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जेएनयू: फीस वृद्धि के मसले पर छात्रों का प्रदर्शन, पुलिस ने किया लाठी चार्च

राष्ट्रपति भवन की तरफ मार्च कर रहे जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों को पुलिस ने भीकाजी कामा प्लेस मेट्रो स्टेशन के पास रोक लिया और उन पर लाठीचार्ज किया।
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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र सोमवार को एक बार फिर से फीस वृद्धि के मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरे। इस बार भी पुलिस ने छात्रों पर  लाठी चार्च किया।

आपको बता दें कि जेएनयू के छात्र राष्ट्रपति से मुलाकात करने के लिए जेएनयू से राष्ट्रपति भवन तक पैदल मार्च कर रहे थे। छात्रों ने राष्ट्रपति से छात्रावास फीस वृद्धि के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की है। क्योंकि राष्ट्रपति जेएनयू के विजिटर भी हैं। इस मार्च को देखते हुए पुलिस ने सुबह से ही जेएनयू के आस पास भाारी पुलिस बल की तैनाती कर दी थी। एक तरीके से पूरे इलाके को पुलिस छावनी में बदल दिया गया था।

इतना ही नहीं पुलिस ने छात्रों के प्रदर्शन के मद्देनजर तीन मेट्रो स्टेशन केंद्रीय सचिवालय, लोक कल्याण मार्ग और उद्योग भवन मेट्रो स्टेशन पर एग्जिट और एंट्री को बंद कर दिया गया था।

छात्र जब घेराबंदी वाले क्षेत्र में पहुंचे तो उन्होंने बैरीकेड को पार करने का प्रयास किया जिसके बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया।
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इससे पहले जेएनयू के सभी गेट पर बैरिकेड लगा दिया गया और सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई, ताकि छात्र राष्ट्रपति भवन तक जुलूस न निकाल सकें। लेकिन बाद में बैरिकेड्स खोल दिए गए। पुलिस ने बाबा गंगनाथ मार्ग को भी खोल दिया। पुलिस ने सरोजनी नगर डिपो तक छात्रों को मार्च निकालने की इजाजत दी थी। इसके आगे जाने पर पुलिस और छात्रों के बीच टकराव की स्थिति बनी।

जेएनयू छात्रसंघ ने जेएनयू से राष्ट्रपति भवन तक इस पदयात्रा का आह्वान किया था। जेएनयूएसयू ने इसका आह्वान अपने महीने भर लंबे विरोध प्रदर्शन के सकारात्मक नतीजे नहीं आने के बाद किया। प्रशासन ने उनकी हास्टल फीस की प्रस्तावित बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग को अस्वीकार कर दिया।

आपको बात दें कि जेएनयू छात्र हॉस्टल  की फीस बढ़ाए जाने के खिलाफ एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने प्रशासन की बार-बार चेतावनियों के बावजूद आगामी सेमेस्टर परीक्षाओं का बहिष्कार करने का भी आह्वान किया है।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेएनयू में सामान्य कामकाज बहाल करने और प्रदर्शनरत छात्रों तथा प्रशासन के बीच मध्यस्थता करने के तरीकों को तलाश करने के लिए तीन सदस्यीय समिति भी गठित की है। समिति ने मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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