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डीयू: एसओएल में सेमेस्टर सिस्टम से नाराज छात्रों के समर्थन में आए शिक्षक

छात्रों के समक्ष उभरते संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखा है।
DU Proetest

नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) में प्रशासन द्वारा बिना तैयारी इस साल से सीबीसीएस (सेमेस्टर सिस्टम) लागू करने के बाद छात्रों के समक्ष उभरते संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को एक पत्र लिखा है। 15 नवंबर को शिक्षकों द्वारा लिखे इस पत्र में मौजूदा सत्र की परीक्षाओं को स्थगित करने और सेमेस्टर प्रणाली को रोल बैक करने की मांग की गई है।

शिक्षकों ने इस पत्र के माध्यम से विश्वविद्यालय आगंतुक राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए ये सुनिश्चित करने को कहा है कि बिना किसी तैयारी के समेस्टर सिस्टम छात्रों पर ना थोपा जाए।

शिक्षकों का कहना है, 'वह हैरान हैं कि बिना पर्याप्त कक्षाएं आयोजित किए और अपडेटेड अध्ययन सामग्री प्रदान किए समेस्टर सिस्टम की परीक्षाएं कैसे हो रही हैं। इससे लगभग 1.5 लाख एसओएल के पहले साल के छात्रों को रेगुलर मोड के छात्रों के साथ होने वाली परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।'
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इस पत्र पर लगभग 100 शिक्षकों ने हस्ताक्षर कर समेस्टर सिस्टम लागू करने में यूजीसी के नियमों के उल्लंघन की बात भी सामने रखी है। साथ ही एक्जीक्यूटीव काउंसिल की मिटिंग में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने पर असहमति की बात को नज़रअंदाज करने सहित प्रशासन की नाकामियों को भी उजागर किया है।

पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले शिक्षकों ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि उन्होंने लाखों छात्रों की चिंताओं को समझते हुए यह कदम उठाया है। अभी तक प्रशासन छात्रों के लिए सुनियोजित कक्षाओं का आयोजन नहीं करवा पाया है और न ही अपडेटेड स्टडी मटेरियल ही दिया गया है। छात्र आखिर कैसे परीक्षा देंगे।

एक शिक्षक ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा, 'ये प्रशासन का मनमाना कदम है। जब आप यूजीसी के मानकों को पूरा करने में असमर्थ हैं, तो आपने कैसे इतने बच्चों के भविष्य को दाव पर लगा दिया। आप कैसे लगातार छात्रों के आंदोलन को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। प्रशासन अपनी नाकामी को छात्रों पर नहीं थोप सकता।'

बता दें कि क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) के बैनर तले छात्र लगातार बिना तैयारी के समेस्टर सिस्टम लागू होने के विरोध में प्रदर्शन करते रहे हैं। इससे पहले भी छात्र विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आगे धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।

छात्रों का आरोप है कि बीए (राजनीति विज्ञान) ऑनर्स, बीए (अंग्रेजी) ऑनर्स, बीकॉम आनर्स की कक्षाएँ समाप्त कर दी गई हैं। यही नहीं परीक्षा नजदीक होते हुए भी अब तक सभी छात्रों को पूरा स्टडी मटेरियल तक नहीं मिला है। जबकि सेमेस्टर परीक्षाएं 27 नवंबर से शुरू होनी है। ऐसे में लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
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इस संबंध में केवाईएस के राज्य समिति सदस्य हरीश गौतम ने न्यूज़क्लिक को बताया, 'नए पाठ्यक्रम को लाने में यूजीसी के कई नियमों का उल्लंघन हुआ है। यूनिवर्सिटी बार-बार हवाला दे रही है कि नए पाठ्यक्रम से समानता आयगी- हम भी समानता चाहते है, बल्कि हम लगातार इसकी मांग भी उठाते रहे है। लेकिन भ्रष्टाचार, अव्यवस्था, दोयम दर्जे के स्टडी मटेरियल और नए पाठ्यक्रम को लाने हेतु अन्य आवश्यक तैयारी की कमी के कारण हम इसके खिलाफ है।'

हरीश का आगे कहना है कि शिक्षा व्यवस्था बहुसंख्यक गरीब और पिछड़े परिवारों से आने वाले छात्रों को एसओएल में धकेल रही है और विश्वविद्यालय घटिया पढ़ाई के हालात देकर उन्हें समाज के निचले पायदान पर बनाये रखने के सारे इंतजाम कर रहा है।

