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बिहार विधानसभा में महिला सदस्यों ने आरक्षण देने की मांग की

मौजूदा 17वीं विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 26 है। 2020 के चुनाव में 243 सीटों पर महज 26 महिलाएं जीतीं यानी सदन में महिलाओं का प्रतिशत महज 9.34 है।
बिहार विधानसभा में महिला सदस्यों ने आरक्षण देने की मांग की

भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी संतोषजनक नहीं है। इसको लेकर पहले कई रिपोर्ट आ चुकी हैं। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2020 के अनुसार राजनीतिक सशक्तिकरण के मामले में भारत 18वें स्थान पर रहा। भारत में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के नेता महिला सशक्तिकरण की बातें तो करते है लेकिन जब उन्हें चुनावों के समय टिकट देने की बात आती है, तो वह पीछे हट जाते हैं। ऐसे में जब तक महिला राज्यों के विधानमंडल और संसद में चुन कर नहीं आएंगी तो भला राजनीतिक तौर पर वे सशक्त कैसे हो पाएंगी।

इसी क्रम में मंगलवार 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला विधायकों ने बिहार विधानसभा में महिलाओं के लिए 35 फीसदी आरक्षण देने की मांग की। कार्रवाई शुरु होते ही सत्ता और विपक्ष की महिला सदस्य वेल में आ गईं और नारेबाजी करते हुए आरक्षण देने की मांग करने लगी। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार स्पीकर विजय सिन्हा द्वारा महिला सदस्यों के आग्रह करने पर वो अपने सीट पर तुरंत लौट भी गई। इसके बाद बिहार विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर स्पीकर ने स्त्री शक्ति की प्रशंसा करते हुए सभी महिलाओं को बधाई दी। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जहां नारियों की पूजा होती है वहां देवताओं का वास होता है।

इस दौरान राजद के आलोक मेहता ने महिला दिवस पर कहा कि विधानसभा में महिला को पीठासीन सदस्य तो बनाया ही गया हैएक दिन के लिए महिला मुख्यमंत्री भी बनाया जाना चाहिए। इस पर स्पीकर विजय सिन्हा ने पलटते हुए कहा कि महिला विधायक को एक दिन के लिए नेता प्रतिपक्ष बनाकर विपक्ष पहले अपनी तरफ से शुरुआत करे।

विधान परिषद में कार्यकारी सभापति ने कहा कि बिहार में महिला सशक्तिकरण के लिए कई कार्य हुए। बिहार का अनुसरण अब दूसरे राज्य भी कर रहे हैं। उन्होंने महिला सदस्यों को पहले अपनी बात रखने का मौका दिया।

बता दें कि मौजूदा 17वीं विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 26 है। 2020 के चुनाव में 243 सीटों पर महज 26 महिलाएं जीतीं यानी सदन में महिलाओं का प्रतिशत महज 9.34 है। पार्टियों के आधार पर बात करें तो भाजपा की 9 विधायक हैं वहीं जदयू की 8 महिला विधायक हैं जबकि राजद की 5, कांग्रेस की 2, वीआईपी की 1 और हम की 1 महिला विधायक हैं।

उधर 16वीं विधानसभा में महिला विधायकों की बात करें तो इसमें 29 सदस्य थीं। इस तरह मौजूदा विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या तीन घट गई।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली बीजेपी ने 2020 में बिहार विधानसभा के हुए चुनाव में 13 महिलाओं को टिकट दिया था जिनमें से 9 महिला जीतकर विधानसभा पहुंची हैं। इस चुनाव में बीजेपी 108 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी। वहीं 2015 में बीजेपी से सिर्फ चार महिला विधायक ही जीत हासिल कर पाई थीं। इस चुनाव में पार्टी ने 14 सीटों पर महिलाओं को उतारा था।

उधर बीजेपी की सहयोगी दल जदयू की बात करें तो 2020 के चुनाव में वह 115 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी जिसमें उसने सिर्फ 22 सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया था। इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने 144 में 16 सीटों पर और इसकी सहयोगी कांग्रेस ने अपने हिस्से में 70 सीटों में महज सात सीट पर महिलाओं को टिकट दिया था।

हालांकि बिहार में पंचायत में महिलाओं को नीतीश सरकार ने 50 फीसदी आरक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाने का काम किया है लेकिन विधानसभा में महिलाओं को आरक्षण देने की बात अभी आगे नहीं बढ़ी है। वर्ष 2006 में पंचायत में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना था।

वर्ष 1992 के 73वें संवैधानिक संशोधन में देश में ग्राम-पंचायत के मुखिया के एक तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित होने को अनिवार्य कर दिया। इससे स्थानीय स्तर पर महिलाओं का राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ा।

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