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"और मुज़फ़्फ़रनगर नहीं सहेंगे" कुपोषण मुक्त भारत के लिए आइफ़ा का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

कुपोषण मुक्त भारत के लिए आईसीडीएस को मज़बूत करने की मांग को लेकर देश भर की लाखों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने ज़िला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किए।
और मुज़फ़्फ़रनगर नहीं सहेंगे

देश के कई हिस्सों में भारी बारिश के बावजूद, लाखों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने ऑल इंडिया फ़ेडरेशन ऑफ़ आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स (आइफ़ा) ने कल 10 जुलाई 2019 को अखिल भारतीय मांग दिवस मनाया। आइफ़ा ने कहा कि इस वर्ष मुजफ्फरपुर में 150 से अधिक बच्चों की मृत्यु की पृष्ठभूमि में आज देशभर में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने मांग दिवस “और मुजफ्फरपुर नहीं सहेंगे, कुपोषण मुक्त भारत के लिए, आईसीडीएस को मज़बूत बनाने, स्वतंत्रता का वादा पूरा करने” के नारे के साथ मनाया। इसमें आइफ़ा के देशभर के आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने भाग लिया। 

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आइफ़ा ने कहा कि 22 राज्यों - आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, पॉण्डिचेरी, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लाखों आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने आइफ़ा के आह्वान पर आज अखिल भारतीय मांग दिवस मनाया।

नई सरकार के सत्ता में आने के बाद, यह राष्ट्रीय स्तर का पहला विरोध प्रदर्शन है। आइफ़ा ने अपने प्रेस रिलीज़ में कहा है कि बिहार की त्रासदी और स्थिति ऐसी है कि बिहार सहित कई राज्यों में महीनों तक पूरक पोषाहार और वर्कर्स व हेल्पर्स के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है- ऐसी पृष्ठभूमि में आज देशभर के आंगनवाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स ने प्रदर्शन किया।
 
देश के कई हिस्सों में भारी बारिश के बावजूद, बड़ी संख्या में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका एकत्रित हुईं आइफ़ा के नेताओं ने कहा कि वे इसलिए भी आंदोलित हैं क्योंकि भाजपा और आरएसएस चुनाव के दौरान और सरकार बनने के बाद लगातार यह अभियान चलाती रही कि मोदी सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का वेतन प्रतिमाह 18000 रुपये तक बढ़ाया जाएगा।

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आंगनवाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स को इस तरह के संदेश बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का उपयोग करके भेजे गए। लेकिन मुजफ्फरपुर की दुखद घटना के बाद भी मोदी सरकार मंत्रालय की महिला वित्त मंत्री द्वारा बहुत धूमधाम के साथ रखे गए बजट में, आईसीडीएस के आवंटन के लिए एक रुपया भी नहीं बढ़ाया गया; और तो और कई राज्यों में अभी तक आंगनवाड़ी वर्कर्स व हेल्पर्स को सितंबर 2018 में घोषित वेतन वृद्धि का भुगतान नहीं किया गया है। कई राज्य सरकारें स्कूलों में प्री-स्कूल खोल रही हैं, ताकि बच्चों को आंगनवाड़ियों से दूर ले जाया जा सके। कुछ राज्यों में पोषाहार के बदले पैसा देने और केंद्रीकृत रसोई का भी प्रयास किया जा रहा है।

मुजफ्फरपुर में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें सैकड़ों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने भाग लिया। पूरे देश में कार्यकर्ताओं ने जनसभा से पहले मुजफ्फरपुर में जान गंवाने वाले बच्चों को श्रद्धांजलि दी। बिहार राज्य आंगनवाड़ी सेविका सहायिका संघ के द्वारा हाल ही में आयोजित सम्मेलन में निर्णय लिया गया है कि मुजफ्फरपुर में कुपोषण के ख़िलाफ़ और आईसीडीएस को मज़बूत करने के लिए 14 अगस्त 2019 से ‘बच्चों को कुपोषण और बीमारी मुक्ति, बच्चों की मृत्यु- अब और नहीं’ नामक शीर्षक से वार्षिक अभियान और गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

आशा कर्मियों की मुख्य मांगें

आईसीडीएस को स्थायी बनाया जाए; आईसीडीएस के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाया जाए
45वें भारतीय श्रम सम्मेलन द्वारा की गई सिफ़ारिशों के अनुसार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को न्यूनतम वेतन और सामाजिक सुरक्षा लाभ तथा पेंशन दी जाए।
आईसीडीएस का किसी भी प्रकार से निजीकरण नहीं किया जाए; आईसीडीएस में कॉर्पोरेट कंपनियों या ग़ैर-सरकारी संगठनों को शामिल न किया जाए।
आईसीडीएस को मज़बूत बनाया जाए; आंगनवाड़ी को आंगनवाड़ी-सह-क्रेच में परिवर्तित किया जाए; पोषण के लिए आवंटन में वृद्धि की जाए; आईसीडीएस में पूर्वस्कूली शिक्षा को मज़बूत करके उसे बनाए रखा जाए।

आइफ़ा ने अंत में कहा कि आईसीडीएस को मज़बूत करने की मांग के साथ-साथ नियमितीकरण, न्यूनतम वेतन व पेंशन जैसी मांगों को अगर सरकार नहीं मानती तो आने वाले दिनों में और भी बड़े आंदोलन होंगे।

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