बड़ा सवाल: ईवो के बाद बोलिविया में 'लिथियम' का क्या होगा
10 नवंबर, 2019 को बोलीविया के राष्ट्रपति इवो मोरालेस को एक सैन्य तख्तापलट में उखाड़ फेंका गया। वे अब मैक्सिको में हैं। जाने से पहले मोरालेस लंबे समय से शोषित अपने देश में आर्थिक और सामाजिक लोकतंत्र स्थापित करने की एक लंबी परियोजना चला रहे थे।
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि बोलिविया को कई तख़्तापलट का सामना करना पड़ा है, जो अक्सर सैन्य और कुलीन वर्गों की ट्रांसनैशनल खनन कंपनियों द्वारा किया जाता है। शुरुआत में, ये टिन फर्म के रूप में थी, लेकिन बोलीविया में अब टिन मुख्य लक्ष्य नहीं है। अब मुख्य लक्ष्य लिथियम का विशाल भंडार है, जो इलेक्ट्रिक कार के निर्माण में काफी महत्वपूर्ण है।
पिछले 13 वर्षों में मोरेल्स ने अपने देश और इसके संसाधनों के बीच एक अलग तरह का संबंध बनाने की कोशिश की है। वे नहीं चाहते थे कि संसाधनों का फायदा ट्रासपेंशनल माइनिंग फर्मों को मिले क्योंकि उनका उद्देश्य तो आबादी को लाभान्वित करने का था।
उनके द्वारा किए गए वादे का एक हिस्सा तो पूरा हो चला था क्योंकि बोलीविया की गरीबी दर में गिरावट आई थी, और देश की आबादी अपने सामाजिक संकेतकों को सुधारने में सक्षम हो रही थी। इसमें सामाजिक विकास के लिए अपनी आय का उपयोग करने के साथ संयुक्त संसाधनों के राष्ट्रीयकरण ने बड़ी भूमिका निभाई है।
अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने मोरालेस सरकार के रुख पर कठोर प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनमें से कई ने बोलिविया की अदालत का दरवाजा खटखटाया।
पिछले कुछ वर्षों में बोलीविया ने अपने लोगों के लिए देश में धन को वापस लाने के लिए लिथियम भंडार को विकसित करने के लिए और निवेश बढ़ाने के लिए काफी संघर्ष किया है। मोरालेस के उपराष्ट्रपति अलवारो गार्सिया लिनेरा ने कहा था कि लिथियम एक ऐसा ईंधन है जो दुनिया का पेट भरेगा।
बोलीविया पश्चिमी ट्रांसनैशनल फर्मों के साथ सौदा करने में असमर्थ रहा; और इसने चीन की कंपनियों के साथ साझेदारी करने का फैसला किया। इससे मोरालेस सरकार कमजोर हो गई। यह पश्चिम और चीन के बीच चल रहे शीत युद्ध का निवाला बन गई। मोरालेस के खिलाफ तख्तापलट को इस झड़प के बखान के बिना नहीं समझा जा सकता है।
ट्रासपेंशनल कंपनियों के साथ टकराव
2006 में जब इवो मोरालेस एंड मूवमेंट फॉर सोशलिज्म ने सत्ता संभाली तो सरकार तुरंत ट्रांसनेशनल कंपनियों द्वारा दशकों से मचाई लूट को बंद करना चाहते थे। मोरालेस की सरकार ने सबसे शक्तिशाली फर्मों जैसे ग्लेनकोर, जिंदल स्टील एंड पावर, एंग्लो-अर्जेंटीना पैन अमेरिकन एनर्जी, और साउथ अमेरिकन सिल्वर (अब ट्रायमेटल्स माइनिंग) के कई खनन कार्यों को बंद कर दिया था। इस कार्यवाही ने सीधा संदेश दिया कि व्यापार जैसे चलता था अब वैसे नहीं चलेगा।
बहरहाल, इन बड़ी फर्मों ने देश के कुछ क्षेत्रों में पुराने अनुबंधों के आधार पर अपना काम जारी रखा।
