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डॉ. पी गुप्ता : व्यापक सामाजिक सरोकारों वाले लोकप्रिय चिकित्सक

"मेरे श्वसुर रहे डॉ. पी गुप्ता ने मुझे निजी प्रैक्टिस के बदले सरकारी क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित किया। वे बेगूसराय में जाकर काम करते रहे। मैं पटना में रही और वह भी सरकारी क्षेत्र में उसमें बहुत बड़ा योगदान डॉ. पी गुप्ता का रहा है।"
CPI bihar
डॉ पी.गुप्ता की 10वीं पुण्यतिथि का आयोजन सी.पी.आई के मेडिकल ब्रांच ने किया।

पटना: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई) की मेडिकल शाखा की ओर से जनता के डॉक्टर माने जाने वाले चर्चित व लोकप्रिय चिकित्सक डॉ पी.गुप्ता की 10वीं पुण्यतिथि के मौके पर एक सभा का आयोजन किया गया। अशोक राजपथ पर स्थित पॉली क्लीनिक में आयोजित इस सभा में पटना शहर के डॉक्टर, बुद्धिजीवी, समाजिक कार्यकर्ता सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग मौजूद थे। ज्ञातव्य हो कि यह पॉली क्लीनिक पटना शहर में पिछले कई दशकों से गरीब लोगों को सस्ते दर पर इलाज की सुविधा उपलब्ध कराता है। इस सभा का संचालन पटना मेडिकल कॉलेज एंड हस्पीटल में हड्डी रोग के चिकित्सक डॉ अंकित ने किया।

सभा की अध्यक्षता करते हुए शहर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ सत्यजीत सिंह ने बताया, "मेरा लालन पालन एक कम्युनिस्ट परिवार में हुआ। बचपन से मैं कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े डॉक्टर ए के सेन, डॉ पी गुप्ता आदि से सानिध्य में रहा। आज मेरे निजी अस्पताल का कारोबार बड़ा होता जा रहा है। लेकिन जब भी मेरे अंदर कोई बुरा विचार आता है डॉ पी गुप्ता जैसे लोगों की स्मृति मुझे ऐसा करने से रोकती है। ऐसा लगता है ऐसे लोगों के सामने क्या मुंह दिखाऊंगा। हमारे समाज को जितने डॉक्टर और इंजीनियर की जितनी जरूरत है उससे अधिक एक मजबूत सिविल सोसायटी की जरूरत है।"

'पॉली क्लीनिक' के संचालक डॉ. शकील ने डॉ.पी गुप्ता को याद करते हुए कहा, "मैं 1977 में कम्युनिस्ट पार्टी में आया। उस समय जयप्रकाश आंदोलन के बाद कम्युनिस्ट पार्टी बुरे दौर से गुजर रही थी। डॉ. पी गुप्ता से पूर्व मैं डॉ. ए के सेन, डॉ हरि अनुग्रह जैसे लोगों से मिल चुका था। कम्युनिस्ट पार्टी ने मुझे अंगोला भेजा गया जहां इंकलाबी आंदोलन चल रहा था। दुख की बात है आज के डॉक्टर पॉली क्लीनिक का मॉडल आगे बढ़ाने को तैयार नहीं हैं। हमारे यहां से कई युवा चिकित्सकों ने पॉली क्लीनिक से इंटर्नशिप किया है पर कोई उसे आगे बढ़ाने को तैयार नहीं है। हमें डॉ. पी गुप्ता को आगे बढ़ाने की जरूरत है। हम लोग अगले दस साल तक तो यहां जरूर सक्रिय रहेंगे उसके बाद की स्थिति के लिए हमलोगों को सोचना होगा कि यह पॉली क्लीनिक कैसे चलेगा।"

आंख और कान के डॉ. पीएनपी.पाल ने बताया, "डॉ पी गुप्ता दुनिया के स्तर पर डॉ. नॉर्मन बैथ्यू, डॉ. कोटनीस जैसे महान डॉक्टरों की परंपरा में आते हैं। उन्होंने हमेशा अपनी डॉक्टरी फीस बहुत कम रखा। गरीब लोगों का इलाज करते रहे। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी और व्यापक सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में दिलचस्पी लेते रहे। मुझे हमेशा उनसे प्रेरणा मिलती रही। बिहार जैसे समाज में वर्ग के साथ साथ जाति के सवाल को भी केंद्र में रखकर सोचने की जरूरत है।"

