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वेनेज़ुएला के ख़िलाफ़ अमेरिकी प्रतिबंधों को एक कांग्रेस प्रतिनिधि ने आड़े हाथों लिया

डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि जिम मैकगोवर्न ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को लिखे एक पत्र में प्रतिद्वंद्वी देश के कुछ नेताओं के फैसले और करतूतों के चलते या उन्हें अपने अधीन करने के लिए अमरीका द्वारा प्रतिबंधों से पूरी देश की आबादी को दंडित करने की प्रवृत्ति की निंदा की है।
वेनेज़ुएला के ख़िलाफ़ अमेरिकी प्रतिबंधों को एक कांग्रेस प्रतिनिधि ने आड़े हाथों लिया
मैसाचुसेट्स के नॉर्थम्प्टन में डेमोक्रेट प्रतिनिधि जिम मैकगोवर्न के दफ्तर के सामने  28 मई की रैली “वेनेजुएला से फिलिस्तीन तक” में जुटे कार्यकर्ताओं ने उनसे वेनेजुएला पर लगी पाबंदियों को हटाए जाने एवं फिलिस्तीन में नरसंहार को रोकने की मांग की।

फरवरी 2019 के एक ठंडे दिन में, मैसाचुसेट्स के नॉर्थम्पटन शहर के ह्रदयस्थल में कुछ कार्यकर्ता जमा हुए और उन्होंने अमेरिका के समर्थन से वेनेजुएला में किए गए तख्तापलट की घोर निंदा की थी। इसके दो साल बाद, डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि जिम मैकगोवर्न के साथ चल रही रैलियों और विमर्शों के मद्देनजर कार्यकर्ताओं को अपनी मांगों को उठाए जाने का कुछ आधार मिला, जब हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव सांसद की तरफ से 14 जून को जो बाइडेन के नाम एक खुला खत ट्विट्टर पर जारी किया गया। इस खत में मैकगोवर्न ने राष्ट्रपति से वेनजुएला के खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप के लगाए “सभी सेकेंडरी और सेक्टरल प्रतिबंधों को खत्म करने” का आह्वान किया था। पत्र में कहा गया था :
 
“हालांकि वाशिंगटन में अमेरिकी अधिकारी प्रतिबंधों की नीति पर राय-विचार करते हैं, वेनेजुएला के लोगों के लिए मौजूदा संकट जीवन और मरण का विषय है।...मैंने इस पर कभी विश्वास नहीं किया कि नेताओं को उनकी करनी के लिए दंडित करने या एक विरोधी को अपनी अधीनता स्वीकार कराने के लिए उस देश की समूची आबादी के विरुद्ध प्रतिबंधों का उपयोग किया जाए।...मैं विश्वास करता हूं कि यह समय वेनेजुएला के प्रति अमेरिकी नीतियों को कायदे से दुरुस्त करने का है। यह समय वेनेजुएला के लोगों की खुशहाली के लिए की जाने वाली सौदेबाजी के एक मौके के रूप में इस्तेमाल किए जाने से रोकने का है। आपके प्रशासन को चाहिए कि वह अपनी विदेश नीति के मकसदों को हासिल करने के लिए अवश्य ही अन्य तरीकों की तलाश करे।”


 
24 मार्च 2021 को मैसाचुसेट्स के नॉर्थम्पटन शहर के ह्दयस्थल में स्थित अपने कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते डेमोक्रेटिक प्रतिनिधि जिम मैकगोवर्न। फोट : अमर अहमद/मैसाचुसेट्स पीस एक्शन। 
 
अमेरिका की तरफ से लगाए गए इन प्रतिबंधों में 2017 से 2018 की अवधि में ही 40,000 से ज्यादा लोग मर गए हैं और कम से कम 300,000 लोगों की जान पर बनी हुई क्योंकि एक साल से भी अधिक समय से शुगर, कैंसर, एचआइवी, और गुर्दा रोगों के इलाज में काम आने वाली अत्यंत आवश्यक दवाओं की आपूर्ति ठप पड़ी हुई है। 
 
वेनेजुएला फॉर्मास्यूटिकल फेडरेशन ने 2018 में 85 फीसदी (2014 की 55 फीसदी की तुलना में) दवाओं की कमी होने की रिपोर्ट दी थी। महामारी के दौरान, संक्रमण के सिलसिले को कारगर तरीके से तोड़ने में सफलता मिलने के बावजूद स्थिति और अधिक विकट हो गई है।
 
जैसा कि एक कार्यकर्ता ने मैकगोवर्न के दफ्तर के सामने आयोजित रैली और बैठक के दौरान रेखांकित किया कि व्यापक तौर पर यह समझा जाता है कि अमेरिकी प्रतिबंध जिनेवा कन्वेंशन (1949) का उल्लंघन है और यह संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय विधि आयोग (1947) की तरफ से परिभाषित दृष्टिकोण से मानवता के विरुद्ध अपराध है। 
 
प्रतिनिधि मैकगोवर्न का ट्वीटर फीड उनके पत्र पर जारी बहस के साथ जीवंत बना हुआ है। लोग उनके साहसिक कदम के लिए धन्यवाद दे रहे हैं तो अपने निर्वाचन क्षेत्र से कटे रहने के कारण उनके विरुद्ध आरोपों की एक फेहरिश्त के साथ उन पर हमले भी कर रहे हैं। परंतु प्रतिबंधों पर मैकगोवर्न का रुख उनके निर्वाचकों एवं स्थानीय कार्यकर्ताओं के दृष्टिकोणों पर आधारित है,जिनमें वेनेजुएलियन अमेरिकन नागरिक भी शामिल हैं। 
 
24 मार्च 2021 को प्रतिनिधि मैकगोवर्न में अपने दफ्तर के बाहर आयोजित रैली में अपने समर्थकों के साथ शामिल हुए जिसे स्थानीय संगठनों के एक गठबंधन ने अन्य मांगों के साथ-साथ वेनेजुएला पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने की मांग पर जोर देने के लिए आयोजित किया था। एक स्थानीय वेनेजुएलन अमेरिकी कार्यकर्ता, एंटी इम्पीरियलिस्ट एक्शन कमेटी और लैटिन अमेरिका सॉलिडारिटि कोलिएशन के एक सदस्य और रैली में वक्ता हेक्टर फिगरेला के शब्द हैं:
 
“प्रतिबंध आजकल नये तरीके के युद्ध के साजो-सामान बन गए हैं: यह  युद्ध का बहुत ही निर्दयी, अमानवीय, और अनैतिक प्रकार है, जिसे हमारी सरकार, संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार मौजूदा समय में पूरी दुनिया में चला रही है...अब लोगों को मारने के लिए आपको बम गिराने की जरूरत नहीं है; वह अब जरूरी नहीं रहा। यह वही है, जिसे हम हाईब्रिड युद्ध कहते हैं। इसका मकसद स्थानीय आबादी का मनोबल तोड़ना, उसे भूखा रखना और उसे मार देना है; उसे अपने अधीन लाने के लिए, वहां मनमाफिक सत्ता परिवर्तन करने के लिए।...वेनेजुएला केवल सम्मान चाहता है, ...बिना किसी विदेशी हस्तक्षेप के, ….बिना किसी आर्थिक अभाव के अपना रास्ता स्वयं चुनना चाहता है और अपना नेता का चुनाव खुद करना चाहता है।”
 
फिगरेला 1989 से अमेरिका में रहते हैं और उन्होंने प्रतिबंधों की तीखी आंच का गहराई से अनुभव किया है। उन्होंने पूर्ववर्ती वेनेजुएलियन राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के कार्यकाल (1999-2013) में अपने परिवार की माली हालत में सुधार होते देखा है। वहीं, वह  2015 में अमेरिकी  राष्ट्रपति बराक ओबामा के एक एक्जिक्यूटिव ऑर्डर द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के भार तले अपने परिवार की दुर्गति की शुरुआत होने और फिर उनके उत्तराधिकारी डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लाए गए अधिक कठोर प्रतिबंध नीतियों, जो बाइडेन के कार्यकाल में भी जारी हैं, के तहत उसे तबाह-बरबाद होते देख रहे हैं। 
 
रैली में आए लोगों को संबोधित करते हुए फिगरेला ने कहा,“अमेरिकी सरकार द्वारा वेनेजुएला पर लगाए गए प्रतिबंधों ने मेरे पिता को मार दिया क्योंकि उन्हें थक्का-रोधी दवाएं नहीं मिल सकीं जिसकी वजह से खून का थक्का जम गया, जो उनकी मौत का कारण बना।” इस कहानी को फिगरेला पिछले कई सालों से विभिन्न रैलियों एवं बैठकों में सुनाते रहे हैं, उन्हें दोहराते आए हैं। “(वह) कुछ ऐसा है, जिसे आप चंद कदम सीवीसी तक चलें और उसे यहां से हासिल कर लें। प्रतिबंधों ने मेरे अंकल को मार दिया क्योंकि उन्हें अपनी जान बचाने के लिए कुछ दवाओं की आवश्यकता थीं, जिनका मारक प्रतिबंध लगे होने के कारण निर्यात नहीं किया जा सकता था। मेरे परिवार की कहानी कोई अनोखी नहीं है...वेनेजुएला में हर रोज लोग अमेरिका की थोपी गई पाबंदियों की वजह से दम तोड़ देते हैं।” 
 
वेनेजुएला पर कोविड-19 का टीका खरीदने पर लगे प्रतिबंधों की वजह से 7 जून को फिगरेला की आंटी का कोरोना के संक्रमण से वेनेजुएला के बोलिवर शहर में देहांत हो गया।
 
21 जून वही दिन है, जब फिगरेला और अन्य कार्यकर्ताओं ने प्रतिनिधि जिम मैकगोवर्न के दफ्तर में उनसे भेंट कर उनका शुक्रिया अदा किया तथा 14 जून के उनके खुले खत पर लोगों का और समर्थन हासिल करने के लिए अगले कदम पर राय-मशविरा किया था। 
 