उदाहरण के लिए मोरालेस के सत्ता में आने से पहले कनाडा की ट्रांसनैशनल फर्म साउथ अमेरिकन सिल्वर ने 2003 में एक कंपनी बनाई थी जिसे मलूक खोता में सिल्वर और इंडियम (फ्लैट स्क्रीन टीवी में इस्तेमाल होने वाली एक दुर्लभ पृथ्वी धातु) का खनन करना था।
साउथ अमेरिकन सिल्वर ने फिर अपनी रियायतों में अपनी पहुंच बढ़ानी शुरू की। जिस भूमि पर कंपनी का दावा था वह स्वदेशी बोलिवियाई लोगों की ज़मीन थी जिन्होंने तर्क दिया कि कंपनी उनके पवित्र स्थानों को नष्ट कर रही है और साथ ही हिंसा के माहौल को बढ़ावा दे रही है।
1 अगस्त 2012 को, मोरालेस सरकार ने अपनी सर्वोच्च फैसले डिक्री संख्या 1308 के ज़रीए दक्षिण अमेरिकी सिल्वर (ट्रायमेटल्स माइनिंग) के साथ अनुबंध को रद्द कर दिया, जिसने इसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता और मुआवजे की मांग की थी। तब कनाडा की जस्टिन ट्रूडो की सरकार ने दक्षिण अमेरिका में कनाडा की खनन कंपनियों की ओर से एक व्यापक दबाव बोलीविया पर बनाने की कोशिश की थी। अगस्त 2019 में, ट्राईमेटल्स ने बोलीविया सरकार के साथ 25.8 मिलियन डॉलर का एक सौदा किया, जो पहले मुआवजे के रूप में उसका दसवां हिस्सा था।
जिंदल स्टील जो कि एक भारतीय ट्रांसनैशनल कॉरपोरेशन है उसका बोलीविया के साथ एल मुतुन से लौह अयस्क खदान में काम करने का पुराना अनुबंध है, जिसे 2007 में मोरालेस सरकार ने रोक दिया था। जुलाई 2012 में जिंदल स्टील ने अनुबंध को समाप्त कर दिया और अपने निवेश के लिए अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता और मुआवजे की मांग की।
2014 में, उसने पेरिस स्थित इंटरनेशनल चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक फैसले में बोलीविया से 22.5 मिलियन डॉलर जीत लिए। बोलीविया के खिलाफ एक अन्य मामले में, जिंदल स्टील ने मुआवजे में 100 मिलियन डॉलर की मांग की थी।
मोरालेस सरकार ने स्विस-आधारित ट्रांसनशनल माइनिंग फर्म ग्लेनकोर से तीन ठेकों को जब्त किया; इनमें एक टिन और जिंक की खान थी और स्मेल्टर की थी। खदान की सहायक कंपनी ग्लेनकोर की सहायक कंपनी के साथ खनिकों के हिंसक टकराव के बाद बेदखली की गई।
राज्य द्वारा प्राकृतिक गैस उत्पादक चाको में एंग्लो-अर्जेंटीनियन कंपनी की हिस्सेदारी के निपटान के लिए, सबसे आक्रामक रूप से, पैन अमेरिकन कंपनी ने बोलीविया सरकार पर 1.5 बिलियन डॉलर का मुकदमा दायर किया था। 2014 में बोलीविया ने सौदे को 357 मिलियन डॉलर में तय किया था।
इन भुगतानों का पैमाना बहुत बड़ा है। 2014 में यह अनुमान लगाया गया था कि इन प्रमुख क्षेत्रों के राष्ट्रीयकरण के लिए किए गए सार्वजनिक और निजी भुगतान की राशि कम से कम 1.9 बिलियन डॉलर है (बोलीविया की जीडीपी उस समय 28 बिलियन डॉलर थी)।
2014 में फाइनेंशियल टाइम्स ने भी इस बात पर सहमति व्यक्त की कि मोरालेस की रणनीति पूरी तरह से अनुचित नहीं है। "मोरालेस के आर्थिक मॉडल की सफलता का प्रमाण यह है कि सत्ता में आने के बाद से उन्होंने रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाते हुए अर्थव्यवस्था के आकार को तीन गुना कर दिया है।"
लिथियम
