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आफ़रीन फ़ातिमा के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर बढ़ता नफ़रती अभियान

इलाहाबाद में जावेद मोहम्मद पर कोई आरोप साबित हुए बिना ही उनके घर को तो मलबे का ढेर बना ही दिया गया मगर अब सोशल मीडिया पर उनकी बेटी आफ़रीन फ़ातिमा के ख़िलाफ़ नफ़रती अभियान शुरू हो गया है।
hatred against Afreen Fatima
तस्वीर सौजन्य : सबरंग इंडिया

प्रयागराज (इलाहाबाद) हिंसा में 'मुख्य आरोपी' बताए जा रहे जावेद मोहम्मद पर कोई आरोप साबित हुए बिना ही उनके घर को तो मलबे का ढेर बना ही दिया गया मगर अब सोशल मीडिया पर उनकी बेटी आफ़रीन फ़ातिमा के ख़िलाफ़ नफ़रती अभियान शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं, हिन्दुत्ववादी महंतों और दक्षिणपंथी ट्रोल्स ने सोशल मीडिया पर आफ़रीन के ख़िलाफ़ निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग करने के साथ उनकी गिरफ़्तारी की मांग करनी शुरू कर दी है। बता दें कि आफ़रीन फ़ातिमा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में पढ़ चुकी हैं और छात्र आंदोलन का एक अहम नाम रही हैं।

एक तरफ़ जहां आफ़रीन का घर तोड़े जाने को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए प्रशासन पर कार्रवाई किए जाने की मांग हो रही है, वहीं दक्षिणपंथी हिन्दुत्ववादी तबक़ा आफ़रीन के विरोध में है।

आनंद स्वरूप, जो लगातार धर्म संसद आयोजित कर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण देता रहा है, ने फ़ेसबुक पर एक वीडियो जारी किया है। आनंद स्वरूप ने आफ़रीन पर एएमयू, जेएनयू में दंगा करने के आरोप लगाए हैं। आनंद स्वरूप ने आफ़रीन की मानसिकता को 'आतंकवादी' वाली मानसिकता भी कहा है।

यहीं न रुकते हुए स्वरूप ने वीडियो में गृहमंत्री से 'अपील' की है कि "आफ़रीन को एक बार अफ़ग़ानिस्तान, तालिबान भेजिये..."

आनंद स्वरूप की तरह ही और भी लोग हैं जिन्होंने आफ़रीन फ़ातिमा को जेल भेजे जाने की बात लिखी है, आरोप क्या है सबूत क्या है? पता नहीं।

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कई हिन्दुत्ववादी अकाउंट ने नूपुर शर्मा का समर्थन करते हुए आफ़रीन फ़ातिमा को जेल भेजे जाने की बात लिखी है। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी आफ़रीन फ़ातिमा को 'जिहादी' सोच का बताया है।

यह सब शुरू तब हुआ जब एसएसपी प्रयागराज ने 10 जून को हुई हिंसा के लिए जावेद मोहम्मद के साथ उनकी बेटी की भी मिलीभगत होने की बात मीडिया के सामने कह दी। एसएसपी ने कहा कि आफ़रीन जेएनयू में पढ़ती हैं और वह भी ऐसी करतूतों में शामिल रही है। एसएसपी ने इस बात का न कोई आधार बताया न ही कोई सबूत। उसके बाद से ही आफ़रीन और उनके पूरे परिवार के ख़िलाफ़ मीडिया में एक तरह का प्रोपगैंडा चलना शुरू हो गया, जो और बढ़ गया जब रविवार 12 जून को उनका घर तोड़ दिया गया। अब टीवी चैनल, सोशल मीडिया पर आफ़रीन को आतंकवादी, जेहादी बताने के साथ-साथ उन्हें गंदी गंदी गालियां भी दी जा रही हैं।

