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नोटबंदी की मार से अब भी कराह रहे हैं छोटे कारोबारी, दुकानदार और मजदूर

इन लोगों से बातें करने पर पता चला कि भले ही कॉरपोरेट मीडिया में नोटबंदी की बरबादियों की कहानियां नहीं आ पा रही हों लेकिन अंदरखाने हालात गंभीर है। देश की आम जनता आगे कई साल तक नोटबंदी की मार से कराहती रहेगी I
नोट बंदी की मार

इस महीने 8 नवंबर को नोटबंदी को एक साल पूरा हो जाएगा। पिछले साल 8 नवंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने अचानक रात एक टीवी प्रसारण में 500 और 1000 के पुराने नोटों को बंद करने का ऐलान कर दिया था और कहा था कि एनडीए सरकार ने यह कदम देश में काले धन पर लगाम लगाने, टेरर फंडिंग रोकने और नकली नोटों को सर्कुलेशन घटाने के लिए उठाया है। लेकिन सरकार के इस कदम ने पूरे देश में भारी अव्यवस्था फैला दी थी। इस फैसले से देश की अर्थव्यवस्था का दिवाला निकल गया। बड़ी तादाद में श्रमिकों, कारोबारियों और किसानों को अपने रोजगार और कमाई से हाथ धोना पड़ा। गंभीर बात यह है कि एक साल बीतने के बाद भी नोटबंदी का असर कायम है।

सबसे ज्यादा असर छोटे कारोबारियों, दुकानदारों और असंगठित क्षेत्रों के कर्मियों पर हुआ। सबरंगइंडिया ने नोटबंदी के एक साल पूरा होने पर ऑटो कंपोनेंट, रियल एस्टेट सेक्टर के कारोबारियों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों से बात की। इन सभी का कहना है कि नोटबंदी का असर अब तक उनकी जिंदगी को प्रभावित कर रहा है।

एशिया के सबसे बड़े ऑटो पार्ट्स कंपोनेंट मार्केट कश्मीरी गेट के कारोबारी आलोक अग्रवाल कहते हैं कि नोटबंदी लागू होने के दूसरे दिन से ही बाजार से खरीदार गायब हो गए। कश्मीरी गेट से पूरे देश के ऑटो पार्ट बाजारों में माल जाता है। नोटबंदी के  बाद देश भर से जो ऑर्डर आता था वह भी अचानक बंद हो गया। हमलोग यह कयास लगा रहे थे कि लोग पुराने 500 और 1000 के नोट खपाने के लिए गाड़ियां खरीदेंगे लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ। आलोक कहते हैं कि कारोबार इतना गिर गया कि उन दिनों को याद करते हुए सिहरन होती है। नोटबंदी ने हमें लगभग दिवालिया कर लिया। मैंने तो एक समय बचा-खुचा माल बेचकर इस धंधे से किनारा करने का सोच लिया था। अप्रैल तक मैं इस धंधे में घाटे से उबर नहीं सका था। अभी तक मेरी बिक्री की रिकवरी नहीं हो सकी है।

नोटबंदी से पूर्वांचल के थोक बाजार को भी भारी नुकसान हुआ था। बड़ी तादाद में थोक बाजार में सामाने बेचने वालों को अपनी दुकानें समेटनी पड़ी थीं और इन दुकानदारों में काम करने वाले सेल्समैन, सामान ढोने होने वाले और दुकानों के सामने धंधा-पानी करने वालों को भारी घाटा हुआ।

रियल एस्टेट सेक्टर पर भी नोटबंदी का गहरा असर दिखा था। हाल में टाइल्स बनाने वाली बड़ी कंपनी के एक आला अधिकारी ने सबरंगइंडिया से बातचीत में कहा कि इस साल नवरात्रि और दीवाली में ऑर्डर बिल्कुल गिर गया। अमूमन नवरात्रि और दिवाली में बिल्डर नए मकान ग्राहकों को सौंपते हैं। और इस दौरान फिनिशिंग के काम के लिए टाइलों की बिक्री बढ़ जाती है। लेकिन इस बार बड़ा स्टॉक यूं ही पड़ा हुआ है।

असंगठित क्षेत्र के जिन कर्मचारियों को बेरोजगार होना पड़ा वो अब भी इससे उबर नहीं पाए हैं। कइयों पर बेरोजगारी के दौरान भारी कर्ज लद गया, जिसे उतारने में भी उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च हो रहा है। कुछ को अभी भी रोजगार नहीं मिला है और कुछ वापस गांव चले गए हैं। नोएडा के अपार्टमेंटों में छोटे-मोटे ठेके लेकर घर रिपयेरिंग और निर्माण आदि का काम करने वाले रामकिशोर का कहना है कि पहले उसके साथ पांच-छह मजदूर काम करते थे लेकिन अब वह खुद अपनी पत्नी को साथ लेकर काम करते हैं। अभी भी काम की कमी है।

इन लोगों से बातें करने पर पता चला कि भले ही कॉरपोरेट मीडिया में नोटबंदी की बरबादियों की कहानियां नहीं आ पा रही हों लेकिन अंदरखाने हालात गंभीर है। देश की आम जनता आगे कई साल तक नोटबंदी की मार से कराहती रहेगी I

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