सरकारी चिकित्सक और प्रख्यात कम्युनिस्ट नेता कॉमरेड जगन्नाथ सरकार की पुत्री डॉ. उशासी दास गुप्ता के अनुसार "मेरे श्वसुर रहे डॉ. पी गुप्ता ने मुझे निजी प्रैक्टिस के बदले सरकारी क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित किया। वे बेगूसराय में जाकर काम करते रहे। मैं पटना में रही और वह भी सरकारी क्षेत्र में उसमें बहुत बड़ा योगदान डॉ. पी गुप्ता का रहा है।"

वयोवृद्ध इतिहासकार ओम प्रकाश जायसवाल ने कहा, "डॉ. पी गुप्ता से मेरा परिचय 1954 में हुआ था। तब उनके हाथ में 'इनसाइड रशिया' किताब थी। उन्होंने अपनी पहलकदमी लेकर 1968 में कार्ल मार्क्स पर अंतराष्ट्रीय स्तर का सेमिनार बेगूसराय में आयोजित किया। वे देश के बड़े मार्क्सवादी विद्वानों को पटना और दिल्ली से ले जाकर व्याख्यान कराते थे। उनकी इस पहलकदमी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तब के चर्चित कम्युनिस्ट नेता मोहित सेन ने कहा था कि भारत में अंतराष्ट्रीय स्तर का यह इकलौता ऐसा कार्यक्रम था। उन्होंने बेगूसराय में जाकर ऐसे लोगों का इलाज किया जो छोटे छोटे इलाज के बगैर मर जाया करते थे। इसके बाद वहां उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई। कम्युनिस्ट पार्टी को बेगूसराय में विस्तार करने में भी काफी सहायता मिली। वे कहीं भी जाते पुरातात्विक सामग्रियों का संग्रह करते बाद में उसी से बेगूसराय में संग्रहालय का निर्माण हुआ। डॉ. पी.गुप्ता ने कला, साहित्य, संस्कृति, नाटक सहित कई क्षेत्रों में काम करके समाज को आधुनिक बनाने का काम किया। उन्होंने इसके कई संस्थाओं का उपयोग किया।

सभा को मगध विश्विद्यालय के प्रो.वी.सी कार्यानंद पासवान ने कहा, "पी गुप्ता हमलोगों के लिए प्रेरणा श्रोत की तरह थे। मैं भूगोल का विद्यार्थी रहा हूं। कौन मूर्ति किस पत्थर से बनी है? सैंड स्टोन से बना है या ग्रेनाइट पत्थर से बना है। इन सब चीजों के बारे में उनसे बात होती थी। वे इन सब का संग्रह भी किया करते थे।"

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पटना जिला सचिव विश्वजीत कुमार ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, "स्वास्थ्य के अधिकार में हमलोगों को आगे आंदोलन करना है। पी गुप्ता से हमें इसके लिए प्रेरणा मिलती रहेगी। उन्होंने हमेशा गरीबों और वंचितों के इलाज में मदद की। उनकी फीस बहुत कम थी जिससे जरूरतमंद लोग भी इलाज करा सकें।"

सभा को रूबन मेमोरियल से जुड़े चिकित्सक डॉ अनिल सिंह और डॉ पी गुप्ता के पौत्र अनिर्वाण गुप्ता ने भी संबोधित किया।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई) से जुड़े दो डॉक्टर डॉ. शकील और डॉ. अरविंद कुमार गौड़ इसका संचालन करते हैं। पटना सहित पूरे राज्य के वामपंथी सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं के स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का यह केंद्र बना हुआ है। पटना के अलावा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी बेगूसराय में जरूरतमंद लोगों के लिए अस्पताल चलाती है जिसे 'चांद-सूरज अस्पताल' के नाम से जाना जाता है। डॉ. पी गुप्ता का सब की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

समा में एटक के महासचिव अजय कुमार, इस्कफ के महासचिव रवीन्द्र नाथ राय, जयप्रकाश, निखिल कुमार झा, डी आजादी के अभिषेक विद्रोही, प्रगतिशील लेखक संघ के चंद्रबिंद सिंह, फिल्मकार राजू कुमार, ए.आई.पी.एस.ओ जयप्रकाश, रंगकर्मी गौतम गुलाल, ए. आआई.एस.एफ के नेता बिट्टू भारद्वाज, इंजीनियर सुनील सिंह, केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान के अशोक कुमार सिन्हा, पत्रकार व समाजिक कार्यकर्ता राजीव जादौन, नगर निगम कर्मचारियों के नेता जितेंद्र कुमार, मंगल पासवान, प्राथमिक शिक्षकों के नेता भोला पासवान, लेखक व संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर, रंगकर्मी मनोज कुमार, नवीन, प्रशांत सुमन, विश्विद्यालय कर्मचारियों के नेता मोहम्मद कैसर आदि मौजूद थे।

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