बोलिविया का प्रमुख भंडार लिथियम हैं, जो इलेक्ट्रिक कार के लिए जरूरी तत्व है। बोलीविया का दावा है कि दुनिया के 70 प्रतिशत लिथियम का भंडार उनके पास है, जो ज्यादातर सालार दे उयूनी नमक फ्लैटों में हैं। खनन और सियाके प्रोसेस (प्रसंस्करण) की जटिलता का मतलब है कि बोलीविया अपने दम पर लिथियम उद्योग का विकास नहीं कर पाया है। इसके लिए पूंजी की आवश्यकता और विशेषज्ञता की भी आवश्यकता होती है।
समुद्र तल से साल्ट फ्लॅट का तल लगभग 12,000 फीट (3,600 मीटर) ऊपर है और यहाँ काफी वर्षा होती है। इससे सूर्य-आधारित वाष्पीकरण का उपयोग करना मुश्किल हो जाता है। इस तरह के साधारण समाधान चिली के अटाकामा रेगिस्तान और अर्जेंटीना के होमब्रे म्यूर्टो में उपलब्ध हैं। बोलीविया के लिए और अधिक तकनीकी समाधान की आवश्यकता है, जिसका अर्थ है कि अधिक निवेश की आवश्यकता है।
मोरालेस सरकार की राष्ट्रीयकरण की नीति और सालार दे उयूनी की भौगोलिक जटिलता ने कई अंतरराष्ट्रीय खनन कंपनियों का पीछा किया है। एरामेट (फ्रांस), एफएमसी (संयुक्त राज्य अमेरिका) और पॉस्को (दक्षिण कोरिया) बोलीविया के साथ सौदे नहीं कर सकी इसलिए वे अब अर्जेंटीना के साथ काम कर रही हैं।
मोरालेस ने स्पष्ट कर दिया था कि लिथियम का कोई भी विकास बोलिविया की राष्ट्रीय खनन कंपनी कोमिबोल के साथ किया जाना चाहिए और इसमें यासीमिएंटोस डी लिटियो बोलीवियनोस (वाईएलबी) जो राष्ट्रीय लिथियम कंपनी के साथ बराबर की भागीदार हैं भी इस सौदे की हिस्सेदार होगी।
पिछले साल, जर्मनी के एसीआई सिस्टम्स ने बोलीविया के साथ एक समझौते पर सहमति व्यक्त की थी। सालार दे उयूनी क्षेत्र में निवासियों के विरोध के बाद, मोरालेस ने 4 नवंबर, 2019 को उस सौदे को रद्द कर दिया था।
चीनी फर्म जैसे टीबीईए समूह और चीन मशीनरी इंजीनियरिंग ने वाईएलबी के साथ एक सौदा किया। ऐसा कहा जा रहा था कि चीन का तियानकी लिथियम समूह, जो अर्जेंटीना में काम करता है वह वाईएलबी के साथ एक सौदा करने जा रहा है।
दोनों चीनी निवेश कंपनी और बोलीविया लिथियम कंपनी लिथियम के नए तरीकों के साथ प्रयोग कर रहे थे और लिथियम के मुनाफे को साझा करने की कोशिश कर रहे थे। यह विचार कि लिथियम का नई सामाजिक संरचना में इस्तेमाल हो सकता है, मुख्य ट्रांसनैशनल माइनिंग कंपनियों को अस्वीकार्य था।
टेस्ला (संयुक्त राज्य अमेरिका) और प्योर एनर्जी मिनरल्स (कनाडा) दोनों ने बोलीविया लिथियम में प्रत्यक्ष हिस्सेदारी रखने के लिए काफी रुचि दिखाई थी। लेकिन वे ऐसा सौदा नहीं कर सकते थे जिसके लिए मोरालेस सरकार ने मापदंडों को निर्धारित किया था।
गैर-चीनी ट्रांसनैशनल फर्मों के लिए मोरालेस खुद लिथियम के अधिग्रहण में प्रत्यक्ष रूप से एक बड़ी बाधा थे। इसलिए उन्हे जाना पड़ा।तख्तापलट के बाद, टेस्ला का शेयर काफी बढ़ गया।
(विजय प्रसाद, Globetrotter में लेखक, इतिहासकार और लेफ्टवर्ड बुक्स के संपादक हैं वे Tricontinental: Institute for Social Research के निदेशक भी हैं।)
Courtesy: Independent Media Institute
अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।
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