागिता निभाई है, ये लोकतंत्र के लिए एक बुरा संकेत है I यहाँ तक की FIR भी दर्ज़ नहीं की जा रही है I पीड़ित पत्रकारों को रिपोर्ट दर्ज़ कराने से पुलिस और अधिकारियों द्वारा रोका जा रहा है I पुलिस और प्रशासन कुछ भी कार्यवाही करने में नाकाम रहे हैं I”

 दूरदर्शन न्यूज़ की एंकर और रबिन्द्र भारती विश्विद्यालय की अध्यापक देबज्योती चंद्रा ने कहा “पश्चिम बंगाल की पूरी पत्रकार बिरादरी इस समय बहुत बहुत डरी हुई है I पत्रकार अपना काम कर रहे हैं सरकार का काम है उन्हें सुरक्षा प्रदान करना I ये हमले न सिर्फ जघन्य अपराध हैं बल्कि इन्हें बर्बर कहा जाना चाहिए I

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