NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अब किसानों के संघर्षों के साथी नहीं रहे जुझारू देवीलाल के वारिस!
किसानों से हमदर्दी के नाम पर हरियाणा का चौटाला खानदान अपने आप को तमाम गतिविधियों के जरिए सबसे आगे रखता रहा है और इसी बूते सत्ता में भागीदार है, लेकिन अब उसी ने किसानों के मुद्दों को चोट पहुंचाई है।
यूसुफ़ किरमानी
11 Sep 2020
 ट्रैक्टर से पहुंचे दुष्यंत चौटाला
(फाइल फोटो) 2017 में संसद के सत्र में शामिल होने के लिए ट्रैक्टर से पहुंचे दुष्यंत चौटाला। 

हरियाणा में कुरुक्षेत्र के पीपली में किसानों को बेरहमी से पीटे जाने से वो चेहरे बेनक़ाब हो गए जो किसानों से हमदर्दी का दम भरते नजर आते थे। किसानों से हमदर्दी के नाम पर हरियाणा का चौटाला खानदान अपने आप को तमाम गतिविधियों के जरिए सबसे आगे रखता रहा है और इसी बूते सत्ता में भागीदार है, लेकिन अब उसी ने किसानों के मुद्दों को चोट पहुंचाई है।

क्या किसी को 15 दिसंबर 2017 की वो तस्वीर याद है जिसमें तत्कालीन आईएनएलडी (इंडियन नेशनल लोकदल) सांसद दुष्यंत चौटाला ट्रैक्टर पर बैठकर शीतकालीन सत्र में हिस्सा लेने संसद भवन पहुंच गए थे। तब दुष्यंत ने बताया था कि किसानों की समस्याओं की तरफ ध्यान आकर्षित करने के लिए उन्होंने संसद तक ट्रैक्टर चलाया है। इसके बाद दुष्यंत ने कई बार इस ट्रैक्टर को हथियार बनाया। कभी वो वोट डालने ट्रैक्टर से गए, कभी रैली को संबोधित करने ट्रैक्टर से गए। किसानों को दुष्यंत में उम्मीद की लौ दिखी। परिवार में विवाद होने के बाद दुष्यंत ने अलग से जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) बनाई। किसान मतदाताओं ने चौधरी देवीलाल का वारिस समझकर जेजेपी को पिछले विधानसभा चुनाव में खूब सारे वोट दिए। किसानों के वोट ने दुष्यंत चौटाला को इन हालात में ला दिया कि वो भाजपा से सौदेबाजी कर सके और डिप्टी सीएम का पद हासिल कर लिया। लेकिन क्या इनकी मंजिल यहीं तक थी। यही सवाल किसान पूछते हैं क्योंकि सत्ता और पद पाने के बाद दुष्यंत किसानों को लगभग भूल गए।

पीपली में जब गुरुवार, 10 सितम्बर को किसान पीटे जा रहे थे तो दुष्यंत के भाई दिग्विजय चौटाला ट्वीट करके और मीडिया में बयान देकर नकली हमदर्दी जता रहे थे। दिग्विजय ने कहा कि पीपली में किसानों को पीटे जाने की घटना निन्दनीय है। हम किसानों का दर्द अपना समझते हैं। इस घटना की जांच होनी चाहिए। लेकिन दुष्यंत चौटाला का इस घटना को लेकर कोई बयान नहीं आया जबकि डिप्टी सीएम की नजर राज्य के चप्पे चप्पे के घटनाक्रम पर होनी चाहिए।

किसान पिछले दस दिनों से अपने आंदोलन की घोषणा कर रहे थे। मुख्यमंत्री के आदेश पर कोरोना की आड़ में किसानों के आंदोलन पर पाबंदी लगा दी गई। किसान फिर भी जब 10 सितंबर के प्रदर्शन के लिए अड़े रहे तो कुरुक्षेत्र और पीपली में धारा 144 लगा दी गई। लगभग सभी अनाज मंडियों में पुलिस तैनात कर दी गई। हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से पीपली आ रहे किसानों को रोककर नजरबंद कर दिया गया।

