ग्रेनो : किसानों के ‘महापड़ाव’ का एक महीना पूरा, ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान
किसान महासभा के नेतृत्व में 25 अप्रैल से शुरु हुए धरने को एक महीना पूरा हो गया है। ये सभी प्रदर्शनकारी किसान ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के बाहर अपनी मांगों को लेकर दिन-रात एक किए हुए हैं। 24 मई यानी बुधवार को धरने का 30 दिन पूरा हो गया है। पुरुष किसानों के साथ-साथ महिला किसान भी बढ़-चढ़कर इसमें शामिल हैं। इस दौरान महिला-पुरुष किसान सभी ने मिलकर अथॉरिटी का खिलाफ ख़ूब नारेबाज़ी की।
धरना प्रदर्शन के एक महीने हो जाने के मौके पर दोपहर 3 बजे अथॉरिटी के ही बाहर एक मीटिंग का आयोजन किया गया, जिसमें 28 तारीख को होने वाली ट्रैक्टर रैली पर चर्चा की गई। इस दौरान ये तय हुआ कि ट्रैक्टर रैली ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एक मूर्ति गोल चक्कर से रवाना होगी और दूसरी रैली सिरसा गोल चक्कर से रवाना होगी, ये दोनों ही रैलियां सुबह 10 बजे अपनी-अपनी जगह से ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के लिए निकल जाएंगी। आपको बता दें कि एक मूर्ति की ओर से रवाना होने वाली रैली के लिए महाराज सिंह प्रधान को संयोजक बनाया गया है। जबकि सिरसा गोल चक्कर की तरफ से आने वाली रैली के लिए किसान सभा के अध्यक्ष नरेंद्र भाटी संयोजक होंगे।
इसके अलावा किसान सभा की इस मीटिंग में ये भी तय किया गया कि अगले महीने यानी 2 जून के दिन का धरना प्रदर्शन पूरी तरह से बेरोजगार युवाओं को समर्पित होगा। इसमें भाषण भी युवा ही देंगे, युवा ही धरने को चलाएंगे। इसके अलावा आने वाली 6 जून के लिए डेरा डालो घेरा डालो प्रोग्राम की तैयारियों पर भी चर्चा की गई, साथ ही निर्णय लिया गया कि गांव की कमेटियां अपने-अपने गांव में प्रभात फेरी निकालकर आंदोलन का प्रचार करेंगे। जिन गांवों में कमेटियों का गठन अभी नहीं हुआ है उन गांवों में अगले चार दिन में कमेटियों का गठन करके उन्हें संचालित कर दिया जाएगा।
इसी मीटिंग के दौरान किसान सभा के संयोजक वीर सिंह नागर ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मुद्दे बिल्कुल साफ हैं। 10 प्रतिशत आबादी प्लाट सर्कल रेट का 4 गुना मुआवजा, आबादियों की लीज बैक 40 वर्ग मीटर का प्लाट, रोजगार की नीति के साथ अन्य मुद्दों पर सभी किसान एकजुट हैं। आंदोलन को मुद्दों के हल होने तक चलाने का निर्णय लिया गया है।
इसके बाद किसान सभा के प्रवक्ता डॉ रूपेश वर्मा ने कहा कि हम सभी अधिकारियों, लोकल नेताओं को अपने मुद्दों के बारे में बता चुके हैं। अथॉरिटी और सरकार की तरफ से निर्णय का इंतजार है, आंदोलन हर रोज बढ़ रहा है। क्षेत्र के हजारों किसान 6 जून को डेरा डालने के प्रोग्राम की तैयारी कर रहे हैं। डेढ़ लाख से अधिक अधिग्रहण से प्रभावित किसान प्राधिकरण की किसान विरोधी नीतियों के विरुद्ध लामबंद हो रहे हैं, क्षेत्र के किसानों में अथॉरिटी के ख़िलाफ भारी गुस्सा है, धरने को दिल्ली आंदोलन की तर्ज पर तब तक चलाया जाएगा, जब तक की आंदोलन के मुद्दे हल नहीं होते। किसी भी झूठे आश्वासन पर धरना समाप्त नहीं होगा, समस्याओं का ठोस हल किए जाने पर ही धरना समाप्त होगा।
अपनी बात रखने के बाद प्रवक्ता डॉ रुपेश वर्मा ने मीटिंग में लिए गए फैसलों के बारे में बताया कि "वोलंटियर लॉजिस्टिक ड्राफ्टिंग लीगल कमेटी और नेगोशिएशन कमेटी बनाकर पूरे प्लान के साथ धरने को संचालित किया जाएगा। हर कमेटी में महिलाओं और भूमिहीनों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य तौर पर रखा जाएगा।"
इसके बाद किसान नेता बुध पाल यादव ने धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों को बताया कि प्राधिकरण का तोड़फोड़ दस्ता पतवाड़ी इलाके में पहुंचा था, लेकिन पतवाड़ी कमेटी ने विरोध किया और दस्ते को बैरंग वापस आना पड़ा। यह सब किसान सभा और किसानों के संगठन की सफलता है कि प्राधिकरण किसानों की एक ईंट भी नहीं हिला सकता।
आपको बता दें कि किसानों की ओर से तोड़फोड़ विरोधी दस्ते का गठन किया गया है जिसके अध्यक्ष सुरेंद्र यादव हैं।
पिछले एक महीने से जारी किसान सभा के इस आंदोलन में कई रंग देखने को मिले हैं, कभी महिलाओं ने अथॉरिटी को चुनौती दी, तो कभी किसानों की आंदोलन से बेख़ौफ हो चुके ग्रामीणों ने अथॉरिटी की तोड़फोड़ नीति को नाकाम कर दिया। प्रदर्शन की ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण तारीखों को देखते हैं...।