बता दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा एसओएल और नॉन कॉलिजिएट विमंस एजुकेशन बोर्ड (एनसीडब्ल्यूईबी) में मौजूदा सत्र से च्वाइस बेस्ड करिकुलम सिस्टम यानी समेस्टर सिर्टम लागू कर किया गया है। जिसके चलते छात्रों को वार्षिक परीक्षाओं के बजाय सेमेस्टर परीक्षाओं के लिए बैठना होगा। सत्र की शुरुआत के बाद से ही एसओएल सेंटरों पर हुई कक्षाओं में भारी अफरा-तफरी व्याप्त रही है।

छात्रों के अनुसार न ही उन्हें नए सिलेबस की जानकारी है और न टीचरों को ही यह पता है कि उन्हें क्या पढ़ाना है? ज़्यादातर छात्रों को स्टडी मटेरियल ही नहीं मिला है। तैयारी की कमी की स्थिति यह है कि लाखों छात्रों के एड्मिशन लिए होने के बावजूद ज़्यादातर सेंटर लगभग खाली हैं क्योंकि उन्हें कक्षा की सूचना ही नहीं दी जाती|

एसओएल के राजनीति विज्ञान की छात्रा ज्योति बताती हैं, 'यूजीसी की गाइडलाइंस के हिसाब से एसओएल के स्टूडेंट्स को छपा हुआ स्टडी मटीरियल देना जरूरी है, लेकिन हमें अब तक यह नहीं मिला है। 27 नवंबर से पहले सेमेस्टर के एग्जाम होनेे हैं। लेकिन अभी तक ना सही से कक्षाए लगी हैं और ना ही हमें कोई सुविधा दी जा रही है ऐसे में हम कैसे परीक्षा देंगे'।

एक अन्य छात्र रोहित ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा कि 2017 में यूजीसी के दिशा-निर्देशों के बाद सीबीसीएस समेस्टर सिस्टम की कवायद शुरू हुई। जिसके बाद इस साल से इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) और एसओएस ने समेस्टर सिस्टम लागू किया। ईग्नू के छात्रों के विरोध के बाद वहां परीक्षाओं को जुलाई तक टाल दिया गया लेकिन एसओएल प्रशासन अभी भी समेस्टर सीस्टम लागू करने पर अमादा है।
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रोहित ने बताया, 'इससे पहले भी छात्र इस संबंध में भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन कर चुके हैं। जिसके बाद प्रशासन द्वारा उचित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया था। लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया। जब एनुअल सिस्टम के परिणाम ही आने में पांच महीने लग जाते हैं तो सेम्सटर सिस्टम के रिजल्ट का क्या होगा’?

हालांकि प्रशासन का कहना है कि स्टडी मटीरियल ई-फॉर्म में दिया जा चुका है। वहीं, स्टूडेंट्स का कहना है कि अब तक एसओएल स्टूडेंट्स के लिए हेल्प क्लास भी सही तरीके से नहीं हुई हैं। स्टूडेंट्स का यह भी कहना है कि प्रशासन अब तक टीचर्स अपॉइंट नहीं कर पाया है।

खबरों के अनुसार 2019-2020 के सत्र के लिए डीयू एसओएल में 1.5 लाख से ज्यादा छात्रों ने 5 यूजी कोर्स में एडमिशन लिया है। छात्रों को दाखिले के समय बताया गया था कि कोर्स तीन साल का है और हर साल एक बार एग्जाम होगा।

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गौरतलब है कि सेमेस्टर सिस्टम का फैसला 20 जुलाई को हुई ईसी मीटिंग में लिया गया था, जिसे 17 अगस्त को एग्जिक्यूटिव काउंसिल में फाइनल कर दिया गया। मगर चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) पर आधारित स्टडी मटीरियल पर बवाल अभी तक खत्म नहीं हुआ है। इस बार सिलेबस भी नया आना है। ऐसे में एग्जामिनेशन सिस्टम का क्या होगा और कैसे इतनी जल्दी यह सारा काम किया जाएगा, इस पर प्रशासन के जवाब से छात्र संतुष्ट नहीं नज़र आ रहे हैं।

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ये देखना होगा की प्रशासन और छात्रों के बीच कैसे तालमेल बैठता है और दिल्ली विश्वविद्यालय कैसे तमाम सुविधाओं और व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करता है।

 

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