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कैट्‍स हड़ताल : संघर्ष के 76 दिनों के बाद दिल्ली सरकार ने मानी मांगें

कैट्‍स एम्बुलेंस कर्मचारियों की 76 दिनों की हड़ताल और 24 दिनों की भूख हड़ताल होने के बाद मांगें मान ली गई हैं।
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आख़िरकार 76 दिनों से जारी कैट्स एम्बुलेंस कर्मचारियों का संघर्ष रंग लाया है। दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री गोपाल राय ने ख़ुद धरना स्थल पर आकर कर्मचारियों की 24 दिनों से चल रही भूख हड़ताल तुड़वाई और उनकी सभी मांगें मान ली हैं। उन्होंने घोषणा की कि कैट्स एम्बुलेंस कर्मचारियों को तीन महीने के बक़ाया वेतन का भुगतान किया जाएगा। साथ ही उन्होंने अश्वशान दिया है कि अब उन्हें समय पर वेतन मिलने में समस्या नहीं आएगी। गोपाल राय ने कहा, "कैट्स के सभी पुराने कर्मचारियों की पुनर्बहाली भी की जाएगी। इसके अलावा ट्रांसफ़र नीति में पारदर्शिता का भरोसा और श्रम क़ानून का पालन हो ये भी सुनिश्चित किया जाएगा।"

आपको बता दें कि कैट्स एम्बुलेंस दिल्ली सरकार की मुफ़्त एम्बुलेंस सेवा है। 102 नंबर डायल करने पर एम्बुलेंस ज़रूरतमंद के पास पहुंचती है और उसे अस्पताल तक पहुंचाती है। कैट्स एम्बुलेंस के कर्मचारियों का ये धरना मुखयमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के पास जारी था, लेकिन इनकी मांगों को सरकार तक पहुंचने में 76 दिन लगे।

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1 जुलाई से हड़ताल पर थे कर्मचारी

आपको बात दें कि 30 जून को संचालक कंपनी का कैट्स से अनुबंध ख़त्म हो गया और एक जुलाई से संचालन की ज़िम्मेदारी दूसरी कंपनी को दे दी गई। कर्मचारियों का आरोप था कि पुरानी कंपनी सभी कर्मचारियों को तीन माह का वेतन दिए बग़ैर चली गई थी जबकि नई कंपनी के साथ उनका अनुबंध भी नहीं हुआ था। इसलिए उनकी नौकरी भी ख़तरे में थी। साथ ही कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया था कि नई कंपनी कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है, इसके बाद भी इसे ठेका दे दिया गया। कर्मचारी ने कहा उन्होंने ठेकदारों के नीचे काम किया है और इसलिए उन्होंने निजीकरण के विरोध में और बक़ाया वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे। इससे ढाई माह से कैट्स एंबुलेंस का परिचालन प्रभावित है। कैट्स एंबुलेंस सेवा के बेड़े में 263 एंबुलेंस हैं जिनमें से मुश्किल से 60 से 80 एंबुलेंस ही सड़कों पर उतर पा रही थीं।

सरकार ने सात दिनों में वेतन जारी करने का आदेश दिया

सत्येंद्र जैन व गोपाल राय ने हड़ताली कर्मचारियों के प्रतिनिधियों व अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें यह बात सामने आई कि कर्मचारियों का दो माह 10 दिन का वेतन बक़ाया है। इस बैठक में यह तय हुआ कि स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों का प्रमुख नियोक्ता है। इसलिए स्वास्थ्य मंत्री ने सात दिन में बक़ाया वेतन जारी करने का निर्देश दिया है।

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गोपाल राय ने कहा, "ट्रांसफ़र को लेकर एक पारदर्शी सिस्टम बनाने की भी बात हुई है, जिससे किसी भी व्यक्ति के साथ किसी प्रकार का भेदभाव न हो। इस बात पर भी सहमति बनी है कि सरकार और कैट्स के प्रतिनिधियों के बीच हर तीन महीने में एक समीक्षा बैठक होनी चाहिए।

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दिल्ली सरकार की तरफ़ से एक कॉन्ट्रेक्ट लेबर एडवाइज़री बोर्ड का गठन किया गया है। जिससे कॉन्ट्रेक्ट पर काम करने वाले लोगों की समस्याओं को दूर किया जा सके।"

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कैट्स स्टाफ़ यूनियन के अध्यक्ष जितेंद्र भारद्वाज ने कहा, "कैट्स के निजीकरण की मांग को छोड़कर बाक़ी मांगें मान ली गई हैं, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर भी हमें भरोसा दिया है कि आने वाले समय में इसे पीसीआर और फ़ायर की तर्ज पर ही चलाया जाएगा। इसे लेकर जल्द एक नई योजना लाई जाएगी।"

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कर्मचारी यूनियन के उपाध्यक्ष नरेंद्र लाकड़ा ने कहा, "सरकार ने यह आदेश भी दिया है कि एक जुलाई के पहले विभाग में अनुबंधित कर्मचारियों को जो सुविधाएं मिलती थीं, वह बरक़रार रहेंगी।"

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