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दिल्ली: नगर निगम की ख़स्ता हालत, सरकारें ख़ामोश

दिल्ली में नगर निगम के डॉक्टरों, शिक्षकों, सफ़ाई कर्मचारियों व अन्य कर्मचारियों को काफ़ी समय से वेतन नहीं दिया जा रहा है। दिल्ली नगर निगम में शासन करने वाली भाजपा का कहना है कि दिल्ली सरकार उनका फ़ंड रिलीज़ नहीं कर रही है जबकि दिल्ली सरकार कहती है उसने अपने हिस्से का पूरा फ़ंड दे दिया है।
Doctors

दिल्ली में नगर निगम की हालत बहुत ही गंभीर है, काफ़ी समय से वेतन न मिलने के विरोध में हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर हड़ताल पर रहे। डॉक्टरों द्वारा की गई इस हड़ताल से उपचार के लिए अस्पताल पहुँच रहे मरीज़ों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस  मौसम में अस्पताल पहुँचने वाले मरीज़ों की संख्या भी बढ़ रही है क्योंकि यह मौसम बादल रहा है और तरह-तरह के वायरल होने की संभावना बढ़ रही है।

यह अस्पताल जो उत्तरी दिल्ली नगर निगम या कहें नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में आने वाला सबसे बड़ा अस्पताल है, यहाँ भी अब मेडिकल सेवाओं पर संकट आना शुरू हो गया है। यहाँ पर काम करने वाले तकरीबन 500 से अधिक डॉक्टर्स और चार सौ नर्सेज़ को बीते दो महीने से सैलरी नहीं मिली है। डॉक्टरों का कहना है कि अभी तक उन्हें किसी तरह का आश्वासन नहीं मिला है। यदि जल्द कुछ भी स्पष्ट नहीं होता तो वह सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
 
रेज़िडेंट डॉक्टरों का कहना है कि हर तीन महीने में उन्हें हड़ताल करने के बाद ही वेतन दिया जाता है। एक बार फिर अस्पताल रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) का कहना कि वेतन की मांग पूरी न होने पर और अस्पताल प्रशासन व निगम अधिकारियों के बीच बातचीत में मामले का हल नहीं निकल पाने के कारण हम काम रोकने पर मजबूर हो रहे हैं।

रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. संजीव चौधरी ने कहा कि इस मामले पर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक से बातचीत की गई। उन्होंने साफ़ कह दिया कि फ़ंड नहीं है। उन्होंने बताया शुक्रवार को हड़ताल के दौरान उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त ने इनसे मुलाक़ात की और कहा कि वो भी नहीं जानते वो कब तक वेतन दे पाएंगे क्योंकि उनके पास फ़ंड ही नहीं है। डॉक्टरों ने साफ़ किया कि 15 फ़रवरी तक का वेतन मिल चुका है। 1200 बेड के इस अस्पताल में क़रीब 500 रेज़िडेंट डॉक्टर हैं। मामले की जानकारी उत्तरी दिल्ली नगर निगम को भी है। फिर भी वेतन भुगतान नहीं किया गया है और कब तक होगा इसकी भी कोई जानकारी नहीं है।
 
कर्मचारियों को वेतन न देना उनके मौलिक अधिकार का हनन 

ये सिर्फ़ हिन्दू राव के डॉक्टरों की ही समस्या नहीं है बल्कि शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों को भी वेतन नहीं मिल रहा है। इसी को लेकर वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिक दायर की है जिसमें उन्होंने न्यायालय से मांग की है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के शिक्षकों, डॉक्टरों को वेतन दिया जाए और आगे इस तरह की अनियमता न हो इसके लिए इन संस्थानों को निर्देशित किया जाए।
 
अपनी इस याचिका में अशोक अग्रवाल ने यह भी कहा है कि शिक्षकों और डॉक्टरों को वेतन न देना संवैधानिक रूप से ग़लत है और ये उनके जीवन जीने के   मौलिक अधिकार अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। साथ ही साथ शिक्षकों को वेतन न मिलने से वहाँ पढ़ रहे हज़ारों छात्रों पर भी असर पड़ रहा है जो शिक्षा के अधिकार 2009 का भी उल्लंघन है। 

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आगे इस याचिका में उन्होंने यह भी ज़िक्र किया है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के 1100 डॉक्टरों को भी वेतन नहीं दिया गया है जिसको लेकर 16 मई से हिंदूराव अस्पताल के डॉक्टर प्रदर्शन कर रहे है। 
इसके साथ ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मंगोलपुरी प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक हरपाल जिन्हें फ़रवरी महीने से किसी भी तरह का कोई भी वेतन नहीं मिला है। इसी स्कूल के बनवारी लाल को भी फ़रवरी माह के बाद से कोई भी भुगतान नहीं हुआ है। इसी तरह के हज़ारों शिक्षक हैं जिन्हें मार्च और अप्रैल का वेतन अब तक नहीं मिला है जिससे शिक्षक मानसिक रूप से परेशान हैं। कई शिक्षकों का कहना है कि वो अब अपने बच्चों के स्कूल की फ़ीस भी देने के पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं। 

इस याचिका में यह भी कहा गया है कि वेतन न देने के लिए दोनों निगम के पास कोई ठोस तर्क भी नहीं है। 
 

"सभी दल राजनीति कर रहे हैं, किसी में समाधान करने का बल नहीं" 

अभी हाल ही में दिल्ली में छठे चरण में लोकसभा के चुनाव सम्पन्न हुए हैं लेकिन किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे से नगर निगमों की ख़राब माली हालत का मुद्दा शामिल नहीं था। निगमों में एकछत्र राज करने वाली भाजपा हो या मुख्य विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) या कांग्रेस पार्टी, किसी ने भी निगम की कार्यप्रणाली या वित्तीय संकट को अहमियत नहीं दी। सत्तारूढ़ भाजपा की तो मजबूरी है कि वह निगमों की तंगहाली का मुद्दा उठाती है तो निगमों में उसके नेतृत्व पर सवाल उठेंगे। आप और कांग्रेस क्यों चुप हैं, ये समझ से परे है।

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दिल्ली के उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम इस समय ख़राब आर्थिक हालत से जूझ रहे हैं। यही वजह है कि निगम अपने सफ़ाई कर्मचारियों से लेकर निगम के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों को समय से वेतन नहीं दे पा रहा है। कर्मचारियों के अलावा उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को भी समय से वेतन नहीं मिल पाता है। उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कर्मचारियों की हड़ताल आम बात हो गई है। बीते वर्ष भी दिल्ली नगर निगम को सफ़ाई कर्मचारियों की हड़ताल का सामना करना पड़ा था। कई दिनों तक कूड़े की वजह से निगम की सफ़ाई की स्थिति ख़राब हो गई थी। इन हड़तालों की मुख्य वजह समय से वेतन न मिलना ही है।

दिल्ली नगर निगम में शासन करने वाली भाजपा का कहना है कि दिल्ली सरकार उनका फ़ंड रिलीज़ नहीं कर रही है जबकि दिल्ली सरकार कहती है उसने अपने हिस्से का पूरा फ़ंड दे दिया है। हालत इतनी ख़राब है कि कमिश्नर ने भी इस मुद्दे पर अपने हाथ खड़े कर दिये हैं। 

 

उत्तरी दिल्ली नगर निगम की कमिश्नर वर्षा जोशी ने ट्वीट करके इस पर अपनी बात रखी। वर्षा जोशी ने ट्वीट कर कहा कि उन्हें इस समस्या की जानकारी है, लेकिन जब तक दिल्ली सरकार फ़ंड जारी नहीं करेगी, स्थिति नहीं सुधर पाएगी। वर्षा जोशी ने ट्वीट में ये भी कहा है कि उन्हें भी बीते कई महीनों से सैलरी नहीं मिली है।

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