घटना को एक दिन बीत चुका है लेकिन सरकार की तरफ से किसानों से बातचीत की कोई पहल नहीं हुई है। चौटाला खानदान के दूसरे वारिस और आईएनएलडी के सर्वेसर्वा अभय सिंह चौटाला ने भी ट्वीट करके किसानों से हमदर्दी जता दी। उन्होंने कहा कि हम किसानों की लड़ाई लड़ेंगे लेकिन किस तरह से लड़ेंगे, उसका कोई खाका अपने बयान में पेश नहीं किया है। इस तरह किसानों का देवीलाल के वारिसों से अब मोह पूरी तरह भंग हो चुका है।

farmer beating- popular photo.jpg

पीपली में जुटे किसान क्या चाहते थे

हरियाणा के किसान उन तीन अध्यादेशों का विरोध कर रहे हैं, जिन्हें हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार ने पास किया है। किसानों का ऐसा आंदोलन सिर्फ हरियाणा में ही नहीं हो रहा है। पंजाब के किसान भी इस मुद्दे पर आंदोलन कर रहे हैं। मोदी सरकार एक अध्यादेश का जोरशोर से प्रचार कर लाई थी - वन नेशन-वन मार्केट यानी एक देश और एक बाजार। सुनने में अच्छा लगने वाला शब्द है लेकिन दरअसल, इसकी आड़ में किसानों की मौत का परवाना साबित होने वाला है यह अध्यादेश। इससे फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाना खत्म हो जाएगा। इस कानून के तहत व्यापारी किसानों से बाहर ही उनकी उपज का सौदा कर लेंगे। किसानों की उपज मंडी में कभी पहुंचेगी ही नहीं।

अभी बाजार में क्या होता है कि किसानों की उपज सालभर तक मंडी में आती रहती है और रेट घटते बढ़ते रहते हैं। नया कानून सारा फायदा व्यापारियों के हाथों में दे रहा है। इससे कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग बढ़ेगी। यानी व्यापारी फसल आने से पहले ही किसानों के खेत बुक कर लेंगे। शुरू में किसानों को मुंहमांगी कीमत मिलेगी लेकिन बाद में किसानों की कमर तोड़ दी जाएगी। रिलायंस और अडानी कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग में उतरने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं।

haryana farmers.jpg

मोदी सरकार ने दूसरे अध्यादेश के जरिये आवश्यक वस्तु अधिनियिम 1955 को बदल दिया है। इससे फूड प्रोसेसिंग में जुटी रिलायंस और अदानी की कंपनियों को सीधा फायदा होगा। इसके तहत स्टाक की निश्चित सीमा खत्म कर दी गई है। यानी रिलायंस या अडानी प्याज और आलू का चाहे जितना स्टाक कर लेंगे। कई अनाज, दालों, खाद्य तेल को आवश्यक वस्तु अधिनियिम से बाहर करके इसके स्टाक की सीमा खत्म कर दी गई है। यानी व्यापारी एक बार सस्ते में किसानों से उनकी उपज खरीदकर बड़े पैमाने पर स्टाक कर लेंगे और उसकी कीमत अपने हिसाब से तय करेंगे। मसलन अडानी फॉरच्यून रिफाइंड तेल बेचता है। यह तेल सूरजमुखी के फूलों और अन्य चीजों से तैयार होता है। अब अडानी को किसानों से सूरजमुखी के फूल खरीदकर उन्हें स्टाक करने की खुली छूट होगी। फॉरच्यून रिफाइंड आयल इस देश में बहुत बड़ा ब्रैंड बन चुका है।

एक और खतरनाक अध्यादेश मोदी सरकार लाई है, जिसे फॉरमर्स एग्रीमेंट आन प्राइस एश्योरेंस एंड फॉर्म सर्विस आर्डिनैंस। इसके जरिए बड़ी कंपनियां किसानों से अनुबंध कर उनके खेतों को अपने कब्जे में ले लेंगी। किसान सिर्फ अपने खेत पर मजदूर बनकर रहेगा। यूपी और महाराष्ट्र के आम उत्पादकों के साथ यह खेल हो चुका है। मलीहाबाद (लखनऊ) का दसहरी आम पूरी दुनिया में मशहूर है लेकिन बाजार में इसकी कीमत और उपलब्धता रिलायंस तय करता है। मलीहाबाद और आसपास के गांव में आम उत्पादक सिर्फ बाग की रखवाली करते हैं। भारत की मंडियों में बिकने वाला दसहरी, लंगड़ा, चौसा, तोतापरी आम भी अब रिलायंस से खरीदकर बेचा जाता है।

हरियाणा और पंजाब में किसान बड़े काश्तकार हैं। इन तीनों अध्यादेशों से सबसे ज्यादा नुकसान में रहेंगे। इसलिए सबसे ज्यादा विरोध इसी बेल्ट में हो रहा है। भाजपा ने किसानों के आंदोलन को कांग्रेस प्रायोजित बताकर इसे दूसरा रंग देना चाहा लेकिन इस आंदोलन से कांग्रेस का कोई संबंध नहीं है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला ने इसे नैतिक समर्थन दिया था और एक-दो ट्वीट किसानों के हक में किये थे। इससे ज्यादा उनका इस आंदोलन से कोई वास्ता नहीं है। इसे पूरी तौर पर भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) चला रहा है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

Haryana
Farmer protest
farmer crises
Dushyant Chautala
Chautala Family
BJP
Haryana Government
JJP
Jannayak Janata Party
Manohar Lal khattar
Narendra modi

Trending

एमपी भवन पर महिलाओं का प्रदर्शन, कहा सुरक्षा के नाम पर निग़रानी मंज़ूर नहीं
कांट्रैक्ट फार्मिंग सिर्फ किसान विरोधी नहीं, देश विरोधी भी
किसान सरकार बातचीत नाकाम, राहुल उतरे मैदान में
किसानों ने लोहड़ी की आग में जलाए कृषि क़ानून
किसान आंदोलन का 51 वां दिन :कृषि क़ानूनों पर उच्चतम न्यायालय की कमेटी से अलग हुए मान
अंतरधार्मिक विवाह को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के बाद हालात बदलेंगे?

Related Stories

सौरोदिप्तो सान्याल, परंजॉय गुहा ठाकुरता
टीएमसी के कई पदाधिकारी आगे भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं
15 January 2021
गुरुग्राम: हाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता और नंदीग्राम से विधायक रहे सुवेंदु अधिकारी गृहमंत्री अमित श
टिकेंदर सिंह पंवार
मोदी के सेंट्रल विस्टा में अन्याय की गहरी छाप
15 January 2021
6 जनवरी को वाशिंगटन की कैपिटल बिल
Bhasha Singh
न्यूज़क्लिक टीम
खोज ख़बर : ट्रंप पर महाभियोग, किसान-महिलाओं पर शिकंजा
14 January 2021

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • किसानों-सरकार के बीच वार्ता फिर नाकाम, दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल और अन्य खबरें
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसानों-सरकार के बीच वार्ता फिर नाकाम, दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल और अन्य खबरें
    15 Jan 2021
    आज के डेली राउंड अप में हम बात करेंगे सरकार -किसान संगठनों के बीच हुई बातचीत पर. इसके साथ ही बात होगी दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल पर.
  • /Demonstration-of-women-at-MP-Bhavan-said-that-surveillance-in-the-name-of-security-is-not-acceptable
    मुकुंद झा
    एमपी भवन पर महिलाओं का प्रदर्शन, कहा सुरक्षा के नाम पर निग़रानी मंज़ूर नहीं
    15 Jan 2021
    दिल्ली स्थित मध्य प्रदेश भवन पर महिलाओं और छात्रों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने भी पुख़्ता तैयारी की थी जिससे कोई भी प्रदर्शनकारी एमपी भवन तक न पहुंच सके। लेकिन जब इन सब के बाद भी…
  •  Contract-Farming-is-not-only-anti-farmer-but-also-anti-country
    न्यूज़क्लिक टीम
    कांट्रैक्ट फार्मिंग सिर्फ किसान विरोधी नहीं, देश विरोधी भी
    15 Jan 2021
    कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग से छोटे किसानों को नुकसान होता है, और धीरे धीरे वो अपने ज़मीन से बेदखल हो जाते हैं। कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग में जुड़ी कंपनियाँ अपना मुनाफा देखती है, किसान की भलाई नहीं। कांट्रैक्ट…
  • किसान सरकार बातचीत नाकाम, राहुल उतरे मैदान में
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसान सरकार बातचीत नाकाम, राहुल उतरे मैदान में
    15 Jan 2021
    बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे ' के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार अभिसार आज की किसान और सरकार के बीच हुई वार्ता की प्रमुख बातें पेश कर रहे हैं। साथ ही साथ वो ये भी बता रहे हैं कि किस तरह सरकार कॉर्पोरेट की…
  • ED
    भाषा
    सीबीआई ने चिटफंड घोटाले में रोज वैली समूह के प्रमुख की पत्नी को किया गिरफ़्तार
    15 Jan 2021
    सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों ने पोंजी घोटाले में कथित भूमिका को लेकर शुभ्रा को गिरफ्तार किया। वह इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय द्वारा वांछित थी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें