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पुरानी पेंशन व्यवस्था की बहाली को लेकर 'रेल व रक्षा' के 25 लाख कर्चमचारी करेंगे आंदोलन

सिविल डिफेंस सेवाओं में 18 साल से अधिक समय तक काम करने वाले कर्मचारी इस मामूली राशि से परेशान हैं और इसलिए पुरानी व्यवस्था की बहाली चाहते हैं। उनका कहना है कि कि "पेंशन कोई इनाम नहीं बल्कि उनका अधिकार है"।
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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में शुरू की गई नई पेंशन योजना की जगह पुरानी पेंशन को लागू करने की मांग को लेकर रेल तथा रक्षा के करीब 25 लाख कर्मचारी इस साल सितंबर महीने में देश की राजधानी दिल्ली प्रदर्शन व आंदोलन करेंगे। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) और अन्य यूनियनों ने राष्ट्रीय पेंशन योजना के खिलाफ अपने आंदोलन को मजबूत करने का फैसला किया है।

राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) को पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 के तहत स्थापित पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा प्रशासित और विनियमित किया जा रहा है।

कर्मचारियों विशेष रुप से सिविल डिफेंस सेवाओं के कर्मचारियों को जो पेंशन मिल रही है वह वृद्धों और बुजुर्गों के लिए कम है। सिविल डिफेंस सेवाओं में 18 साल से अधिक समय तक काम करने वाले कर्मचारी इस मामूली राशि से परेशान हैं और इसलिए पुरानी व्यवस्था की बहाली चाहते हैं। उनका कहना है कि कि "पेंशन कोई इनाम नहीं बल्कि उनका अधिकार है"।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी कर्मचारी इस साल सितंबर महीने में दिल्ली के जंतर मंतर पर एक विशाल विरोध रैली करने की योजना बना रहे हैं। एआईडीईएफ, रेलवे और अन्य यूनियनों के करीब 25 लाख कर्मचारियों के इस विरोध में शामिल होने की संभावना है। इनकी प्रमुख मांग गैर-सुरक्षा आधारित राष्ट्रीय पेंशन योजना को बंद करने और पुराने केंद्रीय सिविल सेवा नियम, 1972 को बहाल करने की है।

कर्मचारियों का कहना है कि एनपीएस सुरक्षित और गारंटीड पेंशन की व्यवस्था नहीं करता है और बाजार के जोखिमों पर निर्भर है।

कर्मचारियों ने यह भी कहा कि इस योजना को बिना सोचे समझे शुरू किया गया है और इस योजना को लागू करने का निर्णय पूरी तरह आर्थिक कारणों से लिया गया है। जिन कर्मचारियों को 1 जनवरी 2004 के बाद नियुक्त किया गया था और उन्होंने खुद को सेवाओं से मुक्त करना शुरू कर दिया उन्हें उनका न्यूनतम पेंशन और डीए नहीं मिल पा रहा है। उन्हें पेंशन राशि भी नहीं मिल रही है जो उनके मूल ग्रेड वेतन का 50 प्रतिशत है।

बता दें कि इसी वर्ष मार्च महीने में छत्तीसगढ़ के बस्तर के कांग्रेस सांसद दीपक बैज ने वित्त मंत्रालय से नई पेंशन स्कीम को हटाने को लेकर सवाल किया था। जिसके लिखित जवाब में वित्त राज्य मंत्री डाॅ. भागवत कराड ने कहा था कि सरकार ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।

ज्ञात हो कि नई पेंशन योजना को बंद कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की मांग लगातार होती रही है। इसको लेकर विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों का सिलसिला चलता रहा है।

एनपीएस से प्रथम तथा द्वितीय श्रेणी के कर्मचारियों व अधिकारियों को जरूर लाभ मिलता है लेकिन 70 फीसद कर्मचारी उतना अंशदान नहीं कर पाते कि सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें सम्मानजनक पेंशन मिल सके।

नई पेंशन योजना सरकारी के साथ-साथ निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए लागू है। इसमें राज्य सरकार तथा कर्मचारी की तरफ से मूल वेतन का 10-10 प्रतिशत हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा गठित संस्थाओं में जमा कराया जाता है। एनपीएस में जाने वाला पैसा कोई भी कर्मचारी रिटायरमेंट के समय पूरा नहीं निकाल सकता है। उसे केवल फंड का 60 प्रतिशत ही प्राप्त होता है। शेष 40 प्रतिशत पैसा उसे फिर से केंद्र संस्थाओं के जरिए बाजार में लगाना पड़ता है। योजना लागू होने के समय से अंशदान में 10 प्रतिशत की दर से लाभार्जन उच्च वर्ग के कर्मचारियों के लिए जरूर लाभकारी है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल फरवरी महीने में विधानसभा बजट सत्र के दौरान पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर दी थी तथा मार्च 2022 से वेतन से एनपीएस कटौती रद्द करने का ऐलान भी कर दिया था। राजस्थान सरकार ने भी पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बाद केंद्र सरकार से नई पेंशन योजना की राशि मांगी थी। राजस्थान का अनुरोध तकनीकी कारणों से अस्वीकृत हो चुका है। राजस्थान सरकार के वित्त सचिव ने अप्रैल में पीएफआरडीए को पत्र लिखकर नवंबर 2004 से अब तक सरकार और कर्मचारियों के अंशदान के 39 हजार करोड़ रुपए वापस मांगा था।

छत्तीसगढ की भूपेश बघेल सरकार ने सरकारी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा का हवाला देकर इसी साल 9 मार्च कोपुरानी पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा की थी। तकनीकी कारणों से 2004 से 2022 तक केंद्रीय संस्थाओं में राज्य सरकारों के जमा हजारों करोड़ रुपये को हासिल करना इस सरकारों के लिए आसान नहीं होगा। छत्तीसगढ़ सरकार ने पेंशन काेष नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) से 17,240 करोड़ रुपये वापस मांगे हैं ताकि कर्मचारियों पुरानी पेंशन योजना के तहत भुगतान कर सके। यह रकम नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों और सरकार के अंशदान के तौर पर प्राधिकरण के पास जमा है।

बता दें कि नई पेंशन योजना का नाम बदल कर वर्ष 2009 में नेशनल पेंशन सिस्टम कर दिया गया था। इसमें 31 मार्च 2022 तक केंद्र सरकार के अधीन 22,83,671 तथा पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्य सरकारों के अधीन नियोजित 55,76,986 सहित कुल 78,60,657 सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों का समेकित एनपीएस अंशदान 4,25,441 करोड़ हो गया है। शेयर बाजार में निवेश के बाद प्रतिफल सहित वर्तमान में उपरोक्त कुल संपत्ति 5,88,004 करोड़ रुपया है जो भारत की जीडीपी का लगभग 2.53 प्रतिशत है। यह आंकड़ा केवल सरकारी कार्मिकों के धन का है। एनपीएस के अन्य सेक्टर जैसे कॉर्पोरेट क्षेत्र के 14,04,92, असंगठित क्षेत्र के 22,91,660, एनपीएस स्वाबलंबन क्षेत्र के 41,86,943 अभिदाताओं का निवेश के बाद प्रतिफल सहित कुल संपत्ति 7,15,670 करोड़ बैठता है।

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