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एचएएल के कर्मचारियों का क्रमिक अनशन जारी

कर्मचारी अपने वेतन के निपटान और अन्य सार्वजनिक कंपनियों के बराबर वेतन की मांग कर रहे हैं। कर्मचारियों ने मांगें न माने जाने पर आमरण अनशन की चेतावनी दी है।
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हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के कर्मचारी यूनियन के आह्वान पर मंगलवार 25 जून से करीब 500 कर्मचारी क्रमिक अनशन पर बैठ गए हैं। कर्मचारी यूनियन ने कहा की अगर उनकी मांग नहीं मानी तो सात राज्यों में सभी नौ इकाइयों में आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। ये कर्मचारी अपने वेतन के निपटान और अन्य सार्वजनिक कंपनियों के बराबर वेतन की मांग कर रहे हैं।

आपको बता दें कि ये वही एचएएल कंपनी है जिसे यूपीए सरकार के सौदे के तहत भारत में आने वाले रफ़ाल विमान का निर्माण करना था। परन्तु मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने फ्रांस की सरकार के साथ नया सौदा किया तो काम एचएएल की जगह अनिल अंबानी समूह की नई कंपनी को सौंप दिया था। जिसके चलते काफी विवाद रहा है। विपक्ष सहित कई लोगों ने इसको लेकर सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और इसे एचएएल को बर्बाद करने की साज़िश बताया। अभी रफ़ाल का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। 

कर्मचारी यूनियन के महासचिव सूर्यदेव चंद्रशेखर ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "सार्वजनिक क्षेत्र के सभी उद्यमों ने अधिकारियों और कामगारों को समान योग्यता और भत्ते दिए हैं लेकिन एचएएल हमें इस लाभ से वंचित रखा गया है।" उन्होंने यह भी कहा कि यह एचएएल की नैतिक जिम्मेदारी भी है। क्योंकि 2017 से ही हमारे वेतन का निपटारा नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को मूल वेतन 35% और भत्तों में 15% फिटमेंट या वृद्धि मिली थी, लेकिन मज़दूर को केवल 10%फिटमेंट और 18% भत्तों की पेशकश की जा रही थी। उन्होंने कहा, '' उन्होंने अधिकारियों के फिटमेंट और मूल में 10-40% से अधिक की बढ़ोतरी की है और बातचीत के नाम पर वे हमें जो पेशकश कर रहे हैं, वह हमारे जेब से 50% की कटौती है। यह किस तरह का समझौता है?”

यूनियन ने कहा है कि वह 2 जुलाई तक अपनी क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे और यदि मुद्दा अनसुलझा रहा तो वह अपना आंदोलन तेज करेगी। उन्होंने कहा "3 जुलाई को, हम बेंगलुरु में कॉर्पोरेट कार्यालय का घेराव करेंगे।" 

दूसरी ओर, एचएएल ने इसे "अनुचित" बताते हुए आंदोलन की आलोचना की।   

एचएएल ने मंगलवार को एक बयान में कहा “यह खेदजनक है कि अखिल भारतीय एचएएल ट्रेड यूनियनों की समन्वय समिति ने आंदोलन का सहारा लिया है और कुछ सदस्यों ने अपने लंबित वेतन संशोधन के बारे में मीडिया के एक वर्ग से बात की है। उनका अधिकांश विवाद अस्थिर है।" एचएएल ने कहा कि अब तक नौ दौर की चर्चाएं हुई हैं और कहा की इस मसले का हल यथार्थवादी और व्यवहारिक बातचीत से ही संभव है। 

एचएएल ने कहा कि यूनियनों की मांग पर कोई औचित्य नहीं है कि अधिकारियों या अधिकारियों की तुलना में सभी कर्मचारियों का बराबर या उससे अधिक लाभ (फिटमेंट बेनिफिट और भत्ते) दिया जाए,  अधिकारियों का वेतन संशोधन दस साल बाद 1 जनवरी, 2017 से प्रभावी हुआ था। कंपनी ने कहा, "जबकि अन्य कर्मचारियों "2007 के बाद 2012 में और फिर 2017 में वेतन और भत्ते का निपटना हुआ था। ऐसे में अधिकारियों की वृद्धि को देखते समय इस बात का भी ध्यान में रखा गया था।" इसके अलावा उन्होंने कहा कि अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में अधिकारियों के लिए उच्च वेतनमान ही है।

एचएएल द्वारा जारी किए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, सूर्यदेव ने न्यूज़क्लिक से कहा, “पीएसयू ने जो भी प्रेस बयान जारी किया है वह पूरी तरह से असत्य है। प्रेस वक्तव्य में दिए गए तथ्य पूरी तरह से झूठे हैं और केवल लोगों को पूरी तरह से भ्रमित करने के लिए डाले गए हैं। हमारी मांग पूरी तरह से न्यायसंगत है और हम जो भी दावा कर रहे हैं वह सौ फीसदी सच है।”

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