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मोदी सरकार की सभी बड़ी घोषणाओं की समय सीमा ख़त्म, कोई घोषणा पूरी नहीं हुई

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई बड़ी योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करने के लिए साल 2022 की समय सीमा तय की थी।
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आमतौर पर राजनीतिक दलों और सरकारों की घोषणाएं पूरी नहीं होती हैं और पूरी भी होती हैं तो तय समय सीमा के भीतर तो नहीं ही पूरी होती है। लेकिन पहले की सरकारों और मौजूदा सरकार में बड़ा फर्क है। पहले राजनीतिक दल और उनकी सरकारें अमूर्त रूप से घोषणाएं करती थीं। जैसे वर्षों पहले कांग्रेस की सरकार ने 'गरीबी हटाओ’ की बात कही थी, लेकिन यह नहीं कहा गया था कि गरीबी कब तक हटेगी। मगर मौजूदा सरकार ने अपनी कई घोषणाओं या योजनाओं पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय की थी। समय सीमा गुजर चुकी है और एक भी योजना या घोषणा पूरी नहीं हो सकी है।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई बड़ी योजनाओं और घोषणाओं को पूरा करने के लिए साल 2022 की समय सीमा तय की थी, लेकिन 2022 खत्म हो चुका है और उनकी कोई योजना और घोषणा पूरी नहीं हो सकी है। मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही दिनों बाद महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया था। उन्होंने कहा था कि 2022 में जब देश अपनी आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा तब देश के हर व्यक्ति के सिर पर अपनी खुद की पक्की छत होगी यानी हर परिवार को पक्का मकान आबंटित हो जाएगा।

मोदी ने हर बात में अपने से पहले की सरकारों पर कटाक्ष करने की अपनी आदत के मुताबिक यह भी कहा था कि लोगों को न सिर्फ पक्का घर मिलेगा बल्कि हमारी सरकार उसमें शौचालय, बिजली और पानी की व्यवस्था भी करेगी। इस घोषणा को उन्होंने लाल किले के अपने भाषण के अलावा 2021 तक हुए सभी चुनावों में जगह-जगह रैलियों में भी दोहराया। अब वह समय सीमा समाप्त हो गई है और करोड़ों परिवार अब भी बेघर हैं या झुग्गी-झोपड़ियों में गुजर-बसर करते हैं। अब मोदी न तो अपनी इस घोषणा का जिक्र करते हैं और न ही इस बारे में कोई नई समय सीमा बताते हैं।

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सबको पक्का घर देने की घोषणा की तरह ही उन्होंने सितंबर 2015 में कहा था कि 2022 तक देश के हर घर को 24 घंटे बिजली मिलने लगेगी। इस घोषणा की समय सीमा भी पूरी हो हो गई है और भारत अभी हर घर को 24 घंटे बिजली देने के लक्ष्य से बहुत दूर है। हर घर को बिजली मिलना तो दूर देश में अभी भी कई गांव ऐसे हैं, जहां बिजली नहीं पहुंची है।

प्रधानमंत्री ने सितंबर 2018 में कहा था कि अगले चार साल में यानी 2022 तक भारत पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन जाएगा। बाद में इस घोषणा को उन्होंने देश-विदेश में कई सरकारी और गैर सरकारी कार्यक्रमों और चुनावी रैलियों में भी दोहराया। उनके देखादेखी उनकी सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं ने भी मौके-बेमौके यही बात खूब जोर-शोर से कही। हालांकि कोरोना महामारी के बाद सबने यह राग अलापना बंद कर दिया और इसकी समय सीमा आगे बढ़ाना शुरू कर दी।