डेमोक्रेट्स प्रतिनिधि जिम मैकगोवर्न का मानवाधिकार के पक्ष में खड़े होने का एक लंबा इतिहास रहा है-1980 के दशक में अल सेल्वाडोर में राज्य की क्रूर हिंसा का विरोध करने से लेकर, अमेरिका में भूख के खिलाफ की गई लड़ाई और बोल्विया में 2019 के तख्तापलट की निंदा करने तक, और हाल फिलहाल में, उन्होंने अपने निर्वचाकों के हित में, वेनेजुएला पर लगाए गए संहारक व्यापक प्रतिबंधों के विरुद्ध में उसी मुस्तैदी से खड़े हुए हैं।
 
हालांकि उनके जिले के कार्यकर्ता सभी प्रतिबंधों के अवश्य ही हटाए लिए जाने की मांग पर जोर देते रहे हैं, कि अमेरिकी रिफाइनरी सिटिगो पेट्रोलियम कॉरपोरेशन की परिसंपत्ति को अवश्य ही वेनेजुएला की सरकारी स्वामित्व वाली तेलकम्पनी पेट्रोलियोस डी वेनेजुएला एसए को लौटा दिए जाने तथा अमेरिका को तथाकथित अंतरिम राष्ट्रपति जुआन गुएदो की मान्यता अवश्य ही समाप्त करने पर बल देते रहे हैं; इन सब मांगों के मद्देनजर कांग्रेस प्रतिनिधि ने वेनेजुएला पर लगे व्यापक और कठोर प्रतिबंधों को हटा लिए जाने का आह्वान किया जो मानवाधिकारों के प्रति एक असाधारण कदम है।
 
आयोजकों ने मैकगोवर्न को 19 मार्च के अपने पत्र में लिखा था “वेनेजुएला एक तेल निर्यातक-स्वतंत्र अर्थव्यवस्था है। क्षेत्रों को लक्षित कर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंध भी आम आबादी के लिए आवश्यक वस्तुओं की सरकारी खरीदारी की क्षमता को सीमित करते हैं।” 
 
24 मार्च की आयोजित रैली में कार्यकर्ताओं की कहानियां, उनकी मांगों और परिप्रेक्ष्यों को सुनने के बाद कांग्रेस प्रतिनिधि ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया:
 
“इन सबका जो लब्बोलुआब मैं सोचता हूं कि यह है कि हम सब सहमत हैं कि वेनेजुएला के प्रति हमारी नीति वहां के लोगों के लिए हानिकारक रही है; इसके परिणामस्वरूप वहां लोगों की अनावश्यक मौतें हुई हैं, इसके नतीतन लोग अत्यावश्यक दवाएं तक नहीं पा रहे हैं, जो उन्हें जिंदा रख सकती हैं...हमारा दायित्व है कि हम विश्व के दूसरे हिस्से में मानवाधिकार के बारे में बोलें। मतलब यह कि दुनिया भर के देशों में लोग हैं और इस देश में भी लोग हैं, जो आप पर भरोसा करते हैं, जो मुझ पर भरोसा करते हैं तथा दूसरों पर भी विश्वास करते हैं, ऐसे में जब वे लोग उत्पीड़ित-प्रताड़ित होते हों, हमें चुप नहीं बैठना चाहिए।”
 
जैसा कि प्रतिनिधि मैकगोवर्न ने संकेत दिया कि आगे की कार्रवाई जनदबाव के बिना संभव नहीं है। “मैं चाहता हूं कि लोग अपने सक्रिय होने के मूल्य को समझें,” उन्होंने जनसमुदाय से कहा। “मैं आज यहां नहीं होता, तो मैं नहीं कह रहा होता कि मैं कल बाइडेन के लोगों के साथ होने वाली मुलाकात में इस मसले को उठाने की योजना बना रहा हूं, अगर आज आप सब यहां मेरे पास नहीं होते।”
 
प्रतिनिधि मैकगोवर्न से फोन पर बातचीत करने और ईमेल के जरिए पहुंच बनाने के दो महीने बाद 28 मई को आयोजकों ने एक बार फिर कांग्रेस सांसद के दफ्तर के आगे रैली की और उन्हें अपना वादा पूरा करने के लिए कहा। तब कांग्रेस के प्रतिनिधि ने बाइडेन के नाम 28 मई को लिखा गया पत्र 14 जून को जारी कर दिया। अब यह उनके सहयोगियों और राष्ट्रपति पर निर्भर है कि वे उनके विषय को आगे बढ़ाएं और जनता के ऊपर है कि वह मैकगोवर्न को वादे पर कायम रखने तथा जो कुछ उन्होंने कहा है, उसके आदर-मान के लिए उन पर दबाव बनाए रखे। 
 
(सेलिना डेला क्रोस ट्रिकॉन्टिनेंटल: इंस्टिट्यूट फॉर सोशल रिसर्च में कोऑर्डिनेटर और सामाजिक न्याय की एक आयोजनकर्ता, कार्यकर्ता और पैरोकार हैं।) 
 
यह लेख मूल रूप से ग्लोबट्रॉटर द्वारा प्रस्तुत किया गया था। 

 
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

How a Congressman Took on US Blockade Against Venezuela

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