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डीयू के गणित विभाग के छात्रों के बाद अब भौतिकी विभाग के छात्र भी अंदोलन की राह पर

प्रदर्शन कर रहे कई छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कारण बताओ नोटिस दिया गया है। SFI , KYS , DSU सहित कई अन्य छात्र संगठनों ने डीयू प्रशासन की निंदा की है।
डीयू के गणित विभाग के छात्रों के बाद अब भौतिकी विभाग के छात्र भी अंदोलन की राह पर

दिल्ली विश्वविद्यालय के गणित विभाग के छात्रों का पिछले एक महीने से बड़ी संख्या में छात्रों को फ़ेल करने और रिज़ल्ट में अनियमिता को लेकर प्रदर्शन जारी है। अब इसमें भौतिकी विभाग के छात्रों के साथ कई अन्य विभाग के छात्र भी इस तरह की गड़बड़ियों को लेकर प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं।

भौतिकी विभाग व अन्य विभाग जैसे अंग्रेज़ी, NCWEB में असफ़ल छात्रों के आंकड़ों ने छात्रों और प्रोफ़ेसरों में खलबली मचा दी है।

इस बीच प्रदर्शन में शामिल हो रहे कई छात्रों को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कारण बताओ नोटिस दिया जा गया है। जिससे छात्र काफ़ी ग़ुस्से में हैं, उन छात्रों का कहना है कि प्रशासन हमारे मौलिक अधिकार को भी ख़त्म कर रहा है। लेकिन अब हम डरने वाले नहीं हैं।

आपको बात दें कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के गणित और अंग्रेज़ी विभाग के छात्रों का M.A./MSc के सेमेस्टर परीक्षा में 40 में से 35 छात्रों को फ़ेल करने के ख़िलाफ़ मोर्चा जारी है। छात्र एक महीने से प्रशासन के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले मंगलवार को अपनी मांगों को लेकर छात्रों ने दिल्ली विश्वविद्यालय के उप-कुलपति के ऑफ़िस के सामने धरना दिया। इस दौरान छात्रों ने जब कुलपति से मिलने के लिए अंदर घुसने की कोशिश की तो उनकी पुलिस से झड़प हो गई। इस प्रदर्शन को SFI,  KYS , DSU सहित कई अन्य छात्र संगठनों ने भी अपना समर्थन दिया है।

 

प्रशासन द्वारा जारी किया गया नोटिस 

डीयू प्रशासन के छात्रों को नोटिस देने और हठी रवैये को लेकर एसएफ़आई, DSU, KYS  सहित प्रदर्शन कर रहे तमाम छात्र और छात्र संगठनों ने निंदा की है। छात्रों का आंदोलन जल्द ख़त्म होगा इसके आसार कम ही दिख रहे हैं क्योंकि प्रशासन इनकी मांगों को मानने के मूड में दिख नहीं रहा है जबकि दूसरी ओर छात्र भी आर पार के मूड में हैं।
छात्रों ने डीयू की वेबसाइट द्वारा उपलब्ध कराए गए परिणामों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पहले सेमेस्टर की परीक्षाओं में, 279 में से 262 छात्र भौतिकी की थ्योरी परीक्षा, आंतरिक परीक्षण या दोनों में या कम से कम एक विषय में फ़ेल हो गए थे। केवल 17 छात्र ही हैं जो पास होने में सफ़ल हुए।

छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में कोई पहली बार नहीं है जब इस तरह से सामूहिक रूप से छात्रों को फ़ेल किया गया हो। एसएफ़आई के राज्य उपाध्यक्ष सुमित कटारिया ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "कुछ ऐसा ही 2010 में हुआ था, जब इतिहास विभाग के उस समय के पूरे डिपार्टमेंट यानी दोनों बैच, 2009-11 और 2010-12 ने मिलकर प्रतिरोध किया था। इसका फ़ायदा तो हुआ लेकिन यह किसी एक विभाग की बात नहीं है। विश्वविद्यालय में कई ऐसे विभाग हैं जहाँ छात्रों को बिना उनकी ग़लती के फ़ेल कर दिया जाता है यहाँ तक कि हमारे सामने ऐसे भी उदाहरण हैं जहाँ बिना उत्तरपुस्तिका जांचे ही नंबर दे दिए जाते हैं।"

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आगे वो कहते हैं कि यही हुआ है भौतिकी व गणित विभाग के छात्रों के साथ। इसलिए इन विभाग के छात्रों सहित तमाम प्रगतिशील छात्र संगठन संघर्ष कर रहे हैं। संघर्ष से ही इस समस्या का रास्ता निकलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि विभाग व विश्वविद्यालय प्रशासन उचित क़दम उठा कर विद्यार्थियों की समस्या का समाधान करेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक बड़े अंदोलन के लिए प्रशासन को तैयार रहने को कहा।
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NCWEB (ग़ैर कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड) और अन्य विभाग का भी यही हाल है

NCWEB डीयू का सबसे उपेक्षित विभाग है जहाँ छात्राएँ, जो ज़्यादातर मामलों में नियमित अध्ययन का हिस्सा नहीं बनती हैं , वो इस विभाग में प्रवेश लेती हैं और उच्च शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास करती हैं। इस विभाग में विफ़लता की दर 97% है। उनके आंतरिक अंक भी विश्वविद्यालय द्वारा नहीं दिखाए गए हैं और कई चौंकाने वाले मामलों में हमने देखा है कि एक ही पैटर्न रहता है जिससे कि इन लड़कियों को बिना किसी ग़लती के दरकिनार किया जा सकता है।
भौतिकी जैसे अन्य विभागों में बड़े पैमाने पर विफ़लताओं के बारे में सबूत हैं जो बहुत परेशान करते हैं और कई खुलासे करते हैं। पीजी छात्रों को विषय चुनने के विकल्प से वंचित किया जाता है, उन्हें बताया जाता है कि बहुमत विफ़ल होने के लिए बाध्य है। शिक्षा प्रदान करने का ऐसा पूर्व निर्धारित तरीक़ा बिल्कुल भयावह है और इसे संबोधित करना संस्था की ज़िम्मेदारी है।
इसके अलावा, दयाल सिंह कॉलेज के प्रोफ़ेसर सचिन निर्मल ने कहा है कि कुछ विभागों में एमए और एमएससी में फ़ेल होने की दर 90 प्रतिशत तक है।
भौतिकी विभाग में विफ़लता के आंकड़े गणित विभाग में बड़े पैमाने पर असफ़लता की तरह ही हैं। गणित में 39 छात्रों में से 35, 300 छात्रों में से 150 छात्र पहले और तीसरे सेमेस्टर में असफ़ल रहे हैं। इन छात्रों को लेकर प्रोफ़ेसर सचिन निर्मल ने कहा, "इन छात्रों की योग्यता पर कोई भी संदेह नहीं है क्योंकि यह बहुत उच्च कोटि परीक्षाओं में बेहद उच्च अंकों के साथ पास होते हैं तभी इन्हें डीयू में स्थान मिला है। लेकिन कुछ ही समय में डीयू में प्रवेश लेने के बाद वे असफ़ल छात्र बन जाते हैं। ये क्यों होता है?" कुलपति, रजिस्ट्रार, डीन और विभाग के शिक्षक सभी इस संकट के लिए ज़िम्मेदार हैं जो लंबे समय से सामूहिक विफ़लताओं को ख़त्म करने में असफ़ल रहे हैं।

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