बता दें कि आफ़रीन की छोटी बहन सुमईया और उनकी माँ को पुलिस ने 30 घंटे से ज़्यादा हिरासत में रखा था। सुमईया ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि पुलिस आफ़रीन के बारे में भी पूछताछ कर रही थी और जैसे ही उन्हें पता चला कि आफ़रीन जेएनयू से पढ़ी हैं, उनका बर्ताव ही बदल गया। सुमईया ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि पुलिस ने हिरासत में उनकी माँ को गंदी गंदी गालियां भी दीं।

इसके साथ ही जावेद मोहम्मद के वकील केके रॉय ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि जावेद मोहम्मद प्रशासन, पुलिस, जनता सबके परिचित थे, जिनके साथ 2 दिन पहले प्रशासन की सेल्फ़ियां थीं, उन्हें मास्टरमाइंड कैसे बताया जा रहा है। साथ ही जावेद मोहम्मद के घर पर हुए बुलडोजर ध्वस्तीकरण के ख़िलाफ़ अधिवक्ता मंच संगठन की तरफ़ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक पत्र याचिका भेजी गई है। इस में कहा गया है कि जिस मकान को प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने ध्‍वस्‍त किया है, वह जावेद के नाम पर नहीं बल्कि उनकी पत्‍नी के नाम पर है।

आफ़रीन की तरफ़ फैलती इस नफ़रत के बारे में हमने महिला और नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाली ऐपवा की नेता कविता कृष्णन से बात की। उन्होंने कहा- "देखिये यह पुलिस प्रशासन, बीजेपी के लोग और उनकी जो भी ट्रोल आर्मी है वह आफ़रीन को टार्गेट कर रहे हैं, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि वह एक्टिविस्ट है, न्याय के लिए लड़ती हैं और वह मुस्लिम हैं। अगर पुलिस के पास कोई सबूत है तो वह पेश करें और कार्रवाई करें मगर इसके बजाय आप ऐसे बयान (एसएसपी प्रयागराज के बयान का ज़िक्र) इस तरह के दे रहे हैं तो आप आफ़रीन को ख़तरे में डाल रहे हैं।"

कविता ने आनंद स्वरूप के बयान के बारे में कहा, "यह जो अफ़ग़ानिस्तान भेजने की बात कर रहे हैं इनका मतलब क्या है? जो संत वगैरह नफ़रत की, हिंसा की भाषा बोल रहे हैं उनके ख़िलाफ़ उसी यूपी में कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। यह सीधे सीधे हेट स्पीच है।"

हालांकि आफ़रीन के समर्थन में भी लोग आगे आ रहे हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, सांसद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस नेता शशि थरूर, प्रसिद्ध पत्रकार राना अय्यूब, माले और ऐपवा नेता कविता कृष्णन और आरटीआई कार्यकर्ता और टीएमसी नेता साकेत गोखले के अलावा कई लोग शामिल हैं।

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सनद रहे बीते शुक्रवार, 10 जून को निलंबित बीजेपी सदस्य नूपुर शर्मा और निष्कासित सदस्य नवीन कुमार जिंदल द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर विवादित टिप्पणी के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हुए। कुछ जगहों पर प्रदर्शन

हिंसक हो गए, और आगज़नी गोलीबारी जैसी घटनाएँ भी हुईं। पुलिस ने प्रयागराज में इस मामले में अब तक क़रीब 70 नामज़द और 5000 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है और कुल 91 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। इनमें से 10 लोग ऐसे हैं जिन्हें मुख्य आरोपी बताया जा रहा है। यह 10 लोग एआईएमआईएम, पीएफ़आई, आइसा, सीपीआई-एम, सपा से जुड़े हुए हैं। और यह सभी लोग एंटी सीएए प्रदर्शनों के वक़्त भी सक्रिय थे और आंदोलन का हिस्सा रहे थे। पुलिस का दावा है कि इनमें से एक जावेद महम्मद को गिरफ़्तार कर लिया गया है और बाकियों की तलाश की जा रही है। जावेद मुहम्मद शहर के सामाजिक कार्यकर्ता हैं और एंटी सीएए प्रदर्शनों के वक़्त भी सक्रिय थे।

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