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डीटीसी कर्मचारीयों का सम्मेलन, कहा जल्द ही सरकार के खिलाफ करेंगे विरोध प्रदर्शन

डीटीसी में ठेकाकरण को ख़तम किये जाने और डीटीसी की बसों को बढ़ाये जाने की माँग की I
AICCTU

29 अप्रैल को दिल्ली में डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर (जो कि AICCTU से जुड़ा हुआ है) का दिल्ली के ग़ालिब ऑडीटोरियम में मज़दूर सम्मलेन हुआ I सम्मलेन में यूनियन से जुड़े लोगों के आलावा महिला और छात्र संगठन के लोग भी मौजूद थे I इसमें डीटीसी (delhi transport center) के कर्मचारीयों के मुद्दों पर बात की गयी और उनकी माँगों को रखा गया I डीटीसी के कर्मचारी, जिसमें मुख्य तौर पर ड्राईवर और कंडक्टर हैं, की तीन मुख्य माँगे हैं I पहली माँग है कि दिल्ली के प्रदूषण को खत्म करने के लिए डीटीसी बसों को बढ़ाया जाए, दूसरी माँग है कि डीटीसी कर्मचारियों में ठेका मज़दूरी को खत्म किया जाए और तीसरी कि दिल्ली की सडकों पर डीटीसी की कम से कम 11,000 बसों को लाया जाए I

इन माँगों के आलावा यूनियन नेताओं ने कहा कि ठेके पर रखे गए बस ड्राईवरों को स्थायी ड्राईवरों से आधा वेतन मिलता है, जबकी इनमें से कुछ ड्राईवर 15 साल से काम कर रहे हैंI डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के सचिव अर्धेन्दु रॉय ने बताया कि दिल्ली में डीटीसी के करीब 12,000 ड्राईवर हैं, जिनको सालों काम करने के बावजूद स्थायी नहीं किया जा रहा I उन्होंने ये भी कहा कि धीरे-धीरे स्थायी कर्मचारियों की संख्या कम होती जा रही है I

स्थायी न किये जाने की वजह से ड्राईवरों को कोई भी सुविधा नहीं प्राप्त होती,  न ही न्यूनतम वेतन प्राप्त होता है और उन्हें ज़्यादातर 8 घंटे से ज़्यादा काम कराया जाता है I यही वजह है कि यूनियन माँग कर रहा है कि समान काम का समान दाम दिया जाए I

डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के सचिव अर्धेन्दु रॉय ने कहा कि, “लगभग 3,000 डीटीसी बसें और लगभग 1,700 क्लस्टर बसें (निजी बसें) रोज़ दिल्ली की सड़कों उतरती हैंI इममें 39,00,000 लोग रोज़ सफ़र करते हैं I जबकी मेट्रो में 30,00,000 लोग रोज़ सफ़र करते हैं और मेट्रो के किराए बढ़ने से ये लोग भी कम हो रहे हैं I लेकिन दिल्ली सरकार लगातार डीटीसी बसों को कम कर रही है और उसमें लगातार निजीकरण लाने की कोशिश कर रही है I इससे सफ़र की कीमत बढ़ जाएगी, प्रदूषण की समस्या का कोई समाधान नहीं हो सकेगा और हज़ारों कर्मचारी नौकरी खो देंगेI”

मज़दूर नेताओं का कहना है कि दिल्ली में 58% वायु प्रदूषण वाहनों से ही होता है यही वजह है कि अगर वाहनों को कम करना है तो डीटीसी की बसों को बढ़ाना होगा I मेट्रो यह कार्य नहीं कर सकती क्योंकि मेट्रो की कीमतें बहुत ज़्यादा है और आम नागरिक उसमें सफ़र नहीं कर सकते I

उनका आरोप है कि दिल्ली की सरकार भी बाकि सरकारों की ही तरह आम जनता को सुविधा पहुँचाने के बजाये अपने काम से पीछे हट रही है और निजीकरण की तरफ़ आगे बढ़ रही है I उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने कर्मचारियों को स्थायी करने का वादा किया था पर अब तक उसे पूरा नहीं किया है I

उन्होंने बताया कि इसके खिलाफ डीटीसी कर्मचारी 1 मई को मज़दूर दिवस की रैली में शामिल होंगे और 18 मई को दिल्ली सरकार के खिलाफ डीटीसी कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे I

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