अब 2022 खत्म हो गया तो ध्यान आया कि इसी साल भारत की अर्थव्यवस्था पांच खरब डॉलर की होने वाली थी लेकिन अभी लगभग तीन खरब डॉलर पर अटकी हुई है। दिलचस्प हकीकत यह भी है कि एक अमेरिकी रिसर्च एजेंसी द्वारा भारत के सबसे बड़े कॉरपोरेट समूह की धोखाधड़ी उजागर करने वाली रिपोर्ट जारी होने के बाद महज दो सप्ताह में ही भारत अर्थव्यवस्था दुनिया की अर्थव्यवस्था में पांचवें से छठे नंबर पर आ गई है।

प्रधानमंत्री ने जून 2017 से यह भी कहना शुरू कर दिया था कि 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। बाद में भी उन्होंने कई मौकों पर यह बात कही। 2021 तक केंद्र सरकार के हर वार्षिक बजट में भी यह बात दोहराई गई। लेकिन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसान आंदोलन और उन कानूनों की वापसी के बाद उन्होंने इसका जिक्र बंद कर दिया। अब 2022 खत्म हो गया लेकिन किसानों की आय दोगुनी होना तो दूर उलटे कृषि लागत दोगुनी से ज्यादा हो गई हैं। हाल ही में पेश हुए 2023-24 के वार्षिक केंद्रीय बजट में तो कृषि के लिए बजट अनुमान पिछले वर्ष के 1.24 लाख करोड से घटा कर 1.15 करोड़ के आसपास कर दिया गया है। फसल बीमा योजना का आबंटन भी पिछले वर्ष के 15,500 करोड़ से घटा कर 13625 करोड़ रुपए कर दिया गया है। खाद पर मिलने वाली सब्सिडी औेर प्रधानमंत्री सिंचाई योजना की मद में भी भारी कटौती की गई है। जाहिर है कि किसानों की आय दोगुनी होने के बजाय जो अभी तक हो रही थी उसमें भी कमी आना है।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कोई चार साल पहले कहा था कि भारत में 2022 तक बुलेट ट्रेन चलने लगेगी। खाड़ी के देश ओमान में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह समय सीमा घोषित की थी। हकीकत यह है कि अभी महाराष्ट्र में शिव सेना के एकनाथ शिंदे गुट की भाजपा समर्थित सरकार जमीन अधिग्रहण का ही काम कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया था कि आजादी के अमृत वर्ष यानी 2022 में भारत माता की कोई संतान अपने यान से अंतरिक्ष में जाएगी। अगर यह लक्ष्य पूरा होता तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाता। लेकिन 2022 का साल खत्म हो गया और अंतरिक्ष में किसी भारतीय को भेजने की योजना पूरी नहीं हुई। अब तो शायद मोदी खुद भी अपनी इस घोषणा को भूल गए हैं।

इन सब घोषणाओं और योजनाओं के अलावा मोदी सरकार ने एक और महत्वाकांक्षी योजना 2015 में शुरू की थी- स्मार्ट सिटी। इस योजना में देश के 100 शहरों को शामिल किया गया था। इस योजना को पांच वर्षों यानी 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन 2022 बीत चुका है और एक भी स्मार्ट सिटी तैयार नहीं हुई है।

ये तो कुछ प्रमुख घोषणाएं हैं। इनके अलावा भी कई घोषणाएं प्रधानमंत्री ने की थी और 2022 तक उन्हें पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया था लेकिन जिनकी समय सीमा बीत गई है और प्रधानमंत्री ने अब नया गोल पोस्ट यानी नई समय सीमा तक कर दी है। अब साल 2047 यानी अगले 25 साल का लक्ष्य तय किया जा रहा है, जिसे नाम दिया गया है- 'इंडिया एट 100’। सारी चीजें अब इस नाम पर हो रही है कि भारत की आजादी के सौ साल पूरे होंगे तो क्या-क्या होगा? सरकार के हर कार्यक्रम में यह लिखा दिख रहा है कि 'इंडिया एट 100’ तक क्या होगा। यानी भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष पूरा करेगा तब तक देश की जनता को सरकार से प्रति माह पांच किलो राशन से ज्यादा की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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