अभी एक दिन पहले धरने के 29वें दिन यानी 23 मई की बात है। किसानों का प्रतिनिधिमंडल ज़िलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से मुलाकात करने पहुंचा था, किसानों ने ज़िलाधिकारी से 10 प्रतिशत आबादी प्लाट, सर्किल रेट में लंबे समय से रुके हुए रेट रिवीजन और उसी रुके हुए रेट रिवीजन के कारण किसानों के अत्यधिक कम मुआवजा के बारे में बताया। इसके अलावा प्राधिकरण द्वारा जानबूझकर किसानों के लंबित अन्य मुद्दों जैसे साढे 17 प्रतिशत प्लाट कोटा, आबादी के लीज बैक, 120 वर्ग मीटर का न्यूनतम प्लाट, समझौते के अनुसार भूमिहीनों का 40 वर्ग मीटर का प्लाट, और अन्य मुद्दों से भी ज़िलाधिकारी को अवगत कराया। इस दिन राजीव नागर ने संबोधित करते हुए कहा कि यह क्षेत्र 1857 के क्रांतिकारियों का क्षेत्र है। सभी संगठन विपक्षी पार्टियां किसानों के साथ हैं। मुद्दों को हल करने के बाद ही डेरा समाप्त होगा।
ऐसे ही धरना प्रदर्शन के 28वें दिन सिर्फ भूमिहीनों की समस्याओं को उठाया गया। जिसमें सैकड़ों की संख्या में महिला और पुरुष भूमिहीन परिवारों ने प्राधिकरण के विरुद्ध जबरदस्त नारेबाजी करते हुए धरना प्रदर्शन किया।
किसानों के महापड़ाव के 25वें दिन यानी 18 मई को पूरा धरना प्रदर्शन महिलाओं के नाम रहा। इस दिन धरना प्रदर्शन की अध्यक्षता संतोष देवी ने और संचालन तिलक देवी ने किया। संतोष देवी और तिलक देवी के नेतृत्व में प्राधिकरण पर हजारों की संख्या में महिलाओं ने भाग लिया और गीत संगीत के माध्यम से प्राधिकरण को अपनी समस्याओं से अवगत कराया, और किसानों में ये संदेश देने की कोशिश की कि आप डटे रहिए हम हर वक्त आपके साथ हैं। इसके अलावा अपनी कला के माध्यम से ही महिलाओं ने अथॉरिटी को चेताया कि जब तक हमारी समस्याएं हल नहीं हो जाती यह लड़ाई बदस्तूर जारी रहेगी।
महापंचायत के 22वें दिन यानी 15 मई को आंदोलनरत ग्रेटर नोएडा के किसानों ने अथॉरिटी के बाहर अखिल भारतीय किसान सभा की अगुवाई में बड़ी किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं सहित 39 गांवों के लोगों ने भारी संख्या में हिस्सेदारी की। पंचायत के लिए किसान जैतपुर गोल चक्कर से इकट्ठा होकर विप्रो गोल चक्कर होते हुए धरना स्थल प्राधिकरण पर पहुंचकर जुलूस महापंचायत में बदल गया। इस दिन महापंचायत को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय नेता पूर्व सांसद वृंदा करात ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्थानीय किसानों के साथ सरकार और प्राधिकरण ने विश्वासघात किया है और उनकी अधिकृत जमीन के बदले उनका वाजिब हक और बुनियादी सुविधाएं आज तक नहीं दिया है, जिसके लिए किसान आंदोलनरत है। किसानों की हक की लड़ाई में वे और उनकी पार्टी सीपीआईएम किसानों के साथ है।
8 मई यानी आंदोलन के 13वें दिन किसानों ने हजारों की संख्या में जेपी गोल चक्कर से परी चौक होते हुए काली पट्टी बांधकर जोरदार नारेबाजी करते हुए विरोध जुलूस निकाला था, जुलूस में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भागीदारी की।
ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के ख़िलाफ किसानों के अनिश्चितकालीन दिन-रात पड़ाव में अलग-अलग रंग और जोश देखने को मिल रहा है। हर दिन एक नए तरीके से प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है। युवाओं, महिलीओं और कलाकारों पर विशेष तौर से ध्यान दिया जाता है, उन्हें अपनी बात रखने का मंच प्रदान किया जाता है।
आपको बता दें कि इस महापड़ाव के लिए बीती 7 फरवरी को किसान सभा के नेतृत्व में अथॉरिटी के विरुद्ध आंदोलन की शुरुआत हुई थी, जिसके क्रम में 14 मार्च और 23 मार्च को आंदोलन हुआ। 23 मार्च के आंदोलन के बाद 25 अप्रैल से रात दिन के महापड़ाव की घोषणा की गई। 25 अप्रैल को डेढ़ हजार की संख्या में किसान अथॉरिटी पर धरना प्रदर्शन करने पहुंचे जिसके क्रम में सीईओ से बातचीत भी हुई लेकिन किसी भी मसले पर कोई सहमति नहीं बन सकी, लिहाजा किसानों ने घोषणा के अनुसार अपने रात दिन के महापड़ाव की शुरुआत कर दी और 2 मई के बड़े आंदोलन की घोषणा कर दी जिसमें साढ़े तीन हजार की संख्या में किसान प्राधिकरण को घेरने पहुंचे थे।
फिलहाल किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं और उन्हें विपक्षी राजनीतिक दलों का भी साथ मिलने लगा है।
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