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चेन्नई मेट्रो के कर्मचारियों ने मेट्रो भवन के सामने दिया धरना

आखिर क्यों वेतन बढ़ोत्तरी के बाद भी कर्मचारियों के मन में हर्षा-उल्लास के बदले हताशा उमड़ पड़ी?
Chennai Metro Workers' Strike

सोमवार से चेन्नई मेट्रो के कर्मचारियों ने कोयम्बेडु स्थित मेट्रो भवन के सामने धरने पर बैठे हैं। उनकी मुख्य माँगेंमाँगें हैं कि मेट्रो कर्मचारी के जो भत्ते बढ़ायें हैं उसमें सुधार करे साथ ही कैफेटेरिया भत्ते में भी सुधार की आवश्यकता है और देश के बाकी मेट्रो में सरकार जिस तरह से अपने कर्मचारियों को वेतन देती है वो इन्हें भी मिलनी चाहिए।

चेन्नई मेट्रो ने शनिवार 1 जूलाई 2018 को मेट्रो कर्मचारियों के वेतन भत्ते में बढ़ोत्तरी की थी। हालाँकि यह बढ़ोत्तरीबढ़ोत्तरी पिछले वर्ष ही हो जानी चाहिए थी। जहाँजहाँ वेतन बढ़ोत्तरी के बाद कर्मचारियों में हर्षा-उल्लास होना चाहिए वहीं यह सूचना पाकर मेट्रो कर्मचारियों के मन में हताशा उमड़ पड़ी। क्योंकि जिस वेतन बढ़ोत्तरी का इंतजार कर्मचारी पिछले वर्ष से कर रहे थे उस वेतन में बढ़ोत्तरी तो हुई लेकिन न के बराबर। इस वृद्धि के बाद से कर्मचारियों के अंदर काफी रोष है उनसे बात करने पर पाया की किसी के वेतन में 100 रू कि बढ़ोत्तरी हुई है तो किसी के वेतन में 500 रू की। इस संशोधन में गैर कार्यकारी कर्मचारियों के वेतन में 05-07 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है जबकि 10-15 प्रतिशत वृद्धि होनी थीI

  जहाँ देश के बाकि मेट्रो में गैर कार्यपालक कर्मचारियों को कैफेटेरिया भत्ता मिलता है जोकि मूल वेतन का 30-35 प्रतिशत होता है। वहीं शनिवार को चेन्नई मेट्रो में आए वेतन भत्ते के संशोधन में गैर कार्यपालक कर्मचारियों को कैफेटेरिया भत्ता का कोई ज़िक्र नहीं है। इस संशोधन में कार्यकारी अधिकारी को कैफेटेरिया भत्ता तो मिल रहा है लेकिन वह मूल वेतन का केवल 20 प्रतिशत है।

सूत्रों के अनुसार गैर कार्यपालक कर्मचारियों ने इस संशोधन के खिलाफ शनिवार को मेट्रो भवन के सामने धरना दिया और उसके बाद एचआर मैनेजर से बात कर अपनी माँगों का ज्ञापन सौंपा। एचआर मैनेजर ने प्रदर्शनकारियों की माँगें सुनने के बाद कहा कि आप सोमवार को आयें हम आपकी माँगों को प्रबंध निदेशक के सामने रखेंगें।

सोमवार जब प्रदर्शनकारी प्रबंध निदेशक से मिले तो उन्होंने कहा कि हमारे हाथ में कुछ नहीं है, ये वेतन बढ़ोत्तरी मेरे हाथ में नहीं है। उसके बाद से गैर कार्यपालक कर्मचारी मेट्रो भवन के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं। कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन से मेट्रो के परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है क्योंकि प्रदर्शनकारी अपनी ड्युटी पूरी करने के बाद धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

कर्मचारियों के अनुसार मेट्रो कर्मचारी के प्रति सरकार काफी उदासीन है। यहाँ मेट्रो बनने के बाद स्टेशन की संख्या में बढ़ोत्तरी तो हो रही है, लेकिन इसके समानांतर कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है।

पिछले हफ्ते ही दिल्ली मेट्रो के 9,000 गैर कार्यपालक कर्मचारी भी वेतन वृद्धि के साथ-साथ और भी कई माँगों को लेकर हड़ताल करने वाले थे लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दी।

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