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झारखंड में कोयला मज़दूरों की अभूतपूर्व हड़ताल, सभी कोलियारियों में काम ठप

सचमुच में इस बार की कोयला मजदूरों हड़ताल कई मायनों में थोड़ा अलग तो दीखती ही है। विशेषकर झारखंड प्रदेश की सभी कोलियारियों के सभी मजदूरों का पूरी सक्रियता से हड़ताल में शामिल होना कोई रूटीन घटना नहीं है।
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मोदी सरकार द्वारा देश के कोयला क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई के बहाने निजीकरण किए जाने के खिलाफ आज, मंगलवार को देश के सभी कोलियरियों में शत प्रतिशत हड़ताल रही।

कोल माइंस वर्कर्स यूनियन के कार्यकारी केंद्रीय अध्यक्ष बैजनाथ मिस्त्री के अनुसार यह पहली बार हुआ कि सुबह 6 बजे से ही सारे मजदूर बिना किसी दबाव के स्वतः स्फूर्त ढंग से हड़ताल पर रहे। सीसीएल के रामगढ़ – हजारीबाग ज़िला स्थित अरगडा , कुजू , चैनपुर , बरका – सयाल और कथारा – बेरमों समेत सभी जोन की कोलियारियों में एक भी मजदूर काम पर नहीं गया जिससे यहाँ कोयला हड़ताल में  अभूतपूर्व ढंग से बंदी रही।

कुछ देर के लिए स्थानीय पुलिस और कुछ बड़े आला अधिकारी हड़ताल तुड़वाने के लिए पहुंचे भी लेकिन कोई मज़दूर उनकी बातों में नहीं आया। इतना ही नहीं हड़ताल की पूर्व संध्या पर उसकी तैयारी में भी आम मजदूर सक्रिय रहे। पूरी मजदूर कोलनियों के अलावा कोलियरी के बाज़ार और आसपास के गांवों में भी प्रचार के लिए गए। इस बार की एक खासियत और रही कि हड़ताल का पर्चा छपाने व प्रचार गाड़ी निकालने इत्यादि कार्यों के लिए मजदूरों ने खुद से आकार चन्दा दिया, जो दिखलाता है सारे मजदूर सरकार के फैसले से कितना परेशान हैं।

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धनबाद स्थित बीसीसीएल की सभी कोलियारियों में भी हड़ताल अभूतपूर्व रही। मुगमा क्षेत्र में हड़ताल का नेतृत्व कर रहे कोयला मजदूर नेता कृष्णा सिंह को इस बार अपने साथियों के साथ हर मजदूर के पास जाकर हड़ताल में शामिल होने का अनुरोध नहीं करना पड़ा। उन्होंने बताया कि जिन मजदूरों ने चंद महीने पहले ही जिस मोदी जी को खुलकर अपना वोट दिया था, उन्हीं मोदी जी द्वारा कोयला क्षेत्र के निजीकरण किए जाने के फैसले से सभी ठगे हुए महसूस कर रहें हैं। हड़ताल में सारे मजदूरों की इतनी सक्रिय भागीदारी दर्शाती है कि वे अब चुप बैठने वाले नहीं हैं। निजी कंपनियों से छीनकर जिस कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकारण किया गया था, अब फिर से उसे निजी कंपनियों के हवाले करने का तमाशा चुप रहकर किसी कीमत पर नहीं देखेंगे।

बीसीसीएल 12 नंबर खदान और ईसीएल क्षेत्र कोलियरी के मजदूरों में सक्रिय रहनेवाले भाकपा माले नेता नगेन्द्र प्रसाद ने भी बताया कि इस बार जैसी कोयला हड़ताल कभी सफल नहीं रही। सामान्य मजदूरों में भी इस बार की हड़ताल को लेकर ऐसी सक्रियता आम तौर पर हाल के दिनों में कभी नहीं रही।

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हड़ताल में शामिल चैनपुर – आरा कोलियरी के मजदूर महादेव मांझी ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि वोट लेते समय तो देशहित और राष्ट्र की सुरक्षा का हवाला दिया गया था, आज जब देश का सार्वजनिक कोयला क्षेत्र निजी कंपनियों के हवाले किया जा रहा है तो क्या यह भी देश हित और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए ही है?

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हड़ताल का आह्वान करने वाली सभी प्रतिनिधि राष्ट्रीय कोयला क्षेत्र की ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चे के नेताओं का कहना है कि ये तो महज लड़ाई की शुरुआत है। मोदी सरकार ने कोयला क्षेत्र के निजकरण का फैसला वापस नहीं लेगी तो हम इससे भी बड़ी लड़ाई में जाएंगे।  
सचमुच में इस बार की कोयला मजदूरों हड़ताल कई मायनों में थोड़ा अलग तो दीखती ही है। विशेषकर झारखंड प्रदेश की सभी कोलियारियों के सभी मजदूरों का पूरी सक्रियता से हड़ताल में शामिल होना कोई रूटीन घटना नहीं है।

अन्यथा अबतक की हड़तालों में मजदूरों का एक बड़ा ऐसा ज़रूर होता था जो किसी न किसी बहाने से अपनी ड्यूटी को नहीं छोड़ता था। लेकिन इस बार ऐसा कहीं नहीं देखने को मिला है तो इसका साफ संकेत है कि सारे कोयला मज़दूर मोदी सरकार के निजीकरण के खिलाफ हैं और अपनी रोजी–रोटी छिनने व मजदूर अधिकारों को छीने जाने के खिलाफ पूरी लड़ाई का मन बना रहे